Ivan Maximus Edwin

Fantasy Inspirational

3.4  

Ivan Maximus Edwin

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इवेंट हॉराइज़न...

इवेंट हॉराइज़न...

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ब्लैक होल स्पेस में वो जगह है जहाँ भौतिक विज्ञान का कोई नियम काम नहीं करता। इसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र बहुत शक्तिशाली होता है। 


इसके खिंचाव से कुछ भी नहीं बच सकता। प्रकाश भी यहां प्रवेश करने के बाद बाहर नहीं निकल पाता है, यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है।


ब्रह्माण्ड के ऐसे ही जटिल रहस्यों के बारे में जानने के लिए एक स्पेस प्रोग्राम के तहत 15 अगस्त 2083 को भारत से दो रॉकेट स्पेस में छोड़े गये , इस स्पेस प्रोग्राम को "इवेंट हॉराइज़न" का नाम दिया गया। ब्लैक होल के बाहरी हिस्से को इवेंट हॉराइज़न कहते हैं। क्वांटम प्रभाव के चलते इससे गर्म कण टूट-टूट कर ब्रह्माण्ड में फैलने लगते हैं। आइंस्टाइन बता चुके हैं कि किसी भी चीज़ का गुरुत्वाकर्षण स्पेस को उसके आसपास लपेट देता है और उसे कर्व जैसा आकार दे देता है। हो सकता है कि आप किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की तलाश में निकले हों या फिर अंतरिक्ष यान से बाहर निकले हों और तभी ब्लैक होल की चपेट में आए जाएं। अगर आप ब्लैकहोल की चपेट में आ गए हों, तो आपके साथ दो बातें होती हैं। या तो आप तुरंत ही जलकर राख हो जाएंगे या फिर आप बिना कोई नुकसान झेले ब्लैक होल में हमेशा के लिए फंस जाएंगे।


ऐसी ही कुछ परिस्थितियों का सामना किया था "इवेंट हॉराइज़न" की एस्ट्रोनॉट्स टीम ने, एक ऐसी यात्रा जिस पर शायद ही कोई जाना चाहेगा, जहाँ कई प्रकाश वर्ष दूर तक का सफर तुरंत तय करने का तरीका भारत के युवा जीनियस वैज्ञानिक हिमांशु चट्टोपाध्याय ने ढूँढ निकाला था। जिसके तहत भारत के ही स्पेस कक्ष के आसपास एक बड़े पोर्टल द्वार का निर्माण किया गया, ये पृथ्वी के साथ घूमने के काबिल था अर्थात भारत के स्पेस स्टेशन से इसे एक्टिवेट किया जा सकता था और करोड़ों प्रकाश वर्ष की दूरी को कुछ ही घंटों में तय किया जा सकता था प्रकाश की गति से तेज चलने वाले यान के ज़रिए जो पोर्टल द्वार में प्रवेश करते ही प्रकाश से भी तेज रफ्तार पकड़ कर स्पेस के किसी भी छोर में जाने के काबिल था । इस "इवेंट हॉराइज़न" के स्पेस रिसर्च प्रोग्राम पर भारत सरकार ने पैसा पानी की तरह बहाया था, इस प्रोजेक्ट में कई मित्र विदेशी मुल्कों ने भी में पैसा लगाया था। इस प्रोजेक्ट को "इवेंट हॉराइज़न" का नाम इसलिए भी दिया गया क्यूँकि ब्रह्माण्ड में सबसे बड़े खतरे के रूप में ब्लैक होल को देखा गया है, इसे सबसे नज़दीकी ब्लैक होल की जानकारियां इकट्ठा करना था जिससे इससे निपटा जा सके , ये किसी भी स्पेस यात्री के लिए एक बुरे सपने की तरह होता है जिससे कभी कभी बाहर निकल पाना लगभग नामुमकिन होता जाता है अगर आप बिना जले भटक गए तो। 


इस प्रोजेक्ट के लिए भारतीय वायुसेना के विशेष पायलटों को शामिल किया गया एस्ट्रोनॉट्स के रूप में जिन्हें एस्ट्रोनॉटिकल विज्ञान के क्षेत्र में महारथ हासिल थी अंतरिक्ष औपनिवेशिकरण और अंतरिक्ष रक्षा में तथा साथ ही कुछ वैज्ञानिकों के दल को भी भेजा गया जिसमें कुछ मित्र विदेशी मूल्क भी शामिल थे। ब्रह्माण्ड की यात्रा पर भेजे जाने से पहले इस विशेष दल को ट्रेनिंग भी दी गई, जिसमें हर वह चीज़ सिखाई गई जो इन्हें स्पेस की समस्याओं से जूझने तथा हर मुमकिन परिस्थितियों का सामना कर ज़िंदा रहने की कला शामिल थी।


" सब कुछ कंट्रोल में है दोस्तों, अब सीधा पोर्टल द्वार के अंदर प्रवेश करना है... वहाँ सब कैसा है", युवा अंतरिक्ष यान विशेषज्ञ ग्रुप कैप्टन आर्यन सिन्हा ने अपने यान पर सभी साथियों तथा साथ यात्रा कर रहे दूसरे यान को सम्बोधित करते हुए कहा।


