घोड़े की सवारी
घोड़े की सवारी
घोड़े की सवारी पर मैं एक बहुत ही अच्छी दुनिया की नजीर पेश करूंगी । यह दुनिया ऐसी है ,यदि घोड़े की सवारी करनी है तो हमेशा हमें मजबूत ,आत्मविश्वासी ,किसी की परवाह न करते हुए अपने पर नियंत्रण वाला बनना होगा ।अन्यथा घोड़ा गिरा देगा कोई कहेगा अरे भाई घोड़े से जाना ख़तरनाक है ।
मैं एक ऐसी ही कहानी के माध्यम से आपको बता रही हूं कहानी आप सभी की अवश्य पढ़ी होगी ,मैं बस एक मिसाल बता रही हूं
सुनिये सब की करिये मन की वह भी विवेक बुद्धि को साथ लेकर।
किसी गांव में पिता पुत्र रहते थे । वह एक बार घोड़े से किसी गांव को जा रहे थे । पिता पुत्र दोनों ही घोड़े पर बैठ गए और जाने लगे गांव के लोग उनको देखकर बोले , अरे देखो कैसे निर्दयी दया शून्य हैं बेचारे घोड़े के ऊपर दोनों लदे बैठे हैं घोड़े की जान की तो फिक्र ही नहीं है ।
पिता पुत्र दोनों घोड़े से उतरकर पैदल चलने लगे आगे फिर एक गाँव मिला लोगों कहने लगे कैसे बेवकूफ है घोड़ा साथ में लिए हैं और दोनों बाप बेटा पैदल चल रहे हैं ।
अब उन्होंने क्या किया बेटे ने पिता को घोड़े पर बैठा दिया और खुद पैदल चलने लगा अब लोग क्या कहते हैं कैसा पिता है इसको दया भी नहीं बूढ़ा खुद घोड़े पर सवार है बेटे को पैदल चला रहा है ।
अब बेटा घोड़े पर बैठ गया और पिता पैदल चलने लगा तो दूसरे गांव गए तो लोग कहने लगे अरे देखो तो कैसा ढीठ पुत्र है ,"बूढ़ा पिता पैदल चल रहा है और खुद घोड़े पर सवार है आंख में शर्म ही नहीं ।
ऐसे करते-करते वह बहुत परेशान हो गए दोनों के सिर में दर्द होने लगा उनको कुछ समझ में नहीं आया तब वे एक कुआं देख पानी पीने को गये वहां एक बुढ़िया माई मिली बोली ,"बेटा !! "बहुत थके हुए व परेशान लग रहे हो लगता है किसी दूर के गाँव से आये हो थोड़ा आराम कर लो "।
वह आराम करने को बैठ गये उन्हें परेशान देख माई बोली आखिर तुम्हारी परेशानी का कारण क्या है ?? उन्होंने माई को अपनी पूरी कहानी सुनाई । सुनकर वह बोली," बेटा यह दुनिया इसी तरह की है तुम आत्मविश्वास के साथ अपनी राह चलते रहो और घोड़े की लगाम अपने हाथ में पकड़ो यह घोड़ा तो हमारा मन है हम मन को जिधर ही करेंगे नकारात्मक सकारात्मक विचार धारा से वास्ता पड़ेगा बस हमें अपनी विवेक बुद्धि से इसको नियंत्रण में करके अपनी चाल चलते रहना है वरना हमारी भी हालत उन्हीं पिता -पुत्र जैसी होगी ।