“शाबाश! सोकल! चल, अपना पसन्दीदा अंतरिक्ष-गीत गाएँ! मेरे साथ-साथ गा!”
अंतरिक्ष औपनिवेशिकरण और अंतरिक्ष रक्षा में तथा साथ ही कुछ वैज्ञानिकों के दल को भी भेजा
लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास