इज्जत
इज्जत
कटिला छरहरा बदन पर बड़ी-बड़ी आंखें और लंबे बालों वाली सांवली सी पतिया सेठ के बेटे की नीयत को देखते ही भांप चुकी थी, लेकिन कांताबाई की तबीयत तो कुछ दिनों से नासाज थी इसलिए उसकी बेटी पतिया को ही आजकल काम पर आना पड़ रहा था। उस दिन घर में कुछ मेहमान आए हुए थे। शायद पार्टी के लोग होंगे जिनकी आवभगत के लिए आज पतिया अभी तक घर नहीं जा सकी और उसे अंधेरी रात उसे काली नागिन की तरह डसने लगी। सभी मेहमान नशे में मदहोश थे, ऐसे में वह अपने को असुरक्षित महसूस करती हुई बेचैन होकर जल्दी काम खत्म करके घर जाने को बेताब हो गई, तभी सेठ के बेटे की नजर पतिया पर खराब होने लगी। वह शराब के नशे में धुत होकर उसे अपने कमरे तक खींच कर ले गया और उसके साथ जबरदस्ती करने लगा। बेबस पतिया छटपटा कर अपने आप को बचाने की कोशिश में शोर मचाने लगी तो सब की नजर उन पर आ टिकी। सेठ को सारा माजरा समझने में जरा भी देर नहीं लगी। वह समझ चुका था कि आज उसकी इज्जत दाव पर लगी है, इसलिए वह सिसकती हुई पतिया को दिलासा देते हुए वहां से कहीं बाहर ले गया। शायद उसे उसके घर छोड़ने के लिए सभी मेहमान भी मौके की नजाकत को देखते हुए एक-एक करके चले गए, लेकिन अगले दिन सुबह के स्थानीय समाचार पत्र में एक छोटी सी खबर छपी थी कि माणिक सेठ के चोरी करते घर की नौकरानी को रंगे हाथों दबोचा। सेठ ने अपने बेटे की इज्जत बहुत खूबसूरती से बचा ली थी, लेकिन पतिया अपना शरीर बचाने के बाद भी अपनी इज्जत बचाने में हार गई ।
