Priya Shukla

Romance

4.1  

Priya Shukla

Romance

कनपुरिया लव स्टोरी -1

कनपुरिया लव स्टोरी -1

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दोस्तों हमारा नाम रोहित है। आइ आइ ऐम इनदोर के आख़िरी वर्ष के विद्यार्थी हैं और कानपुर के रहने वाले हैं।दिखने में बहुत काफी हैंडसम हैंऐसासबी बोलते हैं लेकिन स्वभाव से थोड़े शर्मीले हैं या यूं कहिए कि बड़े छुपे रुस्तम हैं बाक़ी के कामों में। पढ़ाई में हमेशा टॉपर रहे और थोड़ा मम्मी का बेलन हमारे पिछवाड़े में रहता था तो अब उस सबकी बदौलत यहाँ तक आ गए हैं।हमारी बातचीत का तरीक़ा बड़ा ही साधारण है एकदम अपने कनपुरिया मिज़ाज के हैं और बड़ा प्रेम भी है कानपुर से तो एकदम शान से कनपुरिया बनके रहते हैं। हमारे कॉलेज में भी लोग हमें कनपुरिया भाई जी बुलाते हैं।ऐसा नहीं कि हमें अंग्रेज़ी बोलना नहि आता, एकदम लल्लन टॉप अंग्रेज़ी बोलते हैं लेकिन जहाँ मौक़ा हो वहीं बाक़ी तो अपना कनपुरिया लहजा ही हमें बड़ा पसन्द हैं या यूँ कहो शान है। 

“भैया ज़रा जल्दी चलाइये टैक्सी हमारी ट्रेन नहीं छूटनी चाहिये,एकलौते मामा की शादी है और हम कतयी अफ़ॉर्ड नहीं कर सकते हैं आज की ट्रेन मिस करना” रोहित ने ज़रा चिल्लाते हुए टैक्सी वाले को बोला।

कल मामा जी की शादी में हमें समय से पहुँचना है , सॉरी एकलौते मामा की शादी में तो हमाई उत्सुकता आप समझ सकते हैं। पाँच बहनों में एकलौते भाई हैं गोलू मामा जिनकी कल शादी है कानपुर मे। बड़े मानग़न से उनका रिश्ता तय हुआ है सो सब बहुत ख़ुश हैं सब अच्छे से निपट जाए। रोहित की मम्मी सबसे बड़ी बहन हैं और रोहित सबसे बड़े भाँजे हैं गोलू मामा के इसलिए बड़े ही क़रीब भी हैं मामा जी के तो इनके बिना मामा घोड़ी पर भी ना बैठेंगे।

उधर से रोहित की मम्मी अलका जी का फ़ोन आ गया “ हाँ रोहित अरे निकले कि नहीं तुम, तुम्हारा तो राग ताग नहीं समझ आता है हमें, अगर आज पहुँच जाते तो कितना बढ़िया होता, अब कल सुबेरे भी तुम टाइम से पहुँच जाओ तो हम बाबा आनन्देश्वर का परसाद चढ़ायें” रोहित थोड़ा झल्लाते हुये” अरे मम्मी काहे इतना फ़ालतू परेशान हो रही हो, हम जब कहि दिये कि हम सुबेरे सुबेरे पहुँच जाएँगे आप कतयी टेन्शन ना लेओ” मम्मी “ वाह बेटा हम अगर टेनसनियाते नहीं तो आज तुम्हारा अड्मिशन वहां नहीं होता यहीं कानपुर में ही सड़ रहे होते कहीं सरकारी डिग्री कॉलेज में, गाड़ी में बयिठ जाना तब हमें एक बार बता देना गाड़ी पर भरोसा है तुमपे नहीं है” अलका जी एकदम तंज भरे शब्दों में बोलीं। रोहित भी ग़ुस्से में बोला “आपका प्रवचन हो गया तो फ़ोन रखिये माता जी, सुबह में मिलते हैं आपसे, और हाँ सुनिये नाश्ते में गरम गरम आलू पराँठे बनवा देना।” मम्मी ने बिना बात पूरी हुये ही फ़ोन काट दिया।

ख़ैर जैसे तैसे टैक्सी वाले ने ट्रैफ़िक को मात देकर रोहित को ट्रेन के समय से सात मिनट पहले स्टेशन पहुँचा दिया। रोहित बड़े ख़ुशी से टैक्सी वाले को थैंक्स बोलकर उसे सौ रुपए टिप देके दौड़ा अपने प्लैट्फ़ॉर्म की ओर। बस सिग्नल होने के दो मिनट पहले ही रोहित ट्रेन में घुस गया। ट्रेन सीधा उज्जैन से आ रही थी तो तमाम बाबा बैरागी लोग या फिर तीर्थ यात्री ही थे उस थर्ड ए सी कोच में। अपनी सीट लपकते हुये रोहित बाबू जाके बैठे और चैन की साँस ले ही रहे थे कि अलका जी को कहाँ चैन था, फिर फ़ोन आ गया “ हाँ बेटू ट्रेन मिल गयी” रोहित थोड़ा मज़ाक़ वाले मूड में बोला “ मम्मी आप चिन्ता ना करो, हमाये एकलौते गोलू मामा कल ही बकरा बनेंगे काहे से उनके सबसे प्यारे भाँजे ट्रेन में बयिठ चुके हैं” अलका जी “ तुम बहुत मस्तियाने लगे हो और थोड़ा हँसते हुये बोलीं अब बस मामा के बाद तुम्हारा नम्बर है सुन रहे हो” रोहित थोड़ा चिड़चिड़ाते हुये बोला” हाँ मम्मी वैसे ये ख़याल भी बढ़िया है” रोहित ने खट्ट से फ़ोन काट दिया और उधर से अलका जी को लगा कि हाँ अब रोहित बाबू शादी के लिये तैयार हैं।

ट्रेन पूरी रफ़्तार से दौड़ने लगी थी, रोहित अब आराम से अपनी खिड़की वाली सीट पर बैठकर मोबाइल हाथ में लिये चला रहे थे, बाहर लगभग अन्धेरा हो चुका था। थोड़ी ही देर में ट्रेन भोपाल स्टेशन पर रुकी और कुछ और सवारी रोहित के कोच में भी चढ़ीं। रोहित अपने मोबाइल पर व्यस्त थे तभी एक बड़ी ही तेज़ तर्रार आवाज़ उनके कान में गूँजी “इक्स्क्यूज़ मी” रोहित जैसे ही मुड़ा उसके चेहरे से सारे भाव ग़ायब हो गए एक टक उसे देखता ही रहा, साँवली सीमनमोहिनी सूरत दुबली पतली क़द काँठी लम्बे सुनहरे बाल लेकिन आवाज़ ऐसी कड़क कि ना देखो तो जैसे किसी बड़ी उम्र वाली पुलिस ऑफिसर ने आवाज़ लगायी हो, रोहित अभी अचंभे में ही था तभी उसने दोबारा कहा”हेलो मैं आपसे ही बोल रही मिस्टर” रोहित एकदम अपनी फ़ॉर्म में वापिस आते हुये बोला “हाँ जी मैम बतायें” रोहित बड़े प्यार से बोला। “ये खिड़की वाली सीट मेरी है तो आप ज़रा वहाँ से शिफ़्ट हो जाइये अपनी सीट पर” एकदम बुलन्द और कर्कश आवाज़ में लड़की ने बोला। रोहित मन ही मन बड़बड़ा रहा था “ भगवान बिचारी के साथ बहुतयी बुरा किये, इतनी भोली सूरत और आवाज़ से एकदम ही लड़ासी। लेकिन कुच्छो कहो भैया है बड़ी भोंकाली। देखो कयिसे कोच में आते ही हर आदमी का ध्यान मैडम जी अपने पर खींच ली है सबके चारों तरफ़ अयिसे लग रहा था जयिसे वायलिन बज रहे थे। ख़ैर हमें का लेना देना रोहित सीट के दूसरे कोने में जाकर दुबक के बैठ गया। थोड़ी देर में लड़की भी अपनी खिड़की वाली सीट पर सेट हो गयी और वो भी अपना मोबाइल हाथ में लेकर कान में हेड्फ़ोन लगाकर कुछ सुन रही थीं और साथ में कुछ देख भी रही थी। तब तक उसका फ़ोन बज गया, शायद उसकी माँ का फ़ोन था,” हाँ मम्मा हम बैठ गये हैं आराम से ट्रेन में, आप बिल्कुल भी चिन्ता मत करो मैं सुबह पहुँच कर आपको फ़ोन करती हूं, बस आप एक बार बुआ जी का ऐड्रेस मेसिज कर दो। तान्या दीदी को बोलना वो कर देंगी। उधर से माँ ने बोला बेटा अपना ध्यान रखना इधर से बेटी ने बोला जी मम्मा आपकी सौम्या अब बड़ी हो गयी है इतना चिन्ता मत करो” उनकी बातें आस पास बैठे सब लोग सुन रहे थे रोहित फिर से मन में बड़बड़ाया” इनको देख लो ज़रा ,कतयी परवाह नहीं हैं अग़ल बग़ल बयिठे लोगों की अब इनका नाम सबको पता है भैया ये हैं ग़ज़ब भोंकाली सौम्या मैडम सबके मुँह देख के तो यही लग रहा था कि कब सब के सब जाकर उन्हें आइ लव यू सौम्या बोलने वाले हैं।

ख़ैर थोड़ा समय बीता और रोहित को आने लगी नीन्द तो सोचे लाओ सौम्या जी से कहें कि सीट खोलें क्या लेकिन हिम्मतयी जवाब दे गयी, घुसी हयीं थी अपनी किसी किताब में और कानों में हेड्फ़ोन भी चढ़ाये बयिठी थीं।थोड़ी देर इन्तज़ार के बाद वहीं सीट पर टेक लेके भैया बयीठे बयीठे ही सो गये। जब अचानक से कान में आवाज़ पड़ी चाय गरम चाय तो रोहित की आँख खुली देखा गाड़ी किसी स्टेशन पर खड़ी थी। सौम्या जी भी जाग रहीं थीं किताब बन्द थी और खिड़की के बाहर टुकुर टुकुर निहार रही थीं बयिठी।अब सोने के बाद रोहित अन्दर का कनपुरियापन थोड़ा जाग गया और सोचा चलो थोड़ा मैडम से बात की जाये।चूँकि मैडम को देखके नहीं लग रहा था कि उन्हें कहीं दूर दूर तक नीन्द आ रही थी। रोहित ने धीरे से कहा इक्स्क्यूज़ मी मिस उन्होंने घूरते हुए देखा भौवें अपनी ऊपर चढ़ाये यस बोलिये मैंने कहा “जी दरसल हमें नीन्द आ रही थी तो क्या आप...इससे पहले मैं अपनी बात पूरी कर पाता सौम्या जी तो बौखला उठीं और झिड़क पड़ी हमाये ऊपर “ व्हाट डूयू मीन, नीन्द आ रही तो सोईए ना आप क्या मैं आपको लोरी सुनाऊँगी “ उनकी रफ़्तार थामते हुये हम बोले अरे नहीं नहीं आपने हमायी पूरी बात नहीं सुनी हमें ये बीच वाली सीट खोलनी है और बिना सुने आप तो हमायी क्लास ही लगा दीं” सौम्या को अपने कहे पर थोड़ी शर्मिंदगी महसूस हुयी तो उसने सारी बोला रोहित को फिर बोली जी बस अगले स्टेशन तक बैठिए हम कुछ खाना लेलें और फिर आप सो सकते हैं। अभी क़रीब रात के नौ बज चुके थे, ज़्यादातर लोग सो ही गए थे बस एक आधे ही अधजगे बैठे थे सौम्या जी के सोने का इन्तज़ार कर रहे थे हमारी तरह अरे भैया हम तो सो ही नहीं सकते थे क्यूँकि मैडम उठेंगी तभी हमें सीट मिलेगी ना वो बीच वाली. अब हम भी चुपचाप बायिठकर अपना मोबाइल निहारने लगे तब तक गोलू मामा का फ़ोन आ गया, जी हाँ वही मामा जिनकी कल शादी है “हेलो रोहिते बेटा तुम यार अभी तक आये नहीं अयीसे कयिसे काम चलेगा यहाँ सुबह से सब भड़भड मची है तुम्हायी कमी है यार, मामी तुम्हायी चार बार पूँछ चुकी हैं समझे भाई भाँजे साहब कहाँ है” रोहित”अरे मामा बोलने तो दो यार हमें, बस गाड़ी में बयिठ चुके हैं और कुछ ही घण्टों की दूरी है कानपुर से ,भला आपकी शादी हमाये बिना हो सकती है क्या यार कईसी बात कर दिये आप। अच्छा और सुनो ज़रा वो तैयारी सब है ना , कुछ कमी बेसी तो हमें बताओ हम सब जुगाड़ करते हैं आके” मामा “ यार तुम्हारी मामी कह रही हैं कि डान्स करो कल साथ में और यार हम आजतक कभी डान्स नहीं किए गुरु बताओ ज़रा कुछ तुम्हीं हो जो कुछ कर सकते हो अब” रोहित “आप चिन्ता ना करो कतयी अब आपके परम संकट मोचन कानपुर पधार रहे सब निपटवा देंगे” रोहित ज़ोर ज़ोर से हंस रहा था और सौम्या रोहित को घूर रही थी और मन में सोच रही थी कितनी ज़ोर ज़ोर से बात करता है दिखने में हैन्सम है लेकिन ज़ुबान से तो एकदम जाहिल ही है। उधर रोहित का फ़ोन ख़त्म हुआ फ़ोन रखते हुये उसने सौम्या की तरफ़ देखा और बोला “कल हमारे मामा की शादी है कानपुर में बस उन्ही का फ़ोन आया था” सौम्या थोड़ा हँसते और सार्कास्टिक हँसी के साथ बोली “ जी मैंने सुना सब और आप उनके डान्स का जुगाड़ कराने वाले हैं” हाहाहा दोनो ज़ोर से हँसे रोहित “आपको पता है ना सौम्या जी हर चीज़ का जुगाड़ होता है हम कनपुरियो के पास। सौम्या ने हँसते हुये कहा तो “मामा के डान्स का जुगाड़ कैसे कर रहे हैं आप” रोहित थोड़ा सर खुजाते हुये बोले “ अब बोले हैं तो कुछ तो करना होगा, वैसे बुरा ना मानें तो क्या आप ही कुछ सुझाओ ज़रा” सौम्या थोड़ा उसके ऊपर हँसी और बोली “अभी तो सब जुगाड़ था अब कहाँ गया। रोहित का निराश चेहरा देखकर सौम्या हसंते हुए बोली अच्छा रुकिए मैं आपको कुछ यूटूब पर दिखाती हूँ कल हमारी भी बुआ जी की बेटी की शादी है , दीदी ने ये डान्स तैयार किया है तो इसमें जो लड़के के स्टेप्स हैं हो सकता है आपके कुछ काम आएँ” दोनो सौम्या के मोबाइल पर विडीओ देखने लगे गाना बज रहा था 

