इंटरव्यू- इंटरव्यू खेल !
इंटरव्यू- इंटरव्यू खेल !
कक्षा पांच के बच्चों द्वारा interviewइंटरव्यू खेल खेला गया !"
sir की तरह कुर्सी पर बैठकर सवाल पूछने और जवाब देने की कल्पना से ही बच्चें रोमांचित थे ! साक्षात्कारकर्ताओ को कुछ भी पूछने की आजादी दी गयी थी !
पहले तो बच्चे सकुचाए लेकिन फिर धड़ल्ले से पूछने लगे।एक बच्चे से पूछा गया कि सौ तक कि संख्याओं में से तुम्हे कौनसी सबसे अच्छी लगती है ?🤔 लड़के ने सोचते हुए कहा 81 ( इकरियासी )पर क्यों? इसका कोई जवाब नहीं था।
दूसरे से पूछा गया बताओ 10 तक पहाड़ो में कौनसा पहाड़ा तुम्हे भला (अच्छा) मालूम पड़ता है?🤔बोला पाँच का !( शायद उस दौरान मैं भी यही सोच रहा थासबको आता है कितना आसान है।
एक लड़की से पूछा गया कि बताओ ज़मीन और आसमान में तुम्हे क्या अच्छा लगता है?🤔( मैंने सोचा वो आसमान बोलेगी ) लेकिन उसने बोला ज़मीन अच्छी लगती है ! पर ऐसा क्यों? क्योंकि हम ज़मीन पर रह सकते है ना !।
गोविंद नाम के एक लड़के ने बताया कि वो बड़ा होकर बहुत सारे ट्रकों का मालिक बनना चाहता है ! उसने कंडक्टर और ड्राइवर बनने के विकल्प में ड्राइवर बनना पसन्द क्यों किया?। एक लड़की ने तैरने और उड़ने के विकल्प में तैरना चुना क्यूंकि उनके गांव में सब तैरते है उड़ता कोई नहीं()।
लगभग सबको भरे हुए तालाब अच्छे लगते है।गाँव की सबसे अच्छी जगह सबने नदी को बताया जो आजकल बह रही है !
एक इंटरव्यू लेने वाले बच्चे ने पूछा आपने ऐसा कौनसा अच्छा काम किया है जो आज आपको इस कुर्सी पर बैठने का मौका मिला? कोई जवाब नहीं था !
किसी को पिता अच्छे लगते हैं तो किसी को अपना छोटा भाई ! एक लड़के ने बताया उसे लगता है कि उसका सबसे छोटा भाई बड़ा आदमी बनेगा !
कुछ तो कुर्सी पर बैठते ही बहुत शर्माए ! शर्म के मारे कुछ बोल ही नहीं पाए। एक ने कहा घर और स्कूल में से स्कूल में रहना बहुत अच्छा लगता है क्यूँकि यहाँ बहुत सारे लड़के होते है।
इस खेल से सब को अप्रत्याशित मजा आया ! धूम सी मच गई कि मैं कुर्सी पे बैठियो !
खेल का उद्देश्य बस इतना था कि बच्चें सोचने पर मजबूर हो और अब तक कि कल्पना से हटकर कल्पना करें। आखिर में सबने खेलने को पढ़ने से ज्यादा अच्छा बता दिया।