Rashmi Moide

Others

2.5  

Rashmi Moide

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अनोखा मौन

अनोखा मौन

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जुम्बा क्लासेस शुरू करने की सोच रहीं हूँ, जानकी आंटी ने कहाँ। अच्छा है, आंटी संदली बोली। थोड़ी ही देर में संदली बोली, अच्छा आंटी मुझे थोड़ा ज़रुरी काम याद आ गया है, मैं आपसे बाद में आकर मिलती हूं, कहती हुई संदली जल्दी से निकल गई। यूं संदली को जाते देख जानकी को पक्का विश्वास हो गया की कुछ तो बात है। मुझे पता लगाना ही होगा। संदली जब छोटी थी तभी से जानकी आंटी के यहाँ संदली का आना जाना था। जानकी की बेटी रुपा और संदली बचपन से ही अच्छी दोस्त है। दोनों बचपन से एक साथ एक ही क्लास में पढ़कर बड़ी हुई है। रुपा के साथ कई बार संदली जानकी के घर आई है। बचपन से ही संदली चंचल, हँसमुख और मिलनसार है। आजकल संदली को यूं इस प्रकार चुप देखकर जानकी को संदली की चिंता होने लगी, उन्हें लगने लगा जरूर संदली के साथ कुछ ना कुछ हुआ है, लेकिन क्या हुआ होगा ?पता लगाना ही होगा। 

जानकी ने इस बारे में अपने पति महेश से बात की और बोली आजकल संदली बहुत गुमसुम रहने लगी है, बहुत समय से ससुराल भी नहीं गई। महेश बोले वो अपनी अधूरी पढ़ाई पूरी करने के लिए मायके आई हुई है, तुम बेकार में परेशान हो रही हो, सब ठीक हो जाएगा। जानकी चुप रहने वाली महिला नहीं थी, उन्होंने एक बार जो ठान लिया तो फिर उसकी तह तक जाकर ही उन्हें चैन मिलता है।  दूसरे दिन जानकी किसी बहाने से संदली के घर पहुंच गई।कॉलबेल की आवाज़ सुनकल संदली ने दरवाज़ा खोला, सामने जानकी को देखकर संदली को अच्छा नहीं लगा, लेकिन तुरंत अपनी मनोदशा को छुपा कर बोली, अरे आंटी आप, आईये। 

कैसी हो बेटी, जानकी बोली। 

ठीक हूँ आंटी अनमने मन से संदली ने जवाब दिया। 

तुम्हारी मम्मी घर पर है, मुझे उनसे  कुछ काम था, वैसे भी बहुत दिनों से उनसे मिली नहीं हूँ, जानकी संदली के घर के अंदर आते हुए बोली।

जी आंटी, मम्मी अपने रुम में है। कहते हुए संदली अपने रुम में चली गई। जानकी संदली की मम्मी मिताली से जाकर मिली और बातों ही बातों में मिताली से संदली के बारे में जानने की कोशिश की लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया। 


घर वापस आकर जानकी ने अपनी बेटी रुपा को फोन कर संदली के बारे में सभी बातें बताई और कहा - तुम संदली से बात कर पता लगाओ की आखिर ऐसा क्या हुआ है जो इतनी हँसमुख लड़की अचानक चुप चुप रहने लगी है। ठीक है मम्मी मैं संदली से बात करती हूँ, रुपा ने अपनी मम्मी जानकी को आश्वासन देते हुए कहा। कुछ समय बाद रुपा ने संदली को मैसेज कर उसके हालचाल पूछे, लेकिन संदली ने कुछ जवाब नहीं दिया। फिर रुपा ने फोन किया, संदली ने रुपा का फोन भी नहीं उठाया। अब रुपा को भी संदली पर शक होने लगा। रुपा ने अपनी अन्य सहेलियों से भी संदली के बारे मे बात की।

सभी सहेलियों की आपस में गुफ्तगू शुरू हो गई। अरे संदली के लाइफ में ऐसा क्या हुआ होगा? हमें पता लगाना चाहिए। सभी ने अपने अपने तरीके से संदली से जानने की कोशिश की। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सभी सहेलियों ने रुपा की मम्मी जानकी आंटी से फोन कर पूछा, आंटी आप हमें शुरू से सब कुछ विस्तार से बताइए की संदली की शादी कैसे हुई? उसके ससुराल वाले कैसे हैं? उसके साथ कैसा व्यवहार करते हैं? जिस लड़के के साथ उसकी शादी हुई उसका स्वभाव कैसा हैं?


अब ये तो सब पता नहीं बेटी, जानकी ने कहा। उसके ससुराल के बारे में कुछ भी नहीं जानती हूं। मैं जब भी पूछती थी, तुम्हारे ससुराल वाले कैसे हैं? तो संदली बोलती थी सब बढ़िया है आंटी। ठीक है मम्मी, रुपा बोली, इस बार होली पर हम सब सहेलियाँ मिलकर छुट्टी के दिन होली मिलन करते है और संदली से मिलकर सब जान लेते हैं। हां, ये बहुत बढ़िया रहेगा, जानकी आश्वस्त होकर बोली। रुपा की सभी सहेलियों ने रंगपंचमी शनिवार को एक जगह निश्चित कर मिलने का प्रोग्राम बना लिया और संदली व उसके पति को भी निमंत्रण पत्र भेज दिया। निमंत्रण पत्र भेजकर संदली को सभी सहेलियों ने एक साथ सामूहिक फोन किया। बहुत बार फोन करने के बाद संदली ने फोन उठाया और कहा देखती हूं मैं, अभी मेरे आने का पक्का नहीं है।

सब सहेलियाँ एक साथ बोल उठी, नहीं नहीं ऐसा नहीं चलेगा‌ संदली, तुम्हें तो आना ही होगा, तुम्हारे बिना होली का मज़ा ही नहीं आयेगा। अच्छा मैं आने की कोशिश करुंगी संदली धीरे से बोली। कोशिश नहीं वादा करो, कुछ भी हो तुम्हारा आना अति आवश्यक है रूपा ने पूरे अधिकार से कहा। होली मिलन के निर्धारित समय और जगह पर रुपा अपनी सहेलियों के साथ इकट्ठी हो ग‌ई।

संदली कब आयेगी?

सब एक दूसरे से यही पूछ रही थी।

सभी संदली का इंतजार कर रही थी।

संदली का रास्ता देख देख सभी निराश हो ग‌ई।

वो अब वापस जाने को निकल ही रहे थे कि अचानक दो मुखोटे पहने व्यक्ति अंदर आये और बूरा न मानो होली है, कहकर सभी के उपर बहुत सा रंग गुलाल डाल दिया। अचानक यूं रंगों की बौछार से सभी हड़बड़ा गई और गुस्से से लड़ने को तैयार हो गई।ये क्या।

कौन ठहाके लगा कर खिलखिला कर हँस रही है? सब सखियाँ आश्चर्य से एक साथ बोली, संदली तुम। सभी ने गले मिलकर खूब होली खेली।

जब संदली के पति ने बताया की उसने संदली के साथ शर्त लगाई थी, की संदली कितने दिन चुपचाप रह सकती है और संदली शर्त जीत ग‌ई। रुपा ने संदली की चिकोटी काटते हुए कहा, पता है तुम्हें, मेरी मम्मी तुम्हें लेकर कितनी परेशान हो गईं थी।  तुम भी ग़जब हो। पता नहीं कब सुधरोगी। संदली हँसती हुई बोली मैं आंटी को मना लूंगी। सभी ने मिलकर खूब मस्ती की और होली के रंगों को खूबसूरत बना दिया। सभी बोली तुम्हारा यह अनोखा मौन जिदंगी भर याद रहेगा।


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