Nikki Sharma

Inspirational

4.2  

Nikki Sharma

Inspirational

जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे

जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे

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रवि ने नीतू के हाथों को अपने हाथ में लेकर अपने होंठों से लगा लिया। कितनी बार उसने चूमा पर नीतू पर कोई असर ही नहीं हो रहा था।

"नीतू...यार उठ जाओ अब प्लीज...ऐसे मत करो। देखो मेरा दिल कितनी जोर जोर से धड़क रहा है...देखो ना नीतू" रवि नीतू के हाथ को अपने सीने के पास रखते हुये बोला।

रवि की आँखें नम थी, क्यों नहीं.. उसने नीतू का ध्यान रखा था ! नीतू ने कई बार उसे अपनी परेशानी बताई थी ! पर उसने तो ध्यान ही नहीं दिया था। हमेशा बस अपने काम का ही रोना रोता रहा। कितनी बार उसने अपने पेट दर्द और ज्यादा ब्लीडिंग की शिकायत की थी, पर हर बार उसने अनसुना कर दिया था। यह लापरवाही आज उसे बहुत याद आ रही थी।

पुरानी बातें उसे याद आने लगी। अभी तो दिवाली पर घर की सफाई और क्या क्या बनाना है यह सब तैयारी सोच के रख रही थी वह। पर उसकी तबीयत मेरी लापरवाही के कारण ही ज्यादा खराब हो गई और अब हॉस्पिटल में है। बेसुध सी...ज्यादा कमजोरी से उसे चक्कर आने लगे थे तब डॉक्टर से सारा चेकअप करवाया और रिपोर्ट में जो आया रवि और नीतू दोनों के होश उड़ गए थे।

बच्चेदानी में कैंसर था। नीतू तो जैसे पागल सी हो गई सोच सोच के अब....उसके बच्चों का क्या होगा... बस उसकी आँखों से आँसू ही नहीं सूख रहे थे। कैंसर नाम से ही आधी जान चली गई थी उसकी। अपनी मौत उसे पल पल करीब नजर आ रही थी। पर रवि ने पूरा साथ दिया।

सासू माँँ ने सब सभांल लेने की जिम्मेदारी ले ली। बड़े प्यार से उसे अपनी ममता दी। उन्हें पता था आज नीतू को माँ की ममता की जरूरत थी पर माँ तो कब की बहुत दूर जा चुकी थी हमेशा के लिए इस जहां से दूर। सासू माँ ने ही सब कुछ सभांंला।

रवि तो जैसे जड़ सा हो गया था कितनी बड़ी गलती उसने की थी पर सजा मेरी नीतू को मिली, जिंदगी अब दूर होती दिख रही थी। नीतू के बिना उसका क्या होगा वो उसके बिना तो एक कदम नहीं चल सकता। नहीं नहीं... मैं कुछ नहीं होने दूंगा।उसने तुरन्त ऑपरेशन के लिए सारी तैयारी कर ली थी और पंद्रह दिन के अंदर उसका ऑपरेशन हो गया था। उसकी बच्चेदानी को निकाल दिया गया था।

दिवाली करीब है, नीतू को दिवाली बहुत पसंद है उसे दिवाली में घर पर ले ही जाना होगा..हाँ..और यह दिवाली उसकी यादगार दिवाली होगी एक नये जन्म के साथ। रवि ने सोचा और माँ, बच्चों के साथ नीतू को सरप्राइज देने की तैयारी भी शुरू करवा दी। रवि की बहन भी आ गई थी सब ने मिलकर उसकी इस दिवाली को यादगार बनाने की ठान ली थी। डॉक्टर से भी रवि ने सब पूछ लिया था। वो अब बिल्कुल ठीक है बस अभी हर महीने और फिर छह- छह महीने में उसे चेकअप के लिए आना होगा और खाने में बहुत ही सावधानी रखनी होगी।

नीतू ने अपना हाथ हिलाया तभी उसकी तंद्रा टूटी। नीतू को होश आ गया था। इतने लम्बे ऑपरेशन ने तो रवि की जान ही ले ली थी। नीतू ने धीरे से आँख खोली। रवि को सामने देखकर उसकी आँखें बहने लगी। रवि ने अपना हाथ उसके बालों पर रखा और उसके सर पर अपने होंठ। उसकी साँसें जैसे लौट आई हो रवि के आँखों में भी आँसू थे पर खुशी के।

