घर घर की कहानी
घर घर की कहानी
अमित अपने पर झल्ला उठा, ”मालूम नहीं मै अपना सामान खुद ही रख कर क्यों भूल जाता हूँ, पता नही इस घर के लोग भी कैसे कैसे है, मेरा सारा सामान उठा कर इधर उधर पटक देते है, बौखला कर उसने अपनी धर्मपत्नी को आवाज़ दी, ”मीता सुनती हो, मैने अपनी एक ज़रूरी फाईल यहाँ मेज़ पर रखी थी, एक घंटे से ढूँढ रहा हूँ, कहाँ उठा कर रख दी तुमने ?
गुस्से में दांत भींच कर अमित चिल्ला कर बोला, ”प्लीज़ मेरी चीज़ों को मत छेड़ा करो, कितनी बार कहा है तुम्हे, ”अमित के ऊँचे स्वर सुनते ही मीता के दिल की धड़कने तेज़ हो गई कहीं इसी बात को ले कर गर्मागर्मी न हो जाये इसलिए वह भागी भागी आई और मेज़ पर रखे सामान को उलट पुलट कर अमित की फाईल खोजने लगी, जैसे ही उसने मेज़ पर रखा अमित का ब्रीफकेस उठाया उसके नीचे रखी हुई फाईल झाँकने लगी, मीता ने मेज़ से फाईल उठाते हुए अमित की तरफ देखा, चुपचाप मीता के हाथ से फाईल ली और दूसरे कमरे में चला गया ।
अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब हमारी इच्छानुसार कोई कार्य नही हो पाता तब क्रोध एवं आक्रोश का पैदा होंना सम्भाविक है, याँ छोटी छोटी बातों याँ विचारों में मतभेद होने से भी क्रोध आ ही जाता है।यह केवल अमित के साथ ही नही हम सभी के साथ आये दिन होता रहता है। ऐसा भी देखा गया है जो व्यक्ति हमारे बहुत करीब होते है अक्सर वही लोग अत्यधिक हमारे क्रोध का निशाना बनते है और क्रोध के
चलते सबसे अधिक दुःख भी हम उन्ही को पहुँचाते है, अगर हम अपने क्रोध पर काबू नही कर पाते तब रिश्तों में कड़वाहट तो आयेगी ही लेकिन यह हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत को भी क्षतिगरस्त करता है, अगर विज्ञान की भाषा में कहें तो इलेक्ट्रोइंसेफलीजिया [ई ई जी] द्वारा दिमाग की इलेक्ट्रल एक्टिविटी यानिकि मस्तिष्क में उठ रही तरंगों को मापा जा सकता है, क्रोध की स्थिति में यह तरंगे अधिक मात्रा में बढ़ जाती है। जब कोई व्यक्ति पूरी तरह से अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है तब मस्तिष्क तरंगे बहुत ही अधिक मात्रा में बढ़ जाती है और चिकित्सक उसे पागल करार कर देते है। क्रोध भी क्षणिक पागलपन की स्थिति जैसा है जिसमे व्यक्ति अपने होश खो बैठता है और अपने ही हाथों से जुर्म तक कर बैठता है और वह व्यक्ति अपनी बाक़ी सारी उम्र पछतावे की अग्नि में जलता रहता है, तभी तो कहते है कि क्रोध मूर्खता से शुरू हो कर पश्चाताप पर खत्म होता है।
मीता की समझ में आ गया कि क्रोध करने से कुछ भी हासिल नही होता उलटा नुक्सान ही होता है, उसने कुर्सी पर बैठ कर लम्बी लम्बी साँसे ली और एक गिलास पानी पिया और फिर आँखे बंद कर अपने मस्तिष्क में उठ रहे तनाव को दूर करने की कोशिश करने लगी, कुछ देर बाद वह उठी और एक गिलास पानी का भरकर मुस्कुराते हुए अमित के हाथ में थमा दिया, दोनों की आँखों से आँखें मिली और होंठ मुस्कुरा उठे।