अभी भी समय है, मुझे भले न बचा पाओ पर मूर्ख इन्सान तुम सुधर जाओ। पानी बचाओ, प्रकृति बचाओ और अपने आपको... अभी भी समय है, मुझे भले न बचा पाओ पर मूर्ख इन्सान तुम सुधर जाओ। पानी बचाओ, प्रकृ...
लोगों को अपने हाल में जिंदा रहने दीजिए। इसी में भलाई है। आपकी भी और देश की भी। लोगों को अपने हाल में जिंदा रहने दीजिए। इसी में भलाई है। आपकी भी और देश की भी।
लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
तो एक योगी और दूसरा भोगी । दोनों पति-पत्नी में गजब का तालमेल है । तो एक योगी और दूसरा भोगी । दोनों पति-पत्नी में गजब का तालमेल है ।