Charu Sharma

Inspirational Tragedy

2.8  

Charu Sharma

Inspirational Tragedy

एक सेक्स वर्कर का नजरिया

एक सेक्स वर्कर का नजरिया

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मैं इधर लोगों को ख़ुशियाँ बांटने का काम करती हूँ …

“वो मुझसे अपनी ख़ुशियाँ लेने आते हैं, मेरे साथ हम बिस्तर होना तो उसका बस एक ज़रिया है, मैं किसी को ख़ुशियाँ बांटने का काम करती हूँ, अब आप उसे किसी भी नाम से पुकारो मेरे को कोई फर्क नहीं पड़ता।” ये शब्द है एक पेशेवर वेश्या के, एक धंधेवाली के, जी हाँ, हम सब अक्सर जिस्मफरोशी करने वाली औरतों को इसी नाम से पुकारते है, जानते है। लेकिन एक ऐसी ही धंधेवाली ने बड़ी ही बेबाकी से मुझे अपने काम के बारे में बताया और ना सिर्फ बताया बल्कि अपने काम को एक नए अंदाज़ में उसने मेरे सामने पेश किया जहाँ अपने काम के लिए अगर उसको फक्र नहीं था तो कोई गीला भी नहीं था, बल्कि बड़ी सहजता से उसने अपने आप को लोगों को ख़ुशियाँ बांटने वाला एक जरिया बताया।

वेश्यावृति और वेश्याओं की स्थिति पर बन रही एक डाक्यूमेंट्री फिल्म के सिलसिले में मुझे हाल ही में एक बड़े शहर के रेड लाइट एरिया में जाने का मौका मिला, जैसा कि अमूमन होता है कि हम ऐसी औरतों को या तो नफरत की नजर से देखते हैं या फिर बेचारगी के तराजू से तौलते हैं। यहाँ भी शुरू में हालात कुछ ऐसे ही थे ज्यादातर औरतें अपने हालात और इस धंधे में होने वाली तमाम मुश्किलों के बारे में बयान कर रहीं थीं। हम सब जानते ही हैं कि जब से एस्कॉर्ट और हाई प्रोफाइल कॉल गर्ल्स ने इस काम को अपनाया है तबसे पारंपरिक कोठेवालियों के बुरे दिन शुरू हो गए हैं, हालांकि ये भी अपनी ताज़ा नस्लों को पारंपरिक शैली से बाहर निकाल कर डिजिटल दुनिया के लिए तैयार कर रही हैं लेकिन फिर भी दिक्कतें तो हैं ही, क्योंकि ना तो इनके पास उतनी सुविधाएं हैं और ना ही पैसा, तो किसी भी हाल में अपनी जड़ों से जुड़े रहना इनकी एक मजबूरी है।

कई औरतों से बात करने के बाद मेरी मुलाकात एक २५-२६ साल की लड़की से हुई, वो अपनी एक छोटी सी कोठरी के बाहर तैयार होकर बैठी थी। हमने उससे बात करना शुरू किया, उसने बड़े ही चहकते हुए अंदाज़ में अपना नाम बताया और हमसे भी दो चार सवाल पूछ डाले, मसलन ये क्या कर रहे हो, क्यों कर रहे हो वगैरह वगैरह। ऐसा लगता था कि वो खुश थी वहाँ, हाँ, सही सुना आपने, वो खुश थी। पर ऐसी नर्क जैसी जगह पर कोई कैसे खुश हो सकता है लेकिन उसने हमारी सोच को झुठला दिया, उसके बारे में मेरी दिलचस्पी और बढ़ गयी, मैं उसकी कहानी जानना चाहती थी। उसने भी बिना हिचके बताना शुरू किया, “मैं उत्तर भारत के एक छोटे से कस्बे से हूँ, मेरे गाँव में हमारे एक पड़ोसी थे, उनकी बेटी मेरी अच्छी सहेली थी। हम दोनों बहुत समय साथ में रहते थे, एक बार उनके यहाँ उनके एक रिश्तेदार आये जिनके लड़के से मेरे को प्यार हो गया हम दोनों के परिवार वाले तो मानने वाले नहीं थे इसलिए वो मेरे को लेकर भाग आया। यहाँ उसके पहचान वाले कुछ लोग थे, उधर हम लोग कुछ दिन रहे, उसने और मैंने काम तलाश करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। कुछ दिन में जो घर से पैसे वगैरह लाये थे वो सब ख़त्म हो गए, तब मुश्किल होने लगी, हम दोनों में झगड़े भी होने लगे और मेरा बॉयफ्रेंड मेरे को मारने भी लगा। उसके इधर जो जानने वाले लोग थे उन्होंने उसको इस धंधे के बारे में सुझाव दिया और बोला कि अगर मैं मान जाऊँ तो वो ग्राहक पटा कर लाएंगे लेकिन बदले में उनको भी कमीशन चाहिएगा। मेरा बॉयफ्रेंड ने मेरे को बहुत समझाया और कहा कि इसके अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं है वरना हमें सुसाइड करना पड़ेगा या फिर घर वापस जाना होगा। उसने कहा कि उसे मेरे ऐसा करने से कोई प्रॉब्लम भी नहीं है वो हमेशा मेरा साथ निभाएगा अगर मैं इस मुश्किल से उसको बाहर निकालती हूँ तो, तो मैंने बहुत सोचा और मेरे को लगा कि ये भी मेरे साथ है तो क्या प्रॉब्लम है फिर मैं घर वापस जा नहीं सकती थी और मरना मुझे मंज़ूर नहीं था। जीने के लिए घर से भागी थी अब मर क्यों जाऊं, तो मैंने मन बना लिया कि ठीक है यही सही, ऐसे ही जियेंगे। मेरे बॉयफ्रैंड और उसके दोस्तों ने मेरे लिए कस्मटर लाना शुरू कर दिया, हर रोज़ एक कस्टमर लाया जाता और उस एक दिन का खर्च निकल जाता, ऐसे कुछ दिन चला लेकिन कुछ पैसा जुड़ नहीं पा रहा था क्योंकि रोज़ का खाना, पीना और कमीशन वगैरह का पैसा निकालकर कुछ बचता ही नहीं था। तब मेरा बॉयफ्रेंड मेरे पास एक नया ऑफर लेकर आया कि वो मुझे एक कोठे पर बेचेगा और वहां से बदले में एक मोटी रकम लेकर उससे अपना काम शुरू करेगा, फिर कुछ दिन में वापस मुझे वहां से खरीदकर ले जाएगा। मैंने ये बात भी मान ली, वो मुझे यहाँ छोड़कर पैसे लेकर चला गया, तब से मैं यहाँ हूँ। कुछ दिन तक वो कभी कभी मिलने आता था, फिर उसने आना बंद कर दिया फिर एक दिन उसका एक दोस्त यहाँ आया और बताया कि अभी वो दूसरी लड़की के साथ सेट हो गया है और तेरे को भूल गया है, तो अभी तू इधर ही रहने वाली है।

पहले तो मेरे को दुःख हुआ, मैं बहुत रोई धोयी लेकिन इधर कोई किसी के आँसू नहीं पोंछता क्योंकि सब ही तो रोते हैं यहाँ, बहुत दिन सदमे में रहने के बाद मैंने फिर सोचा कि दुखी होकर क्या करूँगी अपने को ज़िन्दा रखना है तो अब यही मेरी किस्मत सही, कोई क्या कर सकता है। सब समझदार लोग बोलते हैं की सब भगवान की मर्ज़ी से होता है तो मैं उसकी मर्ज़ी के खिलाफ कैसे जा सकती हूँ । फिर मैंने सोचा, भगवