हत्यारे
हत्यारे




नेहरु मार्किट के मोड़ पर तीन दोस्त बातें कर रहे थे। मस्ती में चूर, हँसते खिलखिलाते कब उनमें बहस शुरु हुई, कब वे गुत्थमगुत्था हुए किसी ने नहीं देखा। जब तक लोगों ने देखा तब तक एक लड़का चीख मार सड़क के बीचोबीच बेहोश होगया था। उसका सिर सड़क से टकरा कर लहूलुहान हो गया था।
ये तो माधव है।
कोई ऐम्बुलैंस बुलाओ।
पहले पुलिस बुलाओ।
पहले से ही बदहवास नूर और फिरोज घबरा कर भाग खड़े हुए।
कानोकान होती खबर तुरंत पूरे शहर में फैल गयी - दो मुसल्लों ने बाजार में हिंदू लड़के का कत्ल कर दिया।
सीएम साहब के पीए ने थानेदार को फोन किया।
मिनटों में गाड़ियाँ सड़कों पर हूटर बजाती चल पड़ी। ढोली खाल, नखास, मीरकोट जैसे दस मुहल्लों में कर्फ्यू।
मंदिर और गुरद्वारे में ऐलान – धर्म खतरे में है। हर हर महादेव
थोड़ी देर बाद मस्जिद में तहरीर – मजहब पर आँच नहीं आने देना। बेशक जान चली जाए। अल्लाह हो अकबर।
लोग डरे सहमे घरों में दुबके बैठे थे। दोनों और के सात लोग धरम के नाम पर मर चुके थे। नेता,पुजारी और मुल्ला खुश थे। तीसरे दिन जब तक कर्फ्यू टूटा तब तक कोई बीस लड़के पकड़े जा चुके थे।
आने वाले चुनावों के लिए वोट की जमीन तैयार हो चुकी थी और धर्म की दुकानों के लिये भीड़ और भेड़ें।