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Vinod Nayak

Drama

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Vinod Nayak

Drama

गुलाब नही कमल

गुलाब नही कमल

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यश हर रोज बगीचे में लगे गुलाब को तोड़कर ले जाता और सोचता आज उसे दे ही दूँगा, पर कभी देने की हिम्मत न हुई। आज उसने गुलाब का फूल तोड़ते ही सोचा आज किसी भी हाल में उसे गुलाब का फूल देकर ही रहूँगा।


यश हिम्मत जुटाकर सुमन के पास आया और बोला “तुम्हें गुलाब पसंद है?”


सुमन ने यश को एक पल निहारा और कहा ”हाँ पसंद तो है लेकिन माँ हर रोज ‍तोड़कर पूजा के लिए रख लेती है”


यश ने जल्दी से अपना फूल निकाला और सुमन के हाथों में थमा दिया। सुमन मुस्काई, तभी माँ ने आवाज लगाई “सुमन गुलाब के फूल तोड़ लाना। आज तोड़ना भूल गई”


यश ने कहा “जाओ , पहले फूल तोड़कर दे आओ”


सुमन ने कहा “बस दो मिनिट, मैं अभी आई” सुमन फूल तोड़ने चली गई तो सुमन की माँ यश के पास आई और बोली “जिस गुलाब को तुमने पसंद किया है वो मेंरी बेटी नहीं , मेंरे काम बाली बाई की लड़की है। बीस वर्ष पहले इसे मैंने गोद लिया था।“


पीछे से आई सुमन के कानों में शब्द पड़ते ही गुलाब के फूलों की डलिया हाथों से छूट गई। सुमन कुछ कह पाती, इसके पहले यश ने कहा “जिसे अपनाने में आपको हर्ज़ नहीं हुआ तो मुझे कैसे? ये गुलाब नहीं कमल है कमल”


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