इंसाफ का मतलब
इंसाफ का मतलब
वैभव अपने पापा के फोटो के सामने खड़ा होकर उनसे बात कर रहा था।वैभव- पापा हम केश जीत गये।आप खुश तो है ना पापा।
वैभव को उसका अतीत साफ साफ दिखाई देता है। जब उसके पापा जवान थे, उनका नाम रामप्रित था। उनकी बूढ़ी माँ थी। उनकी एक बहन जिसका नाम लक्ष्मी था। उनकी पत्नी का नाम कौशल्या था ।उनका एक पुत्र था, जिसका नाम वैभव था।
रामप्रित - कौशल्या
कौशल्या - आई जी
रामप्रित - मै खेत जा रहा हूँ
कौशल्या - एक रोटी तो खाके जाते।
रामप्रित - नही आज खेत में मजदूर लगाने हैं मेरा जल्दी पहुचना जरूरी है। माँ (चिल्लाता हैं) माँ कहाँ है ?
बूढ़ी मा - मै यहाँ हू
रामप्रित - पैरी पैना माँ
बूढ़ी माँ - जीते रह पुत्तर
कौशल्या - मै लक्ष्मी के हाथ खाना भेजवा दूंगी
रामप्रित - ठीक है ( जाते हुए )
दोपहर को
कौशल्या - लक्ष्मी लक्ष्मी
लक्ष्मी - जी भाभी
कौशल्या - ये खाना अपने भइया को दे आ और देख खाना खा ले तभी आना
लक्ष्मी - ठीक है भाभी
[ लक्ष्मी जाती हैं पर रास्ते में राघवेंद्र उसे रोक लेता है ]
लक्ष्मी - ये क्या बत्तमीजी है
राघवेंद्र - जरा इधर भी तो देख मेरी जान
लक्ष्मी - देख राघवेंद्र तु मेरा रास्ता छोड़ दें वरना मेरे भइया तुझे जिन्दा नही छोड़ेंगेराघवेंद्र - वो मेरा क्या उखाड़ लेगा आज तो मैं तुझे नही छोड़ुंगा लक्ष्मी - देख राघवेंद्र तु मुझसे दूर रह वरना...
राघवेंद्र - वरना क्या कर लेगी तु
अरे यारों (अपने मित्रों से) उठाओ इसको और ले चलो।
(भोला राघवेंद्र को लक्ष्मी को ले जाते हुए देख लेता है)
(वे लोग लक्ष्मी को एक घर में ले जाते है लक्ष्मी उनसे किसी तरह अपने आप को छुड़ाकर भागने की कोशिश करती है पर चारो ओर से अपने आप को घिरा पाकर सीढ़ी के रास्ते छत पर पहुच जाती है राघवेंद्र और उसके मित्र उसे पकड़ने के लिए पीछे पीछे आते हैं लक्ष्मी अपने आबरू को बचाने के लिए छत से कूद कर अपनी जान दे देती है
(हीरा लक्ष्मी को छत से कूदते देख लेता है और खून खून चिल्लाने लगता है)
राघवेंद्र और उसके तीनों दोस्त लक्ष्मी को मरा देख डर से वहाँ से भाग जाते है।
भोला - रामप्रित भइया
रामप्रित - क्या है भोला
भोला - राघवेंद्र और उसके साथी तुम्हारी बहन को जबरजस्ती कही लेकर जा रहे थे ।
रामप्रित - क्या ? कहाँ ले गये उसे ?
भोला - अपने उत्तर वाली हवेली के ओर
रामप्रित दौड़ के वहाँ जाता है पर लक्ष्मी को मरा देख रोने लगता है।
इंस्पेक्टर आते है)
इंस्पेक्टर - हटो हटो यहाँ से
लाश का पंचनामा करके पोस्टमार्टम हाऊस भेज दो (सिपाही से)
इंस्पेक्टर - (रामप्रित को देखकर) आप कौन है
रामप्रित - मैं, मैं इसका वो मनहूस भाई हूँ जो अपनी प्यारी सी बहन को नही बचा पाया।
इंस्पेक्टर - ये सब कैसे हुआ
रामप्रित - ये सब राघवेंद्र और उसके साथियों के वजह से हुआ है।
रामप्रित पूरी बात बताता है हीरा और भोला भी पूरी बात बताते हैं, पुलिस ठाकुर गजेंद्र सिंह के यहाँ पहुंच कर उसके पुत्र राघवेंद्र को गिरफ्तार करती है
राघवेंद्र के घर मातम छाया हुआ है।
कोशल्या - (रो कर ) ये सब मेरी वजह से हूआ है ना मैं लक्ष्मी को भेजती ना ये सब होता ।
रामप्रित - मत रो मत रो कौशल्या । अब रोना तो उन्हें पड़ेगा मैं उन्हें फांसी दिलवा के रहूँगा
दो दिन बाद ही राघवेंद्र की जमानत हो जाती है।
मुकदमा लम्बा चलता है रामप्रित बूढ़ा हो जाता है इधर उसकी तबीयत भी खराब रहने लगती हैं और उधर उसकी पत्नी कौशल्या मर जाती है।
रामप्रित - (बेड पर से ही अपने पुत्र को बुलाकर) वैभव ! बेटा अब शायद मैं ना बचूँ।
वैभव - नही पापा
रामप्रित - तुम मुझसे एक वादा करोगे
वैभव - आप ऐसा क्यों कह रहें हैं
रामप्रित - मै सच कह रहा हू बेटा। तुम मेरी एक बात मानोगे ।
वैभव - बोलिये ना पापा मैं आपकी सारी बात मानूंगा
रामप्रित - पहले वादा करो
वैभव - मैं वादा करता हूँ आप हुक्म कीजिए।
रामप्रित - तुम अपनी बूआ के हत्यारे को सजा दिलाओगे ना बेटा
वैभव - हाँ पापा
रामप्रित मर जाता है
वैभव - (रोने लगता है) पापा
केश लड़ते लड़ते वैभव बूढ़ा हो जाता हैं राघवेंद्र और उसके साथी भी बुढ़े होकर मर जाते हैं।
वैभव होश मेंं आता है।
अपने पापा के फोटो के सामने मिठाई रखता है उसकी पत्नी उर्मिला पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखती है। उसकी आँखें भरी हुई थी ( वैभव कीउर्मिला - (उसकी आँखें पोछकर ) आप रो रहे हैं आज तो खुशी का दिन है।
वैभव - तुम ठीक कह रही हो। आज पापा बहुत खुश होंगे।अगर आज वो जिन्दा होते तो उनकी खुशी देखते ही बनती पर उर्मिला अब वो ये देखने के लिए अब जिन्दा नही है तो इस इंसाफ का क्या मतलब ?
उर्मिला - ऐसा मत कहिये।
वैभव - क्यो न कहु उन कमीनो को जिस कोर्ट ने आज फांसी की सजा सुनाई है, उन्हें क्या फर्क पड़ने वाला है ? वो जब तक थे आराम से जिन्दगी गुजारी और जब उनमें से एक भी जिन्दा नहीं है तो उन्हें फांसी दी जा रही है। इस इंसाफ के मंदिर में हमे इंसाफ मिला पर इस इंसाफ का क्या मतलब है।