कहते हैं खुदा ने इस जहाँ में सभी के लिए

किसी ना किसी को है बनाया हर किसी के लिये

तेरा मिलना है उस रब का इशारा

मानो मुझको बनाया तेरे जैसे ही किसी के लिये

कुछ तो है तुझसे राबता-२

कैसे हम जाने हमें क्या पता कुछ तो है तुझसे राबता

गाना सुनते सुनते हमारे रोहित बाबू भी एकदम यही सोच रहे थे कि शायद सौम्या का आज यूँ मिलना भी कोई इत्तेफ़ाक ही नहीं बल्कि ऊपर वाले का इशारा है। उधर सौम्या पूरी तरह से डान्स के स्टेप्स का मज़ा ले रहीं थी। दोनो ने शान्त होकर डान्स देखा रोहित के मन में कुछ अलग ही डान्स चल रहा था। ख़ामोशी तोड़ते हुये सौम्या ने बोला “ कैसा लगा, ज़्यादा मुश्किल भी नहीं है तुम्हारे मामा भी कर सकते हैं।” रोहित को थोड़ा सा धक्का देते हुये सौम्या बोली “ कहाँ खो गये तुम, कहीं तुम वहाँ ख़ुद को तो इमैजिन नहीं कर रहे थे” ज़ोर से हँसते हुये सौम्या इतनी अच्छी लग रही थी कि रोहित से रहा नहीं गया और उसने बड़ी हिम्मत करके कहा “सौम्या जी बहुत सुन्दर दिखती हैं आप जब खिलखिलाकर हँसती हैं एकदम कल कल करते झरने की तरह, आपको देखकर पहली नज़र में नहीं लगा था कि आप इतना हँसती भी होंगी” रोहित की बात सुनकर सौम्या एकदम शान्त हो गयी और कुछ देर के लिये खिड़की के बाहर देखने लगी। रोहित को समझ नहीं आया क्या करे, ऐसा क्या बोल दिया कि सौम्या इतना शान्त हो गयी।


तभी गाड़ी एक स्टेशन पर जाकर रुक गयी रात के क़रीब साढ़े दस बज चुके थे। जल्दी से रोहित बाहर गया और दो डब्बे खाने के और एक चाय वाले को साथ लेकर आया। उसने सौम्या की ओर इशारा करते हुये चाय वाले से कहा “भैया ज़रा एक कड़क चाय मैडम जी को दीजिये तो” सौम्या ने पलटकर कहा “ शुक्रिया रोहित लेकिन मै चाय नहीं पीती” रोहित ने चाय वाले से दो कुल्हड़ में चाय ली और चाय वाले को जाने दिया। ट्रेन चल दी थी। सौम्या की नज़र धुआँ उड़ते हुए चाय के कुल्हड़ों पर पड़ी तो रोहित से बोली “दो चाय क्यूँ मैंने तो माना किया था” रोहित बड़ी मासूमियत से बोला एक हमारी और एक उनकी और चेहरे पर थोड़ी शर्मीली सी मुस्कान थी” सौम्या थोड़ा आश्चर्य भरे भाव से पूछती है “उनकी किसकी? यहाँ तो मेरे अलावा और कोई नहीं और मैंने तो मना किया था फिर" रोहित हँसा और बोला “ ये हमारी काल्पनिक चाय संगिनी के लिये जो है नहीं लेकिन हम चाय अकेले नहीं पीते तो जब कोई चाय पर साथ नहीं देता हम दूसरा कप सामने रख लेते हैं उन्हीं से बतिया भी लेते हैं और दोनो चाय हम खुदहि पी लेते हैं”सौम्या को रोहित की मासूमियत पर हँसी भी आ रही थी और थोड़ा प्यार भी वो बोली “आवव बड़े जज़्बाती क़िस्म के हैं आप रोहित जी” रोहित अपना सर खुजलाने लगा पीछे और सौम्या से बोला “ आज भर के लिए हमारी चाय संगिनी बन जाइये ना, हमें बहुत अच्छा लगेगा” सौम्या बोली “ वैसे मुझे चाय से परहेज़ नहीं है बस किन्हीं क़ारनो से चाय पीना बन्द कर दिया” रोहित हँसकर बोला “ सौम्या जी बुरा ना माने तो एक बात कहूँ” सौम्या ने बोला “ अब बिना सुने मन नहीं मानेगा इसलिए कह दीजिए” रोहित बोला “ आप जैसा ख़ुद को दिखाती हैं वैसी नहीं हैं” सौम्या थोड़ा हड़बड़ाते हुये “ क्या मतलब है आपका, मैं दिखावटी लगती हूँ आपको” और सौम्या ने चाय का एक घूँट लिया और कई प्रश्नचिन्ह उसके चेहरे पर थे। रोहित मुस्कुराया और बोला “ देखो आपको चाय कितनी ज़्यादा पसन्द आयी अपने जैसे घूँट को अन्दर लिया तो वह सुकून हमने देख लिया और फिर आप वापिस अपने दिखावटी रूप में आ गयीं” सौम्या के बदलते हावभाव देखकर उसने तुरन्त बोला “रिलैक्स हो जाइए मैडम हमारा इरादा आप पर जासूसी करने का बिल्कुल नहीं था बस आपकी चोरी पकड़ ली हमने” सौम्या एकदम निशब्द थी और फिर दोनो ने चाय की चुस्कियाँ लेते हुये महोल को थोड़ा बदला और फिर रोहित पूछने लगा सौम्या के बारे में और जांनने की कोशिश करता है तो सौम्या बताने लगी कि वह एक सरकारी बैक में नौकरी करती है और अभी कुछ दिन पहले ही तबादला हुआ है यहाँ भोपाल में बतौर ब्रांच