कॉलेज के दिन
कॉलेज के दिन
अभी घर से मैं कॉलेज के लिए निकल ही रहा था कि उसी समय मेरा फ़ोन बजा मैंने डोर लॉक किया और कॉल उठाया दूसरी तरफ से अनामिका हैल्लो में अनामिका बोल रही हूं तुम अमेय हो न
मैंने कहा-"हा अमेय ही बोल रहा हूँ"
अनामिका-"कुछ काम हैं तुमसे आज मिलना ।"
अमेय-"पर मुझसे क्या काम हैं ?"
अनामिका- "हैं कुछ तुम मिलो तो सही जरूरी हैं"
और फ़ोन कट गया।
दोनों एक ही कॉलेज में फाइनल में थे अमेय के घर से कॉलेज पास था वो सोचते हुये पैदल जा रहा था की अनामिका जो की कॉलेज की इतनी खूबसूरत लड़की और पढ़ाई में भी तेज उसको मुझसे क्या काम हो सकता हैं असल मे अमेय टयूशन क्लासेस लेता हैं और कई कॉलेज की लड़कियां और लड़के उसके पास पढ़ने आते हैं और अमेय कई ऐसी संस्थाओं से भी जुड़ा हुआ हैं और कई लेखन के क्षेत्रो से भी , उसका नाम बहुत फेमस हैं ये उसे भी पता हैं वे सब उसकी मेहनत का फल हैं ऐसा वो सोचते हुये जा ही रहा था न जाने कब कॉलेज पहुंच गया कुछ लोगो से मिलने के बाद वो पुस्तकालय पहुँचा कुछ पुस्तके ढूंढ रहा था,सामने उसका क्लासमेट राज आया बोला
"अमेय क्या ढूंढ रहे ही यार" -राज
अमेय- "कल मैंने यहाँ पर एक बुक देखी थी मनोवैज्ञानिक तथ्य के नाम से वही ढूंढ रहा हूँ!"
राज-यार वो बुक तो कल मैंने तेरे ही पास देखी थी!"
अमेय- "हाँ यार पर फिर मैं बुक यहाँ रख कर चला गया था कि आज लेकर जाऊँगा!"
राज - "तो फिर यहीं देख!"
अमेय- "नही हैं यार ये जगह खाली हैं न!"
राज - "क्या बात हैं कुछ परेशान हो!"
अमेय- "नही यार कुछ नही बस तबीयत ठीक नही हैं, यार चलता हूँ कुछ काम हैं आज!", कहकर अमेय वहाँ से चला गया।
इधर एक पार्क में अनामिका कुरकुरे का पैकेट खत्म करने के बाद उसकी नज़र गेट पर थी
अनामिका बिल्कुल ही भारतीय सभ्यता में अनुरूप में ढली हुई लड़की थी गोरी बड़ी से आँखे काले घने लंबे बाल और बहुत ही मधुर आवाज जैसे शहद घुला हो आवाज़ में उसकी।
कुछ लड़के पार्क में उसे देख रहे थे अनामिका ने उन्हें अनदेखा कर फोन करने लगी घंटी जा रही थी मगर कोई कॉल नही उठा रहा था,इधर पार्क के गेट पर अमेय आकर रुका- उसने अंदर प्रवेश किया अच्छी हाइट और बहुत ही खूबसूरत मोहक मंद मुस्कान उसके चेहरे पर थी वो आगे बढ़ा और
सीधा अनामिका के सामने - दोनों एक दूसरे के आमने-सामने थे , अमेय अपने अंदाज में बोला
अनामिका क्या हुआ बोलो यहाँ क्यों बुलाया कुछ बताओगी ?
अनामिका-उसके तरफ देखते हुये बोली- मैंने कल पुस्तकालय से मनोवैज्ञानिक तथ्य बुक इशु करवायी थी अच्छा तो उसमें मुझे कुछ मिला हैं तुम्हारे बारे में,
अमेय- क्या? क्या मिला हैं तुम्हे
अनामिका ने अपनी ही फ़ोटो जो अमेय न पेंसिल से बनाई थी बहुत ही मेहनत से वो उसके हाथ मे थी, इस बारे कुछ कहना चाहते हों
अमेय- उसकी तरफ से नज़रें चुराता हुआ दूसरी तरफ देखता हैं तो,
अनामिका- नज़रे वही चुराता हैं जिसके दिल मे कुछ हो कहने को,
अमेय-तुमसे कहने को बहुत कुछ हैं अनामिका मगर अपनी प्रतिष्ठा और ज़िम्मेदारी का ध्यान में रखकर कहने को डरता हूँ
अनामिका- क्या कहना चाहते हो मैं समझती हूँ
तुम्हारी आँखों मे और चेहरे पर दिखता हैं
अमेय-मुझे पता था तुम समझ जाओगी
इसलिए मैं तीन साल तक शांत रहा क्योंकि जब किसी को चाहते या प्यार करते है तो उसकी आत्मा देखते हैं न की ज़िस्म। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ अनामिका आई लव यू, इतना कहकर
जैसे ही अमेय उसकी तरफ मुड़ा तो उसने देखा वहाँ पर सिर्फ मिट्टी पड़ी हुई थी वो सोचता रह गया आखिर अनामिका गई कहॉ। दूसरे ही पल अमेय को उसकी पत्नी ने जोर से झकझोर कर हिलाया वो पूरी तरह से पसीने में डूबा हुआ था फिर सामने उसकी पत्नी अंजली बैठी थी क्या हुआ अमेय- आज फिर कोई सपना देखा क्या और इस तरह से कॉलेज का वो दिन मेरे सपने में बार आता रहा यादगार लमहों की तरह ,जब मैं अनामिका के साथ सपनो में कॉलेज के दिनों का पूरा सफ़र तय करता रहा और हर पल कॉलेज की ज़िंदगी को जीता रहा सपनो में अनामिका और वास्तव में अंजली के साथ।

