Rashmi Moide

Drama

2.5  

Rashmi Moide

Drama

होली के रंग खुशियों के संग

होली के रंग खुशियों के संग

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हर वर्ग की टोलियाँ एक दूसरे के उपर रंगों की बौछार कर रही है। बच्चे, बूढ़े, जवान, महिलायें, पुरुष हर कोई होली के रंगों में रंगा हुआ है। हरा, पीला, लाल, गुलाबी और केसरिया रंग में रंगे चेहरे और रंग बिरंगे रंगों से भरी पिचकारियों की फूहारो से भींगे तन मन लिये जन समूह होली खेलने में मगन है। सभी पर होली का ऐसा नशा छाया हुआ है कि पूछो मत। 

सोसाइटी के एक बड़े से मैदान में,भांग मिली ठंडाई बाटी जा रही है।

एक तरफ रंग से भरा एक बड़ा सा टब रखा हुआ है जिसमें लोग एक दूसरे को उठा उठाकर टब के अंदर डाल रहे है। कोई टब में से बाल्टी भरकर एक दूसरे पर डाल रहे है। एक टेबल पर हर रंग के गुलाल की ढेरियां लगी हुई है। छोटे छोटे बच्चे अपनी नन्ही नन्ही मुट्ठियों से गुलाल उठाकर हवा में उड़ा रहें है।  

होली के इस खूबसूरत दृश्य को 10 वर्षिय रिंकू बड़ी देर से बहुत अचरज के साथ, बिना पलक झपकाये देख रहां है और तालियां बजाकर हंस रहा है। 

रिंकू की हंसने की आवाज सुनकल उसकी नानी मनोरमा जी उसके पास आकर पूछती है, रिंकू ये क्या हो रहाँ है? 

रिंकू नानी को अचानक यूं देखकर थोड़ा सहम जाता है और धीरे से वहां से निकल कर अपनी मम्मी शैफाली के पास जाकर बोलता है, मम्मा नीचे चलिए ना हम भी होली खेलेंगे। देखिए ना कितना मजा आ रहा है।

 शैफाली प्यार से रिंकू के गालो को छूते हुए कहती है, नही बेटे हम होली नहीं खेलते है।

हम क्यो नही होली खेलते है मम्मा, मासूम रिंकू जिद करते हुए पूछता है।

तुम दिन पर दिन बहुत जिद्दी होते जा रहे हो पीछे से आती हुई नानी बोली, जाओ अपने रूम में जाकर खेलो और वैसे भी होली खेलना अच्छा नही होता है। होली के रंगों में बहुत केमिकल मिला होता है जो शरीर के लिए नुकसानदेह होता है।

नानी की बात अनसुनी कर रिंकू ने कहा, मम्मा कल हमें हमारी हिन्दी की टीचर ने होली के बारें में बताया था, कि होली पवित्र रंगों का त्यौहार होता है। होली ही एक ऐसा त्यौहार है जिसमें अमीर - गरीब, दु:खी - सुखी, छोटा - बड़ा, दोस्त- दुश्मन हर वर्ग के लोग आपसी भेदभाव भूलाकर प्रेम से गले मिलकर होली का त्यौहार मनाते है।

इस त्यौहार पर रंग गुलाल लगाने के प्रभाव से जानी दुश्मन भी अपनी आपसी दुश्मनी भुलाकर फिर से दोस्त बन जाते है।

टीचर ने यह भी बताया की गांवों मे पहले  टेसू के फूलों के रंग से होली खेलते थे। 

आजकल भी बिना केमिकल के रंग आ गये है।

प्लीज मम्मा नीचे चलकर हम भी होली खेलेंगे और मम्मा आज मुझे पापा की भी बहुत याद आ रही है।

मेरे सभी दोस्त अपने मम्मी- पापा के साथ मिलकर होली खेलते हैं। 

रिंकू की बात सुनकर मनोरमा गुस्से से बोली तुम्हे कितनी बार बताना होगा कि तुम्हारे पापा राजेश अच्छे नहीं है।

राजेश ने तुम्हारी मम्मा के साथ कितना बुरा व्यवहार किया है, ये तुम्हे अभी समझ मे नही आयेगा।

जाओ यहाँ से और फिर कभी होली खेलने का नाम भी मत लेना। 

रिंकू को रोते हुए वहां से जाते देख उसके नाना प्रेमचंद से रहा नही गया और उन्होंने ने आकर कहा, अब बहुत हो गया।

एक छोटी सी बात को तुमने इतना बड़ा बनाकर शैफाली और राजेश के मन में कितनी दूरियाँ बना दी है।

छोटे मोटे झगड़े तो हर पति पत्नी के बीच होते रहते हैं।

 हम माता-पिता को बच्चों के मामले से दूर रहना चाहिए। 

अगर कुछ गलत हो तो गलतफहमी दूर करना चाहिए। 

 छोटी छोटी बातों को बढावा न देकर उन्हें सुलझाने की कोशिश करना चाहिए। 

माता-पिता के अलग-अलग रहने से कितने मासूम बच्चों का बचपन छीन जाता है।

 बच्चों को जितनी खुशी उनके माता-पिता के लाड़ - प्यार से मिलती है, उतनी खुशी उन्हें नाना - नानी या दादा - दादी के प्यार में कभी नहीं मिलती हैं।

बच्चे उपर से तो खुश रहने का दिखावा करते हैं, लेकिन अंदर से उनके दिल के कोने में कही कोई टीस जरूर उठती हैं। 

अभी भी वक़्त है, मै राजेश को अच्छे से जानता हूँ, वो बहुत अच्छा और भला इंसान है। वो शैफाली को खुश रखेगा। उसने कितनी बार शैफाली से बात करनी चाही लेकिन तुमने उन्हें एक बार भी फिर से मिलने का मौका नहीं दिया। 

घर में सुख शान्ति बनी रहें इसलिए मै चुप रहता हूँ, लेकिन अब नहीं। 

रिंकू की खुशी और उसके उज्जवल भविष्य के लिए मुझे तुम्हारे विरुद्ध जाना पडेगा।

 पापा की बातें सुनकर शैफाली उनके गले लगकर रो पड़ी और बोली पापा इतने दिनों तक आप चुप क्यों थे, कोई बात नहीं मै अभी फोन कर राजेश को बुलाती हूँ और हम सब रिंकू के साथ मिलकर होली खेलते हैं।



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