छठी इन्द्रिय
छठी इन्द्रिय
सिक्स सेंस अर्थात छठी इंद्रिय इस नाम से आप तो परिचित ही होंगे। छठी इंद्रिय को लेकर समाज दो वर्गों में विभाजित हैं। समाज का एक वर्ग इसे मानता है तो एक वर्ग इसे सिरे से खारिज करता है। हमारे अलग-अलग ग्रंथों में इसके अलग-अलग प्रकार बताए गए हैं। फिर भी इंद्रिय 14 प्रकार की होती हैं ऐसा कहा जा सकता है। जिनमें छठी इंद्रिय प्रमुख हैं आप भी कभी-कभी महसूस करते होंगे कुछ होने वाला है आपका मन बेचैन रहता होगा। सब कुछ ठीक-ठाक हो रहा है फिर भी मन बेचैन है ऐसा क्यों और फिर कुछ गलत हो जाता है उसके बाद मन हल्का हो जाता है, तो जनाब यही सिक्स सेंस अर्थात छठी इंद्रिय है यह किसी में अधिक तो किसी में कम रहता है।
मेरे पापा को तो कुछ घटना है तो उन्हें बहुत पहले ही पता चल जाता था। एक बार का वाक्या है। मेरे घर से 500 मीटर की दूरी पर है बरगदवा चौराहा पड़ता है, हमें कुछ भी खरीदना हो तो हमें अक्सर वहां जाना पड़ता था। एक बार मैं किसी काम से बरगदवा जा रहा था तभी पापा ने कहा "बचाकर जाना" यह मेरे लिए आश्चर्य की बात थी जिस जगह मैं अक्सर जाता था और वह कभी कुछ नहीं कहते थे पर आज बचकर जाने की बात कह रहे हैं पर मुझे देर हो रही थी इसलिए उनके बात पर ज्यादा ध्यान ना दे कर मैं चला गया और फिर कुछ देर बाद घर वापस आ गया। शाम को तकरीबन 6:00 बजे मैं दुबारा बरगदवा चौराहे पर जा रहा था फिर पापा ने बचकर जाने की नसीहत दी मैं समझा उन्हें मुझसे प्यार है इसलिए वह मेरी ज्यादा फिक्र कर रहे हैं। पिता तो पिता होते है हर पिता अपने बच्चों की फिक्र करता है यही सोच मैं चला गया रात के करीब 8:00 बजे होंगे पापा ने छोटे भाई को मुझे लेकर आने के लिए कहा वैसे मैं रात के 9:00 बजे भी घर अकेले आ जाता था और उस दिन पापा की चिंता मेरे लिए कुछ अधिक थी मैं अपने भाई के साथ साइकिल पर घर आ ही रहा था कि रास्ते में एक कार आया और मेरे पैर पर कार का दोनों पहिया चढ़ा कर चला गया मुझे काफी चोटें आई पर अब मैं उनकी चिंता समझ चुका ।