पहल
पहल
'नमस्कार शर्माजी। 'शर्माजी ने मुस्कुराते हुए जवाब में कहा- "नमस्कार वर्माजी , चल दिये, मॉर्निंग वाक को ? '
वर्माजी ने पेट पर हाथ फेरते हुए कहा - 'हाँ भाई शर्माजी, देख तो रहे हो तोंद कितनी बाहर आ गई है। ऑफ़िस में जो दिन भर कम्प्यूटर के सामने बैठे रहना पड़ता है और आप सुनाई ये पानी डिब्बों में भरकर क्या कर रहे हो ? '
शर्माजी ने डिब्बों में पानी भरते हुए कहा - 'अरे वर्माजी ये तो मेरा हर रोज़ का काम है। कुछ पौधे बाहर लगायें हैं। उन्हें ही पानी दे रहा हूँ। इस से मेरी कसरत भी हो जाती है और मेरा शौक भी पूरा'
वर्माजी ने जानकारी लेते हुए कहा - ' मैं कुछ समझा नहीं।'
शर्माजी ने समझाते हुए कहा - 'वर्माजी, अच्छे स्वास्थ्य के लिए पेड़ -पौधे भी होना जरूरी है। इसलिए इनकी देखभाल से एक पंथ दो काज हो जाते है।'
वर्मा जी ने सुनते ही कहा - ' ये अच्छा है भाई, कल से हमें भी साथ ले लो। '
शर्माजी ने हँसते हुए कहा - ' कल से क्यों वर्माजी, आज से ही क्यों नहीं ? नेक काम में कैसी देरी ,चलो हमारे साथ, दिखाते हैं चार हाथों का कमाल। '
वर्माजी ने कहा - 'क्यों नही भाई ? 'क्या करना है ?'
शर्माजी ने कहा - 'दो पानी के डिब्बे आप ले लो और दो मैं ले लेता हूँ। '
शर्माजी और वर्माजी की मेहनत से सड़क के किनारे एक किमी. की दूरी तक कई पौधे आसमान छूने लगे। इन पेड-पौधों पर पक्षियों की चहचहाहट सूर्य से पहले मंत्रमुग्ध करने लगती तो एक दिन वर्माजी ने शर्माजी को नमस्कार कर कहा - ' शर्माजी तोंद तो ग़ायब हुई है साथ ही साथ ब्लडप्रेशर व डायबिटीज जैसी बीमारियाँ भी ग़ायब हो गई। कल टेस्ट कराया तो सब निल आया।'
शर्माजी ने हँसते हुए कहा -' वर्माजी प्रकृति खुश तो इंसान खुश क्यों न हो ? '
वर्माजी ने कहा - ' ये सब आपकी पहल से है शर्माजी देखो हमारे आगे पीछे कई लोगो शुद्ध ऑक्सीजन ले रहे हैं।