नीतू अभी भी खौफ में थी। रवि ने उसे हरपल साथ देने और हर बात उसकी सुनने की कसम खाई। नीतू। मेरी रानी, मेरी जान, मैं तुमसे पक्का वादा करता हूँ, तुम्हारी हर बात सुनूंगा और समझूंगा भी, जो तुम बोलोगी वही करूंगा। सच्ची मुच्ची। मुझे माफ कर दो अब। रवि ने नीतू से कहा। नीतू भी बहुत जल्द अपने घर जाना चाहती थी अपने बच्चों के पास।

कितने दिनों बाद वो आज घर जा रही थी। अपने घर। जैसे ही टैक्सी घर के आगे रुकी नीतू ने देखा पूरा परिवार बाहर उसका इन्तजार कर रहा था। उसकी आँखें छलक आई या यूँ कहें कि कैंसर ने उसे कुछ ज्यादा ही इमोशनल बना दिया था।"आ जाओ" रवि ने उसे उतारा। माँ जैसी सासू मां ने उसकी आरती और टीके से स्वागत किया। अंदर पूरा परिवार और रिश्तेदार भरे थे उसके स्वागत के लिए।

"हैप्पी दिवाली" की गूँज उसे सुनाई दी। बच्चे भी लिपटे थे। नीतू ने देखा कुछ दिनों में ही उसकी बीमारी ने बच्चों को भी बड़ा बना दिया था ! कितना ख्याल रख रहे थे सबका और इतनी तैयारी सब माँ और बच्चों ने मिलकर की उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था ! ये वही बच्चे हैं जिनके पिछे वो चीखती चिल्लाती थी फिर भी नहीं सुनते थे। रवि ने उसे बिस्तर पे लिटा दिया। बिस्तर पे लेटे लेटे उसे सब याद आ रहा था। कैंसर शब्द से वो निकल नहीं पा रही थी।

अब कुछ मत सोचो बस अब सब अच्छा होगा। रवि ने कहा, हाँ भाभी सब ठीक हो गया है। अब आप सिर्फ आराम कीजिए और खुश रहिये हम सब हैं ! सब देखने के लिए श्वेता उसकी ननद ने कहा। सब कितने जिम्मेदार हो गए हैं ! नीतू ने सोचा और हाँ में सर हिलाया।

नीतू तुम्हे बस जो चाहिए वो बता देना मैं हर पल हर समय तुम्हारे साथ हूँ ! अब तुम्हें कभी नहीं इग्नोर करुंगा जो तुम चाहोगी वही होगा ! पक्का...रवि ने कान पकड़ लिए।

जो तुम बोलोगी मैं सुनूँगा वादा है तुमसे ! आज इस दिवाली हमारी नयी दिवाली है। तुम्हारे नये जन्म के साथ इसलिए जो तुमको पसंद है वही सब होगा आज।

नीतू ये दिवाली तुम जैसे मनाना चाहती थी हम वैसे ही मनाएंगे। हाँ बताओ हमे क्या क्या करना है। आज धनतेरस है तो क्या लेकर आऊं? रवि ने पुछा पर नीतू उसके गले लगकर बहुत रोई "नहीं रवि मुझे कुछ नहीं चाहिये बस हम सब साथ रहें यही बहुत है"।अरे रोना मत अब आँसू नहीं हँसी चाहिए।"जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे तुम दिन को अगर रात कहो हम रात कहेंगे"रवि उसे छेड़ने लगा हर खुशी उसकी बाहों में थी बस अब संभालना था उसे नयी जिंदगी के साथ।

आज दिवाली है मेरी नयी दिवाली। रवि ने अपना वादा पुरा किया दिवाली तो तुम घर पर ही मनाओगी पक्का। रवि कितना जिम्मेदार हो गया वो मुस्कुरा उठी। दिवाली की रौशनी उसकी जिंदगी भी रौशन कर गई थी।


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