हमारी प्रेम कहानी
हमारी प्रेम कहानी
सर्द हवा बहती चली जा रही थी । माथे पर बालों की लटें बादलों की तरह बिखर रही थी। टप - टप - टप बूंदा-बांदी के साथ चाय की गरम चुस्की भरते हुए रश्मि आज भी बचपन के उन दिनों को याद कर रही थी जब वह 8/9 साल की थी। चौथी कक्षा में पढ़ती थी कपड़े पहनने तक की तमीज नहीं थी। बस उसको अपनी माँ और नानी का घर ही पसंद था क्योंकि नानी के घर में उसकी हम उम्र बहनें थी। मौसियों और मामियों की लड़कियाँ कुल मिलाकर घर परिवार में 20 लड़कियों का समूह था। सभी एक से एक सुंदर और ज्ञानवान थी। हर छुट्टी पर रश्मि अपनी नानी के घर ही रहती थी। सुंदर सुशील बुद्धिमान सभी गुण थे। जैसे-जैसे बड़ी होती गई उसकी सुंदरता के आगे चाँद भी शर्मा जाए। गली मोहल्ले के सभी लड़के उसको पसंद करते थे। कोई कहता था तेरी भाभी है तो कोई कहता इसको तो एक दिन में ले जाऊंगा। देवेन रश्मि को बचपन से ही पसंद करता था। देवेन भी अपने परिवार में सबसे सुंदर और संस्कारी था। उसके मन में रश्मि के लिए सच्चा प्रेम हिचकोले खा रहा था या यूं कह लो पनप रहा था। बचपन से ही उससे मजाक में भी कोई कह देता कि तू शादी किससे करेगा तो वह झट से जवाब देता कि सामने वाले घर में जो एक सुंदर-सी लड़की है उससे। सभी परिवार वाले उस समय देवेन का मजाक उड़ाते थे मगर किसी को क्या पता था कि देवेन के नसीब में क्या लिखा है।
समय बीतता गया देवेन 21 साल का और रश्मि भी 21 साल की हो गई। देवेन के पिता चाहते थे कि जिस प्रकार देवेन की बहन की शादी छोटी उम्र में ही हो गई है देवेन की भी करवा दी जाए। उन्होंने देवेन से इस बारे में बात की… देवेन ने साफ इंकार कर दिया कि अभी शादी नहीं करना चाहता उसे कैरियर बनाना है । कौन जानता था कि मन में तो रश्मि की याद लिए बैठा है देवेन। शादी करेगा तो बचपन वाली लड़की से ही करेगा। दिन बीते कई सावन भादो आए और ऐसे ही चले गए। समय का पलड़ा चलता रहा। देवेन के पिता परेशान थे। बेटा 21 से 25 का हो गया था। देवेन के कहने पर उन्होंने रश्मि के पिता से भी तीन-चार बार बात की थी मगर रश्मि के पिता अपनी लड़की की शादी उनके इतने बड़े परिवार में नहीं करना चाहते थे और देवी की माता जी के बारे में भी कई बातें परिवार मैं फैली हुई थी कि वह झगड़ालू किस्म की महिला है और उसकी किसी के साथ नहीं बनती और वह मिलनसार भी नहीं है । रश्मि के परिवार वाले देवेन के परिवार से रिश्ता नहीं जोड़ना चाहते थे। देवेन के पिता का स्वभाव बहुत अच्छा था मगर फिर भी दोनों परिवारों की बात नहीं बनी हार कर देवेन के पिता ने देवेन के लिए लड़की ढूंढ निकाली और सगाई की तारीख तय हो गई परंतु सगाई नहीं हो पाई और बात वहीं समाप्त हो गई।
रश्मि की माँ बहुत ही संस्कारी और समझदार थी। रश्मि के भी रिश्ते की बात हजारों जगह चली पर हर जगह कोई ना कोई नुक्स एवम ख़राबी निकल जाती। बात बनते बनते नहीं बन पाती। रश्मि की माँ मजाक ही में कह देती रश्मि तेरे लिए शायद देवेन ही बना है उसके साथ ही तेरा रिश्ता करवा देते हैं। रश्मि के विषय में परिवार के पंडित ने रश्मि की जन्मपत्री देखकर कह दिया था पंडित ने भी यही कहा कि आप रश्मि के लिए रिश्ता मत ढूंढिए घर बैठे ही रिश्ता आएगा और आपके साथ यही कहावत सिद्ध होगी कि बगल में छुरी शहर में ढिंढोरा। रश्मि देवेन को बचपन से ही पसंद करती थी मगर उसके परिवार के विषय में जो सुना था उसकी वजह से घबराती थी।
सुबह का समय था रश्मि की माँ के पास उसकी एक सहेली का फोन आया की शीला आज बिरादरी सभा है वहां पर दूर-दूर से लोग अपने लड़के और लड़कियों के रिश्ते के लिए आएंगे क्या पता कोई अच्छा रिश्ता टकरा जाए …रश्मि के लिए। तुम इस सभा में जरूर चलो और रश्मि को भी ले चलना। शीला, रश्मि और शीला की सहेली के परिवार के कई सदस्य बिरादरी की सभा के लिए जाने के लिए राजी हो गए। अच्छे, संस्कारी, पढ़े-लिखे परिवार और लड़के सामने से गुजरे थोड़ी देर बैठ कर रश्मि और उसकी माँ सभागार के बाहर कुछ क्षण के लिए आए वहां पर रश्मि देवेन से टकरा जाती है दोनों की नजर मिलती है और बस बचपन की बातें, यादें हिचकोले खाने लगते हैं। देवेन और रश्मि एक दूसरे को देख कर खुश भी होते हैं और एक दूसरे को हाय हेलो भी करते हैं क्योंकि दोनों ही एक दूसरे को बचपन से जानते थे और पसंद भी करते थे। सभागार के अंदर आते ही अपने पिता को रश्मि के आने की सूचना देता और कहता है कि वह आज ही उसके परिवार वालों से यहीं पर बात करें और अब उन्हें किसी और के साथ या और कोई रिश्ता देखने की जरूरत नहीं है वह रश्मि से ही शादी करेगा रश्मि ही उसकी पहली और आखिरी पसंद है।
देवेन के पिता रश्मि के पिता से इस विषय को लेकर मिलते तो रहते थे मगर उन्हें रश्मि के पिता की ओर से संतुष्टिपूर्ण उत्तर नहीं मिलता था। आज भी बेटे की खुशी के आगे एक बार फिर रश्मि के पिता से बात करने की कोशिश में रश्मि के पिता के पास जाकर उन्होंने सारी बात बता दी फिर क्या था दोनों परिवार का मिलना वही होना था कहते हैं ना कि जोड़ियाँ ऊपर से बनकर आती है आखिरकार देवेन को अपना बचपन और बचपन की गुड़िया रश्मि मिल गई। उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा। 6 साल की उम्र से जिसे पसंद किया था उसको आज अपना बनते देख उसे अनन्त हर्ष हो रहा था मानो उसे कोई खजाना मिल गया हो। सभागार में सारी बातें पक्की हो गई। एक महीने में रोका और आठ महीने के अंदर - अंदर शादी भी हो गई रश्मि दुल्हन बनकर देवेन के घर आ गई, देवेन को यकीन नहीं हो रहा था कि जिसे सपनों में देखता था जिसका नाम कॉपियों किताबों में हजारों बार लिखता था। जिसका नाम उसके हाथ में और दिल पर छापा हुआ था वह आज उसके सामने थी।
यह प्यार ही है जो प्यार करने वालों को किसी ना किसी तरह मिला ही देता है और जिस का प्यार सच्चा होता है उसको किसी भी तरह के प्रलोभन या उपहार की आवश्यकता नहीं होती। जोड़ियाँ ऊपर वाले के पास लिखी होती हैं और शायद जीवन में किसी ना किसी मोड़ पर हमारी हमारे जीवन साथी से मुलाकात जरुर होती है और नहीं भी होती तो मन में एक तस्वीर छपी होती है जो रश्मि के मन में हमेशा से देवेन की और देवेन के मन में रश्मि की छपी थी। बचपन का प्यार परवान चढ़ चुका था बारिश बंद हो गई थी ठंडी शीत लहर और बसंत पंचमी की प्रभात गुलाबी स्वर्णिम लालिमा लिए नाच रही थी।
रश्मि 7:00 बज गए हैं खाना नहीं बनाना क्या? देवेन का प्यार भरे अंदाज़ में रोज़ रश्मि को समय बताना दोनों के प्यार और साथ का साक्षी है। आज रश्मि के बाल सफेद और देवेन के बाल उड़ गए हैं बच्चे जवान हो गए हैं समय का पहिया बहुत तेजी से घूमता हुआ बुढ़ापा ले आया है मगर दोनों का प्यार अभी भी वैसा का वैसा बचपन वाला है, दोनों रोज़ अपने बचपन के दिन याद करते हैं हर दिन को वैलेंटाइन डे की तरह जीते हैं दोनों का प्यार आज की युवा पीढ़ी के प्यार से बिल्कुल अलग और हटकर है। देवेन और रश्मि बहुत भाग्यशाली हैं जिन्हें एक दूसरे का प्यार और साथ मिला और जो अंत तक कायम रहेगा ईश्वर से यही शुभ कामना है।

