गरीबी में होली
गरीबी में होली
होली के दिन सभी होली के रंगों में रंगे हुए थे।
क्या बच्चे क्या बूढ़े सभी उमंग से पर्व मना रहे थे। इधर एक ओर निर्धन बालक मनोहर उदास एक कोने में बैठकर होली मनाते सभी बच्चों को देख रहा था। माता-पिता का साया असमय ही उसके सिर से उठ चूका था। मनोहर को मायूस देखकर उसके मित्र अनमोल ने कहा "मित्र आज ख़ुशी के दिन तू इतना मायूस क्यूं है ?
चलो हम सभी मिलकर होली का यह त्योहार मनाते हैं। बरसों बाद किसी ने सही से बात की थी मनोहर से। मनोहर का चेहरा खिल गया। गरीबी असहनीय कष्ट जरुर देती है पर हालातों से मुँह भी हम नहीं मोड़ सकते हैं। मनोहर इस बात को बखूबी जानता था पर कभी-कभी मायूस हो जाता था आखिर वो भी तो इंसान है। अब, मिट्टी उड़ा उड़ाकर वह दोस्तों के संग होली खेलने लगा।
