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Ranjana Mathur

Drama

3  

Ranjana Mathur

Drama

हाथी के दाँत

हाथी के दाँत

2 mins
177

“नमस्ते जी! कहाँ से आ रही हैं सास बहू घूम कर।”

“अजी बहू को डाक्टर के पास ले गयी थी मिसेज सिंघल।”

“ओ… क्या कोई गुड न्यूज है जी ?” उत्सुकता वश मिसेज सिंघल के कान खड़े हो गए।

“हाँ जी ईश्वर की कृपा से खुश खबरी है।”

“बधाई हो मिसेज सिन्हा”

“अरे बहू खड़ी क्यों हो? आंटी जी के पांव छू कर आशीर्वाद लो।” मिसेज सिन्हा बोलीं।

” अरे नहीं नहीं बेटा। सब ठीक है अभी झुकने की जरूरत नहीं। ये रस्म- रिवाज तो पूरी जिंदगी कर लेंगे। अभी नौ महीने के लिए यह सब बिल्कुल बंद रखिए मिसेज सिन्हा। इन चीजों से कुछ ऊंच-नीच हो जाए तो यह और इसका होने वाली संतान दोनों दुखी हो सकते हैं।”

“विशेष ध्यान रखिए इन बातों का।”

” बहू बी केयर फुल बेटा।”

भीतर खड़ी मिसेज सिंघल की बहू सारिका, जो स्वयं भी गर्भवती थी, मन ही मन अपने भाग्य पर इठला उठी। इतनी समझदार सासू माँ जो मिली थी उसे।

” भाभी जी ओ भाभी जी कहाँ हो?”

मिसेज सिंघल व बहू सारिका ने बाहर आकर देखा।

” अरे वाह। व्हाट ए प्लेजेन्ट सरप्राइज?? मालती दीदी आप।”

“अरे बहू। खड़ी खड़ी मुंह क्या देख रही हो। बुआजी के चरण छू कर आशीर्वाद लो। भई तुम्हारे व होने वाले बच्चे दोनों के लिए आशीर्वाद बहुत जरूरी है”….. मिसेज सिंघल आगे बढ़ कर मालती जी को गले लगाते हुए बोलीं।

सारिका अवाक् सी नीचे झुक गई। वह समझ चुकी थी कि वे हाथी के दांत थे जो कुछ देर पहले सासू जी दिखा रही थीं।


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