खुशियां लौट आईं

खुशियां लौट आईं

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अरे रमेश जल्दी करो भई, जल्दी चलो बहु राह देख रही होगी,आज मै अपनी बहु को फुलो की डोली मे बैठा कर लाऊँगी, बहुत तकलीफ दी है ना मैने अपनी बहु नही, नही बेटी को,वो मेरी बहु नही बेटी है, बहुत बुरी हूँ ना मै, नही माँ..... जो हो गया उसे भूल जाओ,

अब सब ठीअ हो रहा है ना, कैसे भूलूँ मै वो दिन, जब तेरी बहन राशी की शादी पर अपने आप ही बिन बुलाए अपना फर्ज समझ कर आ गई थी, और वो दिन जब वो बार-बार गु़हार लगा रही थी मुझसे कि माँ मै आपकी बेटी जैसी हूँ मुझे मत निकालो घर से,मेरा कसूर क्या है ??? जो भी मेरा कसूर है आप मुझे सज़ा दिजिए,लेकिन मुझे घर से मत निकालिए और मैने एक ना सुनी । और रमेश खो गया अतीत के ख़्यालों में, सुबह - शाम जब भी देखो माँ हर समय राशी को बुरा- भला कहती रहती,

उसके हर काम में नुक्स निकालना और हर वक्त डाँटना तो माँ का जैसे बस यही काम रह गया था, राशी ने पूरे घर को सँभाल रखा था,हर काम बड़े तरतीब से करती फिर भी माँ कोई ना कोई गल्ती निकाल ही देती और राशी को डाँटने का यौका मिल जाता माँ को । एक दिन तो हद ही हो गई माँ ने साफ-साफ कह दिया या तो हमारे साथ रहो या अपनी बीवी के साथ, मै भी क्या करता अकेला सहारा माँ-बाप का उन्हे भी नही छोड़ सकता,

मैं निरूत्तर हो गया, राशी ने ही फैसला कर दिया कि आप माँ -पापा के साथ रहो, और वो चली गई, मेरी छोटी बहन अनु की शादी तय हो गई, मैंने माँ को शादी पर राशी को बुलाने को कहा तो मुझे ही बुरा -भला कहने लगी माँ, तो मै चुप रहा,लेकिन राशी खुद ही चली आई है अपनी ननद की शादी की तैयारियां करने और माँ के कुछ भी कहने का बुरा ना मान कर शादी तक यहीं रूकी और शादी के बाद वापिस लौट गई, लेकिन एक दिन में अचानक माँ पर तो जैसे पहाड़ ही टूट पड़ा।

अनु अचानक आई और माँ से बोली कि मेरी सास ने मुझे घर से निकाल दिया, और हर समय मेरे साथ झगड़ा करती थी, माँ ने कहा ऐसे कैसे वो तुझे तेरे घर से निकाल सकते है,  क्यो भाभी को भी तो आपने उसके घर से निकाला है ऐसे ही मेरी सास ने भी वही किया।

माँ के दिल को ठेस लगी अनु की बातों से, सोचने लगी कि राशी भी तो किसी की बेटी है जब मैने उसे घर से निकाला था क्या बीती होगी उसके माँ-बाप पर, कैसे गई होगी वो भी अपना घर छोड़ कर उसी पल माँ ने फैसला किया कि वो खुद जा कर बहु को प्यार से उसके घर वापिस लाएगी। हम सब जाकर राशी को लेआते है तो माँ कहती है कि चलो राशी अपने घर वापिस आ गई मेरी खुशियां लौट आई अब अनु को उसके घर भेज कर उस घर की खुशियाँ भी लौटाते है, नहीं माँ मै खुद चली जाऊँगी, मुझे किसी ने नही निकाला, ये सब मैने आप को रास्ता दिखाने के लिए किया था । कभी -कभी छोटो को भी बड़ों को समझाना पढ़ सकता है और इस तरह हमारी खुशियाँ लौट आई।


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