Rashmi Moide

Others

4.7  

Rashmi Moide

Others

वसंत - परिणय

वसंत - परिणय

4 mins
631



 

आज वंसत पंचमी के दिन वसंतोत्सव में अपनी बेटी मेघा की शादी में विजय ने अपने कालेज के दोस्त रितेश, सौरभ और विवेक को सपरिवार निमंत्रण देकर, एक हफ्ते पहले आने का विशेष आग्रह किया। पहले तो दोस्तों ने सोचा कि गांव की शादी मे परिवार के साथ जाना ठीक नहीं है। लेकिन विजय के बार बार फोन आ रहे थे, आखिरकार तीनो दोस्तों ने दो दिन पहले सपरिवार शादी में जाने का मन बना ही लिया।

 तीनो फ्लाइट्स से आये और  एक फाइव स्टार होटल में तीनों आपस में मिले।

रितेश बोला, "क्या यार इस विजय ने हमें कैसे मुश्किल में डाल दिया है, मैंने बड़ी मुश्किल से वाइफ रीटा को मनाया है।"

विवेक ने हंसकर जवाब दिया "हां यार मेरी वाइफ सोनिया को तो धूल मिट्टी से बहुत एलर्जी है"

"हां यारों मेरी वाइफ मोनिका कहती हैं कि  गांव सिर्फ फोटो में देखने में ही अच्छे लगते हैं।"

इधर रीटा, सोनिया और मोनिका भी आपस में, क्या ड्रेसेज पहनें, उस पर बात कर रही थी। उनका मानना था कि गांव में लाइट की बहुत समस्या है और उपर से धूल, गंदगी भरा माहौल। 

 "उफ, कितना समझाया इन लोगों को, पर ये लोग कुछ समझते ही नहीं है।" रीटा ने मोनिका से कहा "मैंने तो सेनीटाइजर और बिसलरी की बोतल रख ली है।"

"हां मैंने भी", सोनिया बोली।  

सब तैयार हो कर रिसेप्सन हाल में आ गये।

 रीटा ने कहा "कुछ हेल्दी नाश्ता करके चलते हैं, गांव में बहुत गंदगी होती है। विजय को क्या बोलेंगे", सौरभ ने रितेश से पूछा। 

"कोई भी बहाना बना देगें।"

"हां तुम तो बहाने बनाने में उस्तादों के उस्ताद हो", विवेक की बात सुनकर सभी ठहाके लगाकर हंसने लगे।  

"अरे क्या बात है, बहुत हंस रहे हो" विजय को देखकर सभी चौक गयें।

"अरे विजय तुम।"

25 साल के बाद मिले चारों दोस्त एक दूसरे के गले मिलकर भावुक हो गये, चारों दोस्त कुछ देर के लिए पुरानी यादों में खो गये।


बी ई, एम बी ए ,चारों ने एक साथ एक ही कालेज से किया है। विजय तो हमेशा टापर रहा है। विजय ने बहुत से काम्पिटीटीव एक्जाम दिये। हर कम्पनी से जाब आफर आ गये, लेकिन विजय को तो अपने दादाजी की पैतृक जमीन पर खेती करना था।मम्मी पापा और दोस्तों ने बहुत समझाया और पूछा "अगर खेती करनी थी तो इतनी पढ़ाई और काम्पिटीटीव एक्जाम क्यों दिये?"

" क्या अनपढ़ लोग ही खेती करते हैं?"

"मैं सबको बताना चाहता हूं कि एक गोल्ड मेडलिस्ट भी किसान हो सकता है।"

 विजय के दृढ़ निश्चय के सामने सब लाचार हो गये। सबने सोचा कुछ समय के बाद, खेती का नशा उतर जायेगा।आज उसके तीनों दोस्त लाखों के पैकेज में बड़ी कंपनियों में जाब कर रहे हैं। विजय के इस फैसले को सब मूर्खतापूर्ण समझते हैं।


 विजय, सबसे हमारा परिचय भी तो करवाईयेगा। नीलम की आवाज से चारों वर्तमान में लौट आये। 

"अरे हां , इनसे मिलिए ये मेरी दुख सुख की साथी मेरी श्रीमती नीलम और ये है मेरे जिगरी दोस्त और प्यारी भाभियां। 

