धन्यवाद
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मोटरसाइकिल में लगे काँच में अपना चेहरा कई मिनटों तक देख और संवर कर पेड़ पर जा बैठती चिड़िया । यह उसके प्रतिदिन का काम हो गया था । अब तो चिडा़ भी दूसरे काँच में संवरने आने लगा था ।दोनों लगातार काँच में चोंच मारते और अपना चेहरा देख खूब फुदकते।
चिड़िया प्रतिदिन की तरह अपने सजने संवरने में व्यस्त थी। तभी छुपकर बैठी बिल्ली ने उस पर पंजा मारा ।पंजा चिड़िया की पूंछ पर लगते ही वह तुरंत जान बचाकर भाग गई।
पेड़ पर पहुँचते ही चिडा़ को बताते हुए कहा, " अब काँच में संवरने मत जाना" । चिड़ा ने कहा, " क्यों , क्या हुआ?" चिड़िया ने साँस भरते हुए कहा," एक शैतान बिल्ली हमारी जान की भूखी है । मैं अभी अभी जान बचाकर भागकर आई हूँ।"
चिड़ा नही माना और काँच में संवरने पहुँच गया । कुछ देर तक चिड़ा ने काँच में टक टक की आवाज़ की लेकिन दूर से ताक रही बिल्ली पर जरा भी ध्यान नहीं दिया । चुपके से बिल्ली ने जोर का झपट्टा चिड़ा के गले पर मारा, चिड़ा जमीन पर आ गिरा ।
तुरंत मैं दौड़ा तो बिल्ली भाग गई लेकिन चिड़ा के गले से खून बह रहा था। मैंने तुरंत उठाकर, रुई से उसका खून पोंछा, दवाई लगाई और जब पानी पिलाया तो उसके जान में जान आई। थोड़ा पंखों को फड़फड़ाया और मुझे भगवान समझ धन्यवाद देकर पेड़ पर जा बैठा।
