Kavita Singh

Inspirational

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Kavita Singh

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गलती इंसान से ही होती है।

गलती इंसान से ही होती है।

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कई सालों बाद जब उसकी आवाज सुनी.... शादी के बाद जब पहली बार निक्की मायके आई तो घर में चारों तरफ खुशियां ही खुशियां फैली हुई थी। घर में सब ख़ुश थे। मम्मी- पापा , दादा- दादी सब अपने अपने तरीके से अपनी बेटी को दुलार कर रहे थे।

निक्की भी बहुत खुश थी। बगल में बड़े चाचा - चाची का घर था , वो वहां से भी सबसे मिलकर आ गई। उसके पति विशाल को जरूरी काम निपटाने थे, इसलिए वो निक्की को ले जाने के लिए अगले सप्ताह आने वाला था।

निक्की एक सप्ताह के लिए अपने मायके आई थी। मायके में वो अपने ससुराल वालों की ही बातें सबको बता रही थी। सब उससे बार बार यही पूछ रहे थे , ससुराल में सब ध्यान उसका ध्यान रखते हैं या नहीं।

निक्की की बातों से उसके परिवार वाले आश्वस्त हो गए कि उनकी बेटी ससुराल में खुश हैं। निक्की की बातों का सिलसिला चल ही रहा था कि उसे किसी की आवाज़ सुनाई दी।

उसे लगा किसी ने उसे आवाज दी ! "कई सालों बाद उसने जब ये आवाज़ सुनी तो लगा ये आवाज़ तो जानी , पहचानी है " निक्की जब पलटती है तो दरवाजे पर उसे किसी की परछाई नजर आती है।

निक्की के घरवाले भी उसी दिशा में देखते हैं, सामने खड़ी परछाई किसी और की नहीं बल्कि उसकी चचेरी बहन सौम्या की थी!

सौम्या को देख निक्की की आंखें खुली रह गई। वो दौड़कर जाती है और सौम्या को अन्दर लेकर आती है। चेहरे से वो अपनी बहन को पहचान ही नहीं पा रही थी। गोरा रंग काला पड़ गया था, गाल अंदर की तरफ़ धंस गया था। उसके सारे बाल सफ़ेद हो गए थे और चेहरे पर झुरियां पड़ गई थी।

निक्की अपनी बहन के गले लगकर रोने लगी।

दीदी आपको क्या हो गया है ?

आपकी हालत ऐसे कैसे हो गई ?

जीजा जी कहां है ?

इतने सारे सवाल एक साथ सुनकर सौम्या रोने लगी। उसका रोना सुनकर सौम्या की दादी भी अपने आंसुओं को नहीं रोक पाई थी।

घर का माहौल थोड़ा शांत हुआ तो निक्की अपनी बहन सौम्या के बारे में जानना चाह रही थी।

सौम्या पांच साल पहले अपने ही मोहल्ले के एक लड़के सतीश के साथ भागकर शादी कर ली थी। उसके बाद सतीश और सौम्या के परिवार वालों ने उन दोनो को उस मोहल्ले से बाहर निकाल दिया था।

सौम्या ने जिस लड़के से शादी की थी वो ज्यादा पढा लिखा नहीं था। शहर में वे दोनो किसी भी प्रकार का काम कर के खा रहे थे। सौम्या अठारह की हुई थी तब जब उसने उस लड़के से शादी की थी।

कुछ साल तो उनके ऐसे ही गुजर गए। पर बाद में स्थिति बद से बद्तर होती जा रही थी। रोज मजदूरों का काम कर कर के सतीश भी थक गया था, वो दोस्त जो शादी करने की सलाह दे रहे थे उनका दूर दूर तक पता नहीं था।

अभी एक महीना पहले सतीश एक दुर्घटना में मारा गया। अकेली सौम्या कैसे संभालती अपने आप को। सतीश के जाने के बाद उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था और वो हिम्मत कर अपने घर आ गई।

पहले वो सतीश के घर गई , जहां उसके परिवार वालों ने उसे अपने घर से निकाल दिया। रोती हुई सौम्या जब अपने घर में आई तो माता-पिता का दिल पसीज गया और उन्होंने अपनी बेटी को अपने पास रख लिया।

निक्की के बिदाई के अगले दिन ही सौम्य आ गई थी।

सौम्या को होश आ रहा था और निक्की का दिल फटा जा रहा था। अपनी बहन की तकलीफ़ उससे देखी नहीं जा रही थी। सौम्या को जब होश आया तो उसे खाना और दवाई खिलाकर सुला दिया गया।

निक्की बगल से अपने बड़े चाचा चाची को भी बुला लाई। उसने सबको एक साथ बैठा कर हाथ जोड़ कर कहा ; आप सबसे मेरी बिनती है कि आप सौम्या दीदी को माफ़ कर दीजिए। "गलती इंसान से ही होती है"।सौम्या दीदी बहुत मुश्किल समय से गुजर रही है। इस परिस्थिति में हमें उनकी ताकत बननी चाहिए।

उनसे जो गलती हुई थी वो उनके चेहरे ने साफ साफ कह दिया है। हमें उनके लिए कुछ सोचना पड़ेगा। हमें उनकी जिंदगी फिर से संवारनी होगी। हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि वो‌ अपनी पढ़ाई फिर से शुरू कर दें जिससे उन्हें इस कष्ट से उबरने में मदद मिलेगी। आप सब मुझसे वादा करिए सब लोग सौम्या दीदी का ध्यान रखेंगे और उनको इस दुःख से बाहर निकालने में उनकी मदद करेंगे।

निक्की की दादी ने सबसे पहले कहा , "मैं अपनी पोती जिंदगी संवारने के लिए उसकी मदद करूंगी"।

सब अपनी घर की बेटी की जिंदगी संवारने के लिए तैयार थे।


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