ड्रेस कोड: एक संशय
ड्रेस कोड: एक संशय
भारत में दो वर्ग - अमीर और गरीब है उनके बीच की खाई को पाटने के लिए शिक्षा एक अचूक हथियार बना है जिसमें गरीब और अमीर एक बराबर शिक्षा पाते हैं एक आदर्श अध्यापक शिक्षा देने में अपने किसी शिक्षार्थी में भेदभाव नहीं रखता है इसी अच्छी सोच के साथ विद्वानों ने शिक्षालय में एक ड्रेस कोड बनाया शिक्षालय से तात्पर्य वह सभी स्थान जहां हमें अनुशासित बनाने एवं ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलता है चाहे वह डाक्टरी हो , पुलिस स्टेशन हों, विद्यालय हो या जंग का मैदान हमें अनुशासन सिखाया जाता है इस तरह से हम कह सकते हैं अनुशासन शिक्षा का संकुचित अर्थ है और इसी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ड्रेस कोड नितांत ही आवश्यक है क्योंकि बिना ड्रेस कोड के विद्यालय में सभी बच्चे तरह-तरह के पोशाक पहन कर स्कूल में आएंगे और इसमें अमीर बच्चों की पोशाक गरीब बच्चों से बेहतर होगा और उच्च वर्ग के बच्चे निम्न वर्ग के बच्चों को हेय दृष्टि से देखेंगे जिससे विद्यालय का अनुशासन बिगड़ जाएगा अनुशासन को बनाए रखने के लिए हमारे विचारकों ने ड्रेस कोड की कल्पना की इस पर उठे विवाद को देखते हुए कहा जा सकता है कि शिक्षा अपने निम्न स्थान पर पहुंच चुकी है विद्या के इस मंदिर में कुछ लोग ज्ञान के लिए नहीं बल्कि अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए आ रहे हैं शिक्षा को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए और इसके लिए जो भी कदम उठाना पड़े उठाना चाहिए।