ऑपरेशन मैनेजर। रोहित भी उसे अपने बारे में बताता है कि वह आईआईएम का अन्तिम वर्ष का विद्यार्थी है और उसे बैंगलोर में एक मल्टीनैशनल कम्पनी में जॉब मिली है जो उसे तीन महीने बाद शुरू करनी है। लेकिन हो सकता है वह अभी आगे और पढ़ायी करे, कुछ बाहर की यूनवर्सटीज़ में इग्ज़ाम दिया है यदि सलेक्ट हो गया तो देखेगा। चाय ख़त्म होते ही सौम्या ने रोहित को थैंक्स बोला "रोहित दिल से शुक्रिया बड़े दिनो बाद इतनी अच्छी चाय पीने को मिली और एक अच्छा चाय पार्ट्नर भी" फिर दोनो थोड़ा मुस्कुराए एक दूसरे को देखकर रोहित ने बोला” सौम्या जी हमें भी एकदम पर्फ़ेक्ट लाइफ़ पार्ट्नर सारी हमारा मतलब है चाय संगिनी मिली आज, तो आपका भी शुक्रिया। दोनो ने साथ में खाना खाया और फिर सौम्या ने रोहित से पैसे पूछे खाने और चाय के तो रोहित ने कहा “अरे सौम्या जी रहने दीजिएगा आप हमें अच्छा नहीं लगेगा अगर आप पैसे देंगी तो” सौम्या ने कहा “ अच्छा तो मुझे भी नहीं लगेगा अगर आपने पैसे नहीं लिये और फिर हम ना रिश्तेदार हैं और ना दोस्त हैं किस हक़ से आप मेरी ख़ातिरदारी कर रहे हैं” रोहित “ नहीं हैं तो आज से शुरूवात करते हैं दोस्ती की, और अगर आपको मंज़ूर है तो फिर एक दिन कानपुर में मिलकर हमें चाय पिला दीजियेगा” सौम्या कुछ सेकंड्ज़ शान्त रही और फिर बोली “ चलो मुझपे उधार रही तुम्हारे साथ एक चाय” रोहित “ वाह ये हुयी ना दोस्तों वाली बात” रात के साढ़े ग्यारह बज चुके थे दोनो की आँख में नीन्द नहीं थी। एक बाबा सामने वाली सीट से उठे और उन्हें बाथरूम जाना था लेकिन पाँव में दर्द के कारण ज़्यादा चल नहीं पा रहे थे रोहित ने उन्हें मदद की “ अरे बाबा अब आयिसि उम्र में काहे अकेले यात्रा करते हो, किसी को संग में रखा करो” फिर रोहित उन्हें बाथरूम लेजाकर वापिस आया। सौम्या रोहित को देखकर बहुत ख़ुश थी उसका इतना हेल्पिंग नेचर उसे बहुत अच्छा लगा।सौम्या ने रोहितको पूँछा यदि वो सोना चाहे तो सो सकता है रोहित ने ना में सर हिला दिया और फिर सौम्या को भी नीन्द नहीं अा रही थी, खिड़की से बाहर झाँकते हुए कहीं तो किसी पुराने ख़यालों में खोयी थी। उधर हमारा रोहित सौम्या के ख़यालों में खोया था। कब दोनो की आँख लग गयी पता ही नहीं चला। 

क्रमशः

*उम्मीद है रोहित सौम्या का ट्रेन का सफ़र आप सभी को पसन्द आया होगा। कुछ सुझाव हो तो जरूर दें और कृपया अपनी प्रतिक्रिया देना ना भूल इस कनपुरिया स्टोरी के बारे में।

हम भी कानपुर से हैं तो बड़ा लगाव है हमें भी अपने कानपुर से।



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