खुद को तलाशने कि कोशिश
खुद को तलाशने कि कोशिश
हम अक्सर दूसरों कि बुराई तलाशते रहते हैं, दूसरों के हर छोटे बड़े कामों में दखल देते रहते हैं और दूसरों को ज्ञान देते हैं हर इंसान दूसरों के लिए जज बनना चाहता है क्या कभी आपने अपने बारे में सोचा है या अपने गिरेबान झांक कर देखा है, कि? हम कैसे हैं या मैं कैसा हूं या कैसी हूं नहीं हम सबने तो दूसरों कि जिम्मेदारी ले रखी है कि उनको सुधारना है, जब तक आप और हम खुद नहीं सम्हालेंगे तब मेरी तो क्या किसी कि इतनी हिम्मत नहीं कि वो दूसरों को सुधार सके। मेरे हिसाब से होना तो ये चाहिए की जो उम्मीद हम दूसरों से रखते हैं वो खुद से रखें और बुराई दूसरे लोगों में नहीं बल्कि खुद में तलाशे, अगर दूसरों में कुछ तलाशने कि चीज़ है तो वो है अच्छा व्यवहार, अच्छे संस्कार, अच्छे और नेक कर्म लेकिन हम सब ये तलाशने कि बजाय बुराई ढूंढ़ते हैं जो कि बिल्कुल ग़लत बात है।
जिस अच्छे इंसान कि तलाश हम करते हैं उससे कहीं ज्यादा अच्छा है कि वो अच्छाई हम खुद अपने अंदर लाएं जिनकी उम्मीद औरों से रखते हैं इससे वो अच्छा इंसान हम को खुद अपने अंदर ही मिल जाएगा।