" यस, कैप्टन यहाँ भी सब कुछ कंट्रोल में है, अब बस तय किए समय से यात्रा करते हुए सही दिशा की ओर बढ़ते रहना है, एक बार पोर्टल द्वार में प्रवेश कर गए तो बस कुछ ही झटके खाने पड़ेंगे और हम प्रकाश की गति से भी तेज रफ्तार पकड़ लेंगे", साथ यात्रा कर रहे दूसरे यान से ग्रुप कैप्टन विक्टर एंटनोवॉविच ने आर्यन की बात का जवाब देते हुए कहा। 


" दिशा और रफ्तार एक बराबर कर के यान को ऑटो पायलट मोड में कर दिया जाए, पोर्टल द्वार तक पहुंचने में अब भी करीब चार दिन लगेंगे," विक्टर के साथ ही बैठी भारत की युवा अंतरिक्ष यान विशेषज्ञ कैप्टन रिचा शर्मा ने कहा। 


यान को ऑटो पायलट मोड में डालते ही अपनी सीट बैल्ट को खोलकर सभी यान के पिछले हिस्से में पहुँच गए जहाँ उनके और भी साथी एक बड़े से कैबिन में बैठ कर हँसी मज़ाक कर रहे थे, चारों ओर ख़ुशी का माहौल था, कुछ बैठ कर पत्ते खेल रहे थे, तो कुछ चेस। सब इस बात से बेखबर थे कि उनकी इस यात्रा में किसी परेशानी का भी सामना करना पड़ सकता है, हालांकि वे इसके लिए हर तरह से तैयार बैठे थे। 

" पोर्टल द्वार में प्रवेश करते ही हम एक ऐसी यात्रा तय करेंगे दोस्तों जो मानव इतिहास में किसी ने भी अब तक नहीं की थी", अपनी खुशी का इज़हार करते हुए आर्यन सिन्हा के यान से एक रूसी गैलेक्सी वैज्ञानिक मिखैल सेर्गीविच ने कहा और अपने देश की प्रसिद्ध वोदका सबके साथ बाँट कर पीने लगा।


" भाई... मैं तो बहुत थक गयी हूँ खाना खाते ही सोने चली जाऊँगी ", भारतीय युवा खगौल भौतिकी वैज्ञानिक अनीता जॉर्ज ने अपने साथ बैठी इंग्लैंड की तारकीय विज्ञान विशेषज्ञ कैथरीन ब्राउन से कहा। 


" सही कहा अगर शिफ्ट न बदली जाए तो बहुत थकान का काम है, वैसे हमारे शेफ के आज का मैन्यू क्या है... ये सोचने वाली बात है ", तुम्हें क्या लगता ", कैथरीन ने अनीता की बात का जवाब दिया और खाने के मैन्यू का ज़िक्र होने लगा। 


टीम के दूसरे यान जिस पर विक्टर एंटनोवॉविच ग्रुप कैप्टन थे उस पर भी ऐसा ही कुछ माहौल बना हुआ था। सब कुछ कंट्रोल में लग रहा था, सभी एस्ट्रोनॉट्स इस सफ़र का लुत्फ़ उठा रहे थे। अंतरिक्ष बिलकुल अलग सा एहसास देता है जहाँ आपको ऐसा लगता है कि आपके सिवाय और कोई भी नहीं है आपका दुख सुख बाँटने के लिए ऐसे में आपके टीम मेम्बर्स ही आपके सब कुछ होते हैं। एक परिवार से भी गहरा रिश्ता बन जाता है क्यूँकि आपको पता होता है कि आपका साथी आपको किसी भी हाल में बचाने के लिए जान लड़ा देगा क्यूँकि यही तो ट्रेनिंग में सिखाया जाता है। इवेंट हॉराइज़न की एस्ट्रोनॉट्स टीम में शामिल सभी मेम्बर्स को एक दूसरे पर ऐसा ही विश्वास था। 


अब भी चार दिन शेष थे पोर्टल द्वार में प्रवेश करने के लिए, उसके बाद यान प्रकाश से भी तेज़ गति पकड़ने वाला था और चुटकियों में लाखों प्रकाश वर्ष दूर पहुंचने वाला था, उसके बाद क्या होगा... क्या यान का रेडियो काम करता है या नहीं... या फिर किसी और अनहोनी का सामना करना पड़ेगा , इन सब बातों का डर तो इवेंट हॉराइज़न हर टीम मेम्बर्स के मन में था फ़िर चाहे पृथ्वी पर हो या अंतरिक्ष में पर साथ ही एक उम्मीद भी थी कि सब कुछ ठीक होगा। हर कोई हमारे इन बारह जांबाज़ एस्ट्रोनॉट्स के लिए प्रार्थना कर रहा था जो कि एक बिलकुल अनोखे अंतरिक्ष के सफ़र पर निकले थे बिना अपनी जान की परवाह किए मानवता की भलाई करने के लिए। 


           To be continued... 


       


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