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Jyoti Gupta

Inspirational

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Jyoti Gupta

Inspirational

हॉस्पिटल ड्यूटीज #1

हॉस्पिटल ड्यूटीज #1

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हमारे जीवन के बदलाव का पहला दिन, एक तो इतनी बड़ी खुशी की , मैं नर्सिंग ऑफिसर के पद पर नियुक्ति हुई,, और दूसरी ओर इतनी जोर की बारिश, ये मंजर मानो खुदा भी आ धरा में हमें आशीष दे रहे हो।

शायद भगवान को भी मंजूर यही था कि हम तन मन

दोनों से भीगे,, जहां मन भावनाओं से भीग रहा था , वही तन बारिश के बूंदों से भीग रहा था। और हमारा घर इन दोनों के बहाव के बीच मझधार में फसा बार- बार यूं चहचहा कर यूं कुछ आगाज कर रहा था जिसकी आवाज हमारे अंतर्मन तक बार- बार पहुंच रही थी____

की

उठ चल सुबह हुई,,

जो तूने खुद बुना,

उसे अब कुबूल कर। 

ठहर न चल बढ़ा कदम, 

एक और मंजिल का आगाज कर।

सुबह की ये शुरुआत है,

चल अब उसे एहसास कर।

उठ चल सुबह हुई,,,,

आज की सुबह हमारे लिए कुछ अलग

सा था।

यूं तो मैं सुबह 8: 00बजे उठ जाऊँ तो बहुत बड़ी बात है, लेकिन आज हमारा  मन हमें झकझोर झकझोर कर हमें कुछ कह कर उठाने की कोशिश कर रहा था की मेरी नींद 5: बजे अपने आंखों को परेशान करते हुए यूं कहने लगी की अब बस।।

उठ चल आंखें खोल,

सूरज की पहली किरण तुझे है पुकारती।

आसमां हैं पहल कर रहा और धरा है सा- सबर रही,

आ गले लगा इसे जो मिला हैं तुझे,

तेरी किस्मत है तुझे अब पुकारती,,,,,,,,

और इसी के साथ हमारी नींद भंग हुई और फिर हमने अपने रोज के दिनचर्या को पूरा कर, चल दिए नए एक और मंजिल की तलाश में।।

                       



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