खाली जेब
खाली जेब
शहर का शहर का नामी पैसे वाला सेठ धनीराम
शहर का कोई भी ऐसा जना नहीं था जो सेठ धनीराम को ना जानता हो।
सभी लोगों को ज्ञात था किसे धनीराम के पास बहुत धन दौलत है वह चाहे तो सब को खरीद सकता है शहर में ही उसके ना जाने कितने बंगले और कितने शोरूम थे।
एक बार धनीराम के शहर में सामान्य से अधिक वर्षा हुई निचले वर्ग के घरों में पानी भर आया रहने खाने के लाले पड़ गए।
बाढ़ से पीड़ित लोगों को इस आपदा और दुख की घड़ी में सेठ धनीराम का याद नाम ही याद आया सभी पीड़ित सेठ धनीराम के यहां मदद के लिए पहुंच गए।
सेठ धनीराम को संदेशा भेजा गया से धनीराम जी बौखलाए
अपनी बालकनी से खड़े होकर चिल्लाए मैंने कोई धर्मशाला नहीं खोल रखी नहीं मेरे पास कोई गोदाम भरे पड़े हैं जो मैं तुम लोगों की मदद करूं जाओ उन मंत्रियों के पास जाओ जिनको वोट देकर तुम जीतते हो सब लोग धनीराम की ऐसी बातें सुनकर वहां से उल्टे पांव लौट चलें और कहने लगे ऐसा पैसा भी किस काम का जो किसी के काम ना आ सके गोदामों में पड़ा हुआ अन्न सड़ रहा है मजाल है जो किसी भूखे को दे दे।
तभी उनमें से एक पीड़ित बोला सेठ धनीराम नहीं ये तो सेठ गरीबदास है इनसे तो अच्छे हम हैं जो एक के घर में चूल्हा नहीं जलता तो दूसरा पड़ोसी उसे खाने को कुछ दे आता है।
अरे लगता है इसकी जेब खाली है।
