खुबी और हुबी।
खुबी और हुबी।
खुबी और हुबी दोनों इकट्ठे स्कूल में पढ़ते हैं। दोनों बहुत नटखट हैं।तो कई बार मुसीबत में फंस जाते हैं। देखें यहां क्या होता है:-
खुबी: हाय हुबी। आज खाने में क्या लाया।
हुबी: कुछ भी नहीं। बस सुबह लेट उठा। बिना नहाए ही निकल आया।
खुबी: लाया तो मैं भी कुछ नहीं। सोचा था। अपने पक्के दोस्त हुबी का लंच बाक्स शेयर करूंगा। परंतु यहां तो तुम भी बिना लंच बाक्स के हो।
हुबी: भई! मैं तो आज बर्गर खाने का सोच रहा हूं ।मेरे पास पैसे हैं। लेकिन तुम?
खुबी:( बर्गर का नाम सुनते ही मुंह में पानी सोचता कोई तरकीब लगानी पड़ेगी) देखो हुबी! पता है। डाक्टर साहब कल स्कूल वीजीट पे क्या कह रहे थे। कि फास्टफूड खाने से बच्चों का भार बढ़ जाता है। और तुम तो आगे ही मेरे से दुगने क्या चौगुने हो।
हुबी: ये तो सच कहा। तभी क्लास में सारे मेरा मजाक उड़ाते हैं। और मुझे मोंटू कहकर पुकारते हैं। और बोलते हैं ।किस चक्की का खाते हो।
खुबी: ( मन ही मन मुस्कराया, कि तीर निशाने पे बैठा है) हां। देखो मैं तुम्हारा पक्का दोस्त हूं। मेरा तो फर्ज है। तुम्हें हर बात से आगाह करना।
हुबी: ( थोड़ा चिंता में) तो फिर खुबी मैं क्या करूं। तू तो मेरा पक्का दोस्त हैं। मेरा इतना ख्याल रखता है। तूम ही बता।
खुबी:( थोड़ा और दबाव बनाते हुए) देखो। मैं तो डाक्टर साहब की बात मानूंगा। चलो बर्गर लेकर किसी और को दे देंगे।
हुबी:( थोड़ा और परेशान, लेकिन बर्गर देखकर मुंह में पानी। होठों पे जीव फेरते हुए।) यार! बर्गर के लिए घर से पैसे कभी कभी मिलते हैं। कोई और तरीका बता।
खुबी:( मन में पुरी तरह खुश। कि अब हुबी मुट्ठी में है। उसे जैसे चाहे घुमा दूं) यार तू बहुत बड़ी मुसीबत में डाल देता है। फिर भी कोशिश करता हूं। सोचना पड़ेगा।
खुबी:( कुछ देर बाद) मुझे लगता है। एक आद भर खाने से कुछ नहीं होता।
हुबी:(जान में जान) लेकिन भार तो फिर भी बढ़ जाएगा। मैं सोचता हूं। आधा तेरे को दे दूंगा।
खुबी:( बांछें खिलती हुई) देख दोस्त! वैसे तो मैं खाता नहीं। लेकिन तेरे को कैसे मुसीबत में फंसा सकता हूं। चलो अगर तुम ऐसा सोचते हो। तो दोस्त का हुक्म सर आंखों पर।