झूलती लाश भाग-1
झूलती लाश भाग-1


राम शर्मा का भरा पूरा परिवार हुआ करता था मां, पत्नी, तीन बहनें, दो बेटियां। हालाकि बहनों की शादियां हो चुकी थी पर तीज त्योहारों, विवाह उत्सवों के समय घर भरा रहता था। अब बेटियां भी शादी की उम्र की हो चुकी थी राम जी को कोई बेटा नहीं था अच्छा लड़का देखकर रामजी ने बड़ी बेटी की शादी कर दी। रामजी का दो मंजिला घर मुख्य हाइवे पर था। बड़ी बेटी की शादी के बाद रामजी चाहते थे कि छोटी बेटी की भी अच्छा घर देखकर शादी कर दे पर छोटी बेटी पढ़ाई करके अपने मा बाप का सहारा बनना चाहती थी।
रामजी ने भी बेटी की बात मान ली और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए अपनी बड़ी बहन के घर भेज दिया राम जी को अपनी बड़ी बहन (रामजी सबसे बड़े थे तो उनसे छोटी) और अपने जीजा पर बहुत भरोसा था। बेटी का एमबीए के लिए एडमिशन करवाया सब कुछ बड़े अच्छे से चल रहा था बेटी पढ़ाई पर ध्यान लगा रही थी रामजी की बड़ी बहन के दो बेटे और एक बेटी थी (बेटी की शादी हों चुकी थी ) जो राम जी की बेटी से बड़े थे दोनों भाई रामजी के बेटी का बहुत ध्यान रखते थे। एक दिन रामजी की बहन किसी काम से बाजार गई हुई थी और दोनों बेटे भी सुबह जीम गए हुए थे घर पर सिर्फ उनका जीजा और बेटी थे वो दिन खराब था या पता नहीं पर रामजी के जीजा के मन में ग़लत ख्याल आया और उन्होंने रामजी की बेटी के साथ ग़लत हरकत करने की कोशिश की पर रामजी की बेटी उनके चुंगल से भाग निकली।
और दोनों भाइयों और भुआ को फोन लगाया और उनको ये बात बताई दोनों भाइयों ने अपने पिता से झगडा किया और बहन को सहारा देते हुए कहा कि हम है कुछ नहीं होगा पर तुम किसी से कुछ कहना मत राम मामा से भी मत कहना। रामजी की बेटी अब वहां नहीं रहना चाहती थी तो अपने घर चली गई और कुछ दिनों तक रामजी को कुछ नहीं बताया पर अब रामजी ने बेटी से कहा कि जाओ तुम्हारी पढ़ाई खराब हो रही है तब डरते हुए बेटी ने रामजी को सब बताया और फिर रामजी ने अपने बहन और जीजा को बुलाया फिर बहुत झगडा होने के बाद दोनों के बीच रिश्ते की दीवार ढह गई। बहन ये सब सह नहीं पा रही थी पर पति का साथ देना भी।
उसकी मजबूरी थी रामजी की दोनों छोटी बहनों ने भी बड़ी बहन का साथ दिया और भाई से कट कर रहने लगी। रामजी टूट रहें थे पर बेटियों के कहने पर माने और बेटी ने घर से पढ़ाई पूरी की। और शुरुआती जॉब करना भी शुरू कर दिया। फिर छोटी बेटी की शादी के लिए रामजी लड़का ढूंढ़ रहे थे तभी एक अच्छा घर परिवार देखकर उसकी शादी तय की बेटी की शादी में रामजी की मां अपनी बेटियो का भी इंतजार कर रही थी पर बड़ी बेटी तो नहीं आई और बाकी दो छोटी बेटिया भी अकेली मतलब बिना पति और बच्चो के वो भी आखरी दिन आई। रामजी की मां का अपनी बेटियो से बहुत लगाव था। वो उनकी दो बेटियां के आने से भी खुश थी।
राम जी को अपनी बहनों के शादी में आने पर बहुत अच्छा लगा वो उन्हें अपने बेटी के घर भी उन्हें लेकर गए। पर बेटी की शादी के बाद बहनों का आना और कम हो गया रामजी अपनी मां को बेटियों के घर जाने से नहीं रोकते थे। रामजी की बहने उनकी मां को अपनी भाभी और भाई के खिलाफ भड़काने लगी। और ऐसे दिन कटते जा रहे थे। रामजी के एक रिश्तेदार रामजी के ही गांव में रहते थे रामजी की मां अक्सर उनके घर जाया करती थी और अपने दुख को जताया करती थी कि किस तरह वो अपनी बेटियो से दूर रह रही है।
लेकिन रामजी के उस रिश्तेदार की नजर रामजी के घर पर थी वो रामजी की मां को रामजी के खिलाफ भड़काया करता था और रामजी की मां के दुख का फायदा उठाना चाहता था तो उसने रामजी की मां को इस तरह विवश कर दिया कि.......
एक दिन हर रोज की तरह सुबह उठे और रामजी की पत्नी अपनी सास को चाय देने गई तो वो चौक कर रह गई क्योंकि रामजी की मां फांसी पर झूल रही थी रामजी की पत्नी वहीं गिर पड़ी चाय के कप के गिरने की आवाज से रामजी दौड़ कर आए और वो भी यह सब देखकर दंग रह गए उनके पैरों से जमीन सरक गई।
हिम्मत करके उन्होंने अपने गाँव के ही रिस्तेदारो को बुलाया फिर अपनी बहनों और बेटियों को फोन लगवाया। पुलिस को बुलाया सभी के बयान लेकर पुलिस ने सभी ओपचारिकताओ को पूरा करते हुए शव को सौंपा और अपनी कारवाही जारी रखी। रामजी की बहने इस पर विश्वास नहीं कर पा रही थी इसी बात का फायदा उठाकर रामजी के उस रिश्तेदार ने बहनों को भड़काया फिर रामजी और उनकी पत्नी पर मां की हत्या का आरोप लगवाया। रामजी की बेटियां यह सब समझ नहीं पा रही थी कि वो क्या करे। रामजी को बस अब वह झूलती लाश ही दिखाई देती थी ना नींद आती ना चैन पड़ता।