हर क्षेत्र में आगे बढ़ता भारत
हर क्षेत्र में आगे बढ़ता भारत
आदिकाल से ही विश्वपटल पर आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, शिक्षा, विज्ञान,तकनीकी, चिकित्सा क्षेत्रों में हमारे भारत की अमिट छाप रही हैं। स्वराज्य से सुराज की निर्मिती कैसे होती हैं, यह मंत्र हमें छत्रपति शिवाजी महाराज के समय से ही देखने को मिला। अंग्रेजी राज में कुछ समय के लिए हमारे भारत के विकास में बाधा अवश्य आई, परंतु स्वतंत्रतोत्तर भारत पुनः प्रगति पथ पर अग्रसर हो रहा है। हम भारतीय हमेशा ही जमीन से जुड़े हुए होते हैं। हमारे घरों से ही हमें संस्कार मिलते हैं-सभी को अपना मानो, सभी से बंधुत्व भाव रखो, अपनी जड़ और जमीन को ना भूलो।
सच है,अगर जमीन से जुड़े रहेंगे तभी आकाश को छू पायेंगे। इसी मंत्र को अपनाने के कारण उत्तम व्यक्तित्व और उत्तम व्यक्तित्व से उत्तम समाज और उत्तम समाज से उत्तम राष्ट्र का निर्माण हुआ है। जो, अंततः देश को आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से आगे बढ़ाने में सहायक हुआ है। "अतिथि देवो भवः" इस पारिवारिक सूत्र के माध्यम से हमने सीखा कि राजनैतिक क्षेत्र में सामाजिक रिश्तों को कैसे निभाया जाता है। इसी से हममें विश्वबंधुत्व का भाव आता है, और इसी के कारण आज विश्व के राजनैतिक पटल पर हमारी तूती बोल रही है। पंतजली का योगशास्त्र हो, या कौटिल्य का अर्थशास्त्र, सुश्रुत की सुश्रुत संहिता हो, या धौम्य और शौनक ऋषि द्वारा सिखाया हुआ कृषिविज्ञान हो, भारद्वाज मुनि द्वारा सिखाया हुआ यंत्र एवं विमान विद्या का परीक्षण हो, या कणाद ऋषि द्वारा अणु-परमाणु का सिद्धांत हो, गौतम ऋषि द्वारा सृष्टि नियमन की परिभाषा हो, या शांडिल्य व कौंडिल्य ऋषि द्वारा दिखाई गई व्यापार की दिशा हो, भार्गव मुनि द्वारा सिखाया हुआ युद्ध कला का ज्ञान हो, या वशिष्ठ व जमदग्नी ऋषि द्वारा धर्म विद्या का दान हो--- हमारे भारत के विकास के आधार स्तंभ यही हैं।इसी वजह से हमारा भारत आदिकाल से आज आधुनिक काल तक सतत निरंतर आगे बढ़ रहा हैं, आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, शिक्षा, तकनीकी, विज्ञान सभी क्षेत्रों में उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है एवं समूचे विश्व का मार्गदर्शन कर रहा हैं। कहते हैं, *जिसकी नींव मजबूत होती हैं वही अनंंतकाल तक दिगदिगांतर खड़ा रहता हैं और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ता हैं।* जैसे कि हमारा भारत, दिन-प्रतिदिन आगे बढ़ रहा हैं और विकास का नया इतिहास लिख रहा है। मैं तो यही कहूंगी-
इतिहास ने स्वयं लिखी जिसकी गाथा हैं
भविष्य भी उसके आगे सर झुकाता हैं
भाग्यशाली हैं हम वो भारत हमारी माता हैं।
