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Surajsinh Vaghela

Action Crime Thriller

4  

Surajsinh Vaghela

Action Crime Thriller

खौफनाक रहस्य

खौफनाक रहस्य

3 mins
5

भाग 1: अनजान खतरा

रात का समय था और बारिश हो रही थी। अजय अपने ऑफिस से लौट रहा था। सड़कों पर सन्नाटा था और केवल बारिश की आवाज़ ही सुनाई दे रही थी। अचानक, उसकी गाड़ी का टायर पंचर हो गया। उसने गाड़ी रोकी और टायर बदलने के लिए बाहर निकला। तभी उसकी नज़र सड़क के किनारे खड़ी एक पुरानी हवेली पर पड़ी। हवेली का गेट खुला हुआ था और अंदर से अजीब-सी रोशनी आ रही थी।

अजय ने पहले तो इसे नजरअंदाज किया, लेकिन उसकी जिज्ञासा उसे हवेली के अंदर खींच ले गई। वह धीरे-धीरे अंदर गया और देखा कि हवेली के अंदर की दीवारों पर अजीब-अजीब चित्र बने हुए थे। वह जब और आगे बढ़ा, तो उसे एक कमरा दिखा, जहाँ एक पुरानी किताब रखी थी। किताब पर धूल जमी थी और उसका कवर फटा हुआ था।

भाग 2: रहस्यमयी किताब

अजय ने किताब को उठाया और उसे पढ़ना शुरू किया। किताब में लिखा था कि इस हवेली में एक भयानक रहस्य छुपा है। यहाँ कभी एक खुशहाल परिवार रहता था, लेकिन एक दिन अचानक सभी लोग गायब हो गए। कोई नहीं जानता था कि उनके साथ क्या हुआ। किताब में यह भी लिखा था कि जो कोई भी इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश करेगा, उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा।

अजय को अब थोड़ा डर लगने लगा था, लेकिन उसकी जिज्ञासा ने उसे आगे बढ़ने पर मजबूर कर दिया। उसने किताब को अपने बैग में रखा और हवेली के और अंदर की ओर बढ़ा। तभी उसे किसी के कदमों की आवाज सुनाई दी। उसने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था।

भाग 3: भयानक सच

अजय ने अपनी टॉर्च की रोशनी में आगे बढ़ना जारी रखा। हवेली के अंदर का माहौल बेहद डरावना था। चारों ओर अंधेरा और सन्नाटा था। अचानक, उसे एक कमरे के अंदर से रोने की आवाज सुनाई दी। उसने धीरे-धीरे दरवाजा खोला और देखा कि एक महिला सफेद साड़ी में बैठी रो रही थी। उसकी आँखें लाल थीं और चेहरा बेहद डरावना था।

अजय ने हिम्मत जुटाकर पूछा, "आप कौन हैं और यहाँ क्या कर रही हैं?" महिला ने धीरे-धीरे सिर उठाया और बोली, "मैं इस हवेली की आत्मा हूँ। मेरा परिवार इस हवेली में रहता था, लेकिन एक रात हम सभी पर हमला हुआ। मेरे पति और बच्चों को मार डाला गया और मुझे भी मौत के घाट उतार दिया गया। मेरी आत्मा यहाँ अटकी हुई है और मुझे मुक्ति चाहिए।"

भाग 4: अंतिम संघर्ष

अजय ने आत्मा की बात सुनकर उसकी मदद करने का वादा किया। आत्मा ने उसे बताया कि उसे हवेली के तहखाने में जाना होगा, जहाँ उसके परिवार की आत्माएँ बंद हैं। अजय ने हिम्मत जुटाई और तहखाने की ओर बढ़ा। वहाँ पहुँचते ही उसे भयानक दृश्य देखने को मिला। तहखाने में चारों ओर काले धुएँ की लहरें उठ रही थीं और उसके बीचों-बीच एक पुरानी मूर्ति रखी थी।

अजय ने मूर्ति को छूते ही अचानक तेज़ हवाएं चलने लगीं और कमरे में अंधेरा छा गया। आत्माएँ चीखने लगीं और चारों ओर हलचल मच गई। अजय ने अपनी पूरी ताकत लगाकर मूर्ति को उठाया और मंत्र पढ़ना शुरू किया। धीरे-धीरे आत्माएँ शांत हो गईं और हवेली में रोशनी फैल गई।

आत्मा ने अजय को धन्यवाद दिया और कहा, "अब हम सभी मुक्त हो गए हैं। तुम्हारे साहस और हिम्मत के लिए धन्यवाद।" अजय ने राहत की सांस ली और हवेली से बाहर निकल गया। उसके दिल में अब भी उस रात की घटनाएँ बसी थीं, लेकिन उसे गर्व था कि उसने एक भयानक रहस्य को सुलझा दिया था।

समाप्त


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