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Prashant Beybaar

Drama

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Prashant Beybaar

Drama

गीले सूखे आँसू

गीले सूखे आँसू

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"दाँती भींच, मुट्ठी दबाके, 

ज़ोर लगाके, ज़ोर लगाके"

सरकारी अस्पताल के प्रसव-गृह से ये नारा अक्सर ही तेज़ आवाज़ में उठता है। झाड़ू करती आया, दवाई रखती वार्ड-गर्ल्, सुई भरती हेड नर्स ममता सभी एक सुर में ये नारा दोहराते हैं। "दाँती भींच ....."

हेड नर्स ममता ने पसीने में लथपथ जच्चा से कड़क आवाज़ में पूछा, "इतनी घबराई हुई क्यूँ हो ? पहला है या शहर से हो?"

"वो ...वो पहला...", जच्चा हँफहफाई। 

"वो.....जी....नर्स जी, मुझे नहीं करवानी डिलीवरी...नहीं...आज नहीं"

ममता ने हैरानी से पूछा, "क्यूँ ? डॉक्टर साहिबा भी आने वाली हैं"

"नहीं जी, मेरे ससुराल वाले बाहर ही बैठे हैं "

" हाँ तो? क्या हुआ ?"

"आज सुबह मुझसे पहली दो डिलीवरी में लड़की हुई है, मेरे भी हो गयी तो वो मुझे यहीं छोड़ जाएँगे और होने वाली को भी...प्लीज़ आज नहीं...प्लीज़", कहते कहते जच्चा फूट कर रोई और बेहोश हो गयी।

डॉक्टर धडधडाती दाखिल हुई, "सब तैयार है ? ममता जी, आप जाइये, आपकी प्रार्थना का वक़्त हो गया है"।

इस वार्ड की यही रिवायत है, नर्स ममता पिछले आठ साल से अपनी ड्यूटी में दस मिनट के लिए एक अलग कमरे में अकेली प्रार्थना करती है, और फिर कोई भी ऑपरेश

न फ़ेल नहीं होता। 

डॉक्टर भी रिस्क नहीं लेना चाहते, इसीलिए इस रिवायत से पीछे नहीं हटते।

ऑपरेशन पूरा हुआ, डॉक्टर ने सब निपटा कर ममता को समझाया और चली गयी। जच्चा ने आँखें खोली, तो ममता ने अपनी बाहों में पड़े बिलांद भर के बच्चे को उसकी गोदी में सौंपकर कहा, "ले खुश रह, लड़का हुआ है।"

पास खड़ी जूनियर नर्स ने अचंभे में पूछा, "आप ऐसा क्या कहती हो प्रार्थना में ममता मैडम ?"

ममता यकायक गहरे ख़यालों में खो गयी । 

उस अलग कमरे का दरवाज़ा बंद करते ही, एक अंधेरा पसर गया। आँखें भर आयीं और होंठ फकफकाने लगे। उसने दोनों कान हाथों से दबाए, मगर आवाज़ें ज़हन चीर रहीं थीं, "साली, सूखा तालाब है तू" ,"एक बच्चा तो दे नहीं पाई, बड़ी आयी नर्स की नौकरी करने वाली", "इसका पेट है या चिकनी मिट्टी का घड़ा, बच्चा ठहरता ही नहीं"। उसने वहशीपन से ख़ुदको बेहिसाब चांटे जड़े, पेट को उंगलियों से नोंच लिया और घुटनों के बल जा बैठी थी। 

तभी अचानक जूनियर नर्स ने ममता को हिलाया। ममता होश में आयी, जच्चा को देखकर धीमे से मुस्कुराई और चली गयी। 

कई गीले आँसू थे जो जच्चा की आँखों में दिखे, मगर कहीं ज़्यादा सूखे आँसू थे ममता की आँखों में, जो किसी ने नहीं देखे।


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