स्लिम, खूबसूरत नीलम की सादगी और सौंदर्य को सब अपलक देख रहे थे।नीलम ने अपनी मीठी, सुरीली आवाज में सभी का अभिवादन किया और कहा , आप सबका हार्दिक स्वागत है इधर होटल मैनेजर ने जैसे ही विजय को देखा तुरंत पास आकर बोला अरे सर आप, फिर हाथ जोड़कर नमस्कार किया। इतने में गाड़ी आ गई। सभी विजय की बाइक के पीछे चल दिये।

विजय की सूझबूझ ने आज आसपास के छोटे छोटे गांवो को पक्की सडकों से जोड़कर  सुंदर बना दिया है।

सड़क के दोनों तरफ कतार बंद पेड़ों पर लगे नये नये कोमल खूबसूरत हरे पत्ते। उपवन में खिले तरह तरह के मुस्कराते फूलों से आती मंद सुगंधित खुशबू।सरसों के खिले पीले पीले सुंदर फूल। 

सरोवर में खिले हंसते कमल दल।वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करती स्वर्णिम पकी फसले।

कोयल की मीठी कुहू- कुहू सुरीली कूक।पक्षियों के कलरव से गुंजायमान मधुर संगीत।

चारों ओर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों तक हरियाली की चादर ओढ़े खूबसूरत प्रकृति का अद्भभुत वसंतमय सौन्दर्य देखकर ऐसा लगता था कि बस अपलक देखते ही रहें.

आज पहली बार दोस्तों को इतना खूबसूरत वसंतमहोत्सव देखने का अवसर मिला है। उनके परिवार ने तो कभी ऐसे प्राकृतिक छटा की कल्पना तक नहीं की थी। क्या सचमुच गांव इतनें खूबसूरत होते हैं?

रास्ते में विजय ने अपने बहुत से आर्गनिक फार्म-हाउस दिखाये। जिसमें विभिन्न प्रकार के फल, फूल सब्जियाँ लगी थी।  पहली बार  दोस्तों ने इतने स्वादिष्ट फलों का स्वाद चखा।

विजय  अपने दोस्तों को अपने खुद के आधुनिक टेक्नोलाजी से युक्त फैक्ट्री में लेकर गया जहांआर्गनिक फल, सब्जियो के एक्सपोर्ट के कारण कई नौजवानों को रोजगार मिले हैं।दोस्तों के रहने खाने की व्यवस्था भी शानदार थी।विजय के करोड़ों के प्राकृतिक व्यवसाय और सरल स्वभाव के सामने तो तीनों नत मस्तक हो गये। 


 शादी हाल में पहुँच कर शादी के विशाल मंडप को देखकर  सबकी ऑखे चौंधियां गई। 

मंडप की छटा तो निराली ही थी।आम के पत्तो से ढके मंडप पर गुलाब की रंग बिरंगी बिखरी पंखुड़ियां ऱग बिरंगी तितलियों का आभास दिला रही थी।बीच-बीच में लाल,पीले गेंदे ओर अन्य रंगों के फूलों के लटके तोरण वार शोभायमान हो रहे थे। मंडप के चारों स्तंभो को खूबसूरत फूलों से ऐसा सजाया मानो किसी सुंदर नारी के लम्बे लम्बे केशो में सुंदर वेणीयां सजी हो।शादी में आये वर पक्ष और गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत भी रंग बिरंगे पुष्पहारों और पुष्प गुच्छो से कर रहे थे।

पीले सरसो के फूलों से सजी पालकी मे लाल,सफेद फूलो के गहने पहनी दूल्हन और फूल पत्तियों से ढके घोड़े पर छोटे छोटे पीले,सफेद फूलों की लरीयों वाला साफा पहने दूल्हे पर सभी लोग चारो ओर से फूल बरसा रहे थे। सारा जहाँ फूलों की खुशबू से महक ऊठा।


आज विजय के दोस्तों को विजय और उसकी दोस्ती पर गर्व हो रहा था।वो सोच रहे थे अगर विजय जैसे प्रकृति से प्यार करने वाले नौजवान अपनी मेहनत और ज्ञान विज्ञान का सही वक्त पर सही उपयोग करें तो हर ऋतु, ऋतुराज वसंत हो जाये।आज वसंत पंचमी की शादी के वसंतमहोत्सव में हर कोई बसंतमय हो गया है।


Rate this content
Log in