Sunil Gajjani

Tragedy

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Sunil Gajjani

Tragedy

कहानी

कहानी

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हाँ तो अब मैं एक युवा कवयित्री को कविता पाठ.के लिए आवाज दे रहा हूँ तो.मैं इनके सम्मान में सिर्फ इतना ही कहना बहुत होगा कि ये बेहद गंभीर लिखती हैं और सवाल.छोड़ जाती जाती हैं अपनी कविताओं के माध्यम से कि ऐसा क्यूँ ? खैर , ये भी हमारी संस्थान का सौभाग्य है की आज खुले मंच पर कवयित्री रुप में इनका पर्दापण हो रहा है तो चाहुंगा की करतल ध्वनि से इनका जोरदार स्वागत कीजिये !" कवयित्री माईक पास आ खड़ी हो गयी सभागार करतल ध्वनियों से गुंजायमान हो रहा था ! कवयित्री मंचस्थ कवियों को सभागार वंदन ,अभिंनन्दन शब्दों की.बजाय़ आंगिग भावों से अभिव्यक्त कर रही थी ! शब्द मौन थे इस समय , ये देख सभागार फुसफुसाहट होने लगी !

' अरे माईक.अच्छों-अच्छों को हिला देता है !''

'' अरे कविता कवि की पीड़ा होती है ,सीचता है वो अपनी गहरी अनुभूति से !'' 

कवयित्री अपनी डायरी हाथों.में थामे कभी मंच को तो कभी सभागार को देखती !

' अनुभूतियां उम्र नहीं देखती , ये आज की कविता है कृपया आप प्रोत्साहन कीजिये ! सुनिये ,शाबास बेटा ! '' मंचस्थ वरिष्ठ कवि सभागार को.शांत करते हुए निवेदन किया !

अब एक दम शांति कवयित्री वाचन करने लगी !

' मेरी पहली.कविता का शीर्षक है भूर्ण हत्या .....!'' इतना कह वो.सिसकने लगी ! सभागार ,मंच सब हैरान कुछ क्षण एक दम सन्नाटा फिर मंचस्थ वरिष्ठ कवि ने खड़े हो ताली बजायी और ये देख पूरा सभागार खड़े हो अनुसरण करने लगा मुक्त कंठों से सराहना करते हुए! सिसकियों ने मानो उसकी कविता पूरी कर.दी.! 



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