Prajakta Nagarkar

Romance Tragedy

4.7  

Prajakta Nagarkar

Romance Tragedy

होगा मिलन या फिर जुदाई

होगा मिलन या फिर जुदाई

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एक कहानी जो होगी पुरी या रहेगी अधूरी।


किस्मत का लिखा कुछ ऐसा था ख्वाबों का कारवां मचल रहा था। 

जुड़ रहे थे दिल से दिल और प्यार हो रहा था। 

ये उन दिनों की बात है , जब ये दोनों मिलने वाले थे। नाम था उनका शिवा और रावी। दोनों भी एक दूसरे से अनजान थे , फिर भी किस्मत ने उनको मिला ही दिया। अजीब सा खेल रचाया उस खुदा ने भी , मिलाने गए थे किसी और को और खुद ही मिल गए। देखी थी सिर्फ रावी की आंखें और शिवा उसी मे बहता चला गया। ना सोचा ना समझा फिर भी कही ना कही दिल एकदूसरे से जुड़ रहे थे। अनजान थे दोनों एकदूसरे से फिर भी कुछ अपनासा लगता था। अभी अभी तो मिले थे फिर भी रिश्ता पुराना लगता था। मासूम सा शिवा और नठखट सी रावी कुछ एसी थी उनकी जोड़ी। ना चाहते हुए भी कुछ ऐसा हो रहा था खुदा को भी उन दोनों भी मिलना था। 

नैनो से नैन मिल रहे थे

दिल एकदूसरे से जुड़ रहे थे

रावी अपने दोस्तों के साथ घूमने गई थी और वहा शिवा भी अपने दोस्तों के साथ घूमने आया था। रावी की दोस्त और शिवा का दोस्त एकदूसरे से प्यार करते थे कुछ बातों से उनके बीच misunderstanding हो गई थी। रावी और शिवा उनको समझा रहे ताकी उनका झगड़ा सुलझ सके। रावी और शिवा एक दूसरे को पहिली बार वही मिले थे। रावी के दोस्त ने रावी के mobile से शिवा को call किया था इस वजह से रावी का number शिवा के पास चला गया। धीरे धीरे वे एक दूसरे से बाते करने लगें और नजदीक आने लगे। बाते बढ़ गई थी इसलिए नजदीकियां भी बढ़ने लगी थी। बार बार मुलाकाते होने लगी थी। दोनों एक दूसरे को चाहने लगे थे पर दोनों बोल नहीं पा रहे थे। वे दोनों अपने दोस्तों के साथ बाहर घूमने गए थे तभी शिवा और रावी ने शर्माते हुए प्यार का इकरार किया। अब दोस्ती का रिश्ता प्यार में बदल रहा था। दोनों एक दूसरे को समझने लगे थे। धीरे धीरे दोनों को एक दूसरे की आदत होने लगी थी। फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ की शिवा और रावी एक दूसरे से दूर हो गए। शिवा के घर वालों को उन दोनों के बारे में बाहर से पता चला उन्होंने शिवा और रावी को एक दूसरे से दूर कर दिया फिर भी शिवा और रावी एक दूसरे से दूर नहीं हो पाए। उनका प्यार बहुत गहरा था इसलिए किस्मत उनको मिलाती रहीं। दो महीने बाद शिवा और रावी की मुलाकात एक मंदिर में हुई वे दोनों वहा मिले थे एक दूसरे को देखा था पर बात नहीं कर पाए। उस मुलाकात से दोनों भी अनजान थे पर किस्मत का खेल देखो उन दोनों को मिला ही दिया। दो reasons की वजह से शिवा और रावी के रिश्ते में दरारे आ रही थीं। शिवा के घर वाले पुराने जमाने के थे इसलिए वे love marriage के खिलाफ थे और रावी के घर वाले भी love marriage के खिलाफ थे। दूसरा कारण ये था कि उन दोनों की caste अलग थी इसलिए शिवा के घर वाले रावी से नफरत करते थे। शिवा के घर वालों ने शिवा को बहुत मारा और शिवा से वचन लिया की वो रावी को छोड़ दे और उसे भूल जाए। दो साल बीत गए फिर भी शिवा रावी को भुला नहीं पाया। वे दोनों आज भी एक दूसरे से प्यार करते थे। रावी और शिवा settled नहीं थे इसलिए घर वालों को मना नहीं पा रहे थे। वे दोनों settled होने की कोशिश कर रहे थे ताकी अपने घर वालों को मना सके। दोनों का ये प्रयास लगातार चल रहा था। रावी के घरवालों ने रावी के लिए रिश्ता देखना शुरू कर दिया था। शिवा settled नहीं था इसलिए रावी शिवा को कुछ बोल नहीं पा रहीं थी और अपने घरवालों को भी मना नहीं पा रही थी। ये सिलसिला लगातार जारी था। दिन बीतते जा रहे थे पर समस्या का कोई हल नहीं मिल रहा था। दोनों भी एकदूसरे को पाने के लिए जी जान से कोशिश कर रहे थे। बोहोत बार उनकी कोशिशे नाकामयाब रही। फिर भी उन दोनों ने हार नहीं मानी। उनकी कोशिश जारी थी। देखते है अभी उनकी कोशिशें सफल होती है या नहीं।



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