Mayank Kumar 'Singh'

Drama

5.0  

Mayank Kumar 'Singh'

Drama

इश्क बाजार जैसा

इश्क बाजार जैसा

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कहां से शुरू करूं समझ में नहीं आ रहा लेकिन क्या करूं मजबूरी है छोटा-मोटा ही सही पर लेखक हूं और जो भी सोचता हूं उसे लिखने की आदत है तो लिख देता हूं... , पढ़ना न पढ़ना वह आप पर निर्भर करता है !

 वैसे भी अंग्रेजी का एक बहुत चर्चित शब्द है "प्रोफेशन" तो भाई जिसका जो "प्रोफेशन "है, उसका अनुभव उसे व्यवहार में लाना भी जरूरी हैं ! पता नहीं मेरा क्या "प्रोफेशन "है आज तक नहीं समझ पाया । लेकिन जितना समझा घुमा फिराकर तो पता चला कि की लिख लेता हूं और लिखने का आदी हूं।

जैसे आजकल बहुत लोग बहुत कुछ का आदी हैं। खास करके इश्क यह ऐसी नशा है जो शराब से भी खतरनाक प्रतीत होती है क्योंकि उसमें कुछ समय तो आराम मिल ही जाता है । भले नशा उतरे तो हर्ष कुछ और हो ! पर उनसे जाकर पूछो जो इश्क में फंसे शराबी हैं.. शराब वाले शराबी नहीं इश्क वाले शराबी ! जो पल-पल मरते हैं न वह अच्छे से जी पाते हैं न अच्छे से मर पाते हैं। काफी लोगों की दुर्दशा देखकर ऐसा महसूस करता हूं कि वह इस दुनिया में सबसे ज्यादा जीते हैं । क्योंकि मित्रों अगर सुख के पल होते हैं तो बहुत जल्दी बीत जाते हैं लेकिन , दुख वाले पल प्रायः बीता नहीं करते।

24 घंटे 24 साल के बराबर होते हैं तो इसी से आप आंकलन कर लो की वे लोग कितने दीर्घायु हैं । क्योंकि मृत्यु तो जल्दी आनी नहीं लेकिन पल-पल नर्क वाली जिंदगी जीते है बेचारे...! इश्क जो हुआ है दिल से, थोड़ा दिमाग़ नहीं लगा पाए। इश्क़ ऐसी बूटी है जो दिमाग के ऐसे-ऐसे नसों पर आक्रमण बोल देते हैं कि वहाँ से सोचने की क्षमता स्थिर हो जाती है। व्यक्ति विशेष करना तो बहुत कुछ चाहता है लेकिन मजबूरी इतनी होती है कि उसी में दबा चला जाता है मानो 50 किलो का वजनदार बोरिया उसके माथे पर लाद दिया गया हो और रहम कि अभी भी कोई उम्मीद नहीं है ...! और न होने की उम्मीद की जा सकती।

 मैंने शीर्षक " इश्क बाजार जैसी " नाम इसलिए रखा है क्योंकि एक विशेष व्यक्ति मानो प्रचंड बहुमत के साथ इलेक्शन जीत कर राजनीति वाली नहीं, इश्क वाली अच्छी स्थिति में सरकार बना लेता है लेकिन सरकार गिरने की संभावना हमेशा बनी रहती !

 आजकल की युवा पीढ़ी भी अपनी प्रेयसी के पीछे ऐसे लट्टू हो जाते हैं कि अगर उनके ओर से आंखों से इशारा कर दिया जाए तो वहीं वह अपना अस्त्र - शस्त्र डाल देते हैं ! क्योंकि उन्हें डर होता है कि कहीं अटल बिहारी वाजपेई की तरह एक वोट से सरकार गिर न जाए। समझदार हैं आप समझ जाइए राजनीति वाली नहीं, इश्क वाली सरकार ।


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