गुल्लक माटी की
गुल्लक माटी की
अपने जीवन से जुडी एक सरल-सादी, भोलेपन की छोटी सी कहानी ," क्या मेरा साया साथ है , एक एहसास केवल, पर इसे पकड़ ना सका ." है ना एक अधभुझा अपनत्व का हिस्सा, जिसे अतीत के गहरे जीवन-सफर ने अपने गर्द से धुंधला कर दिया, फिर भी है तो।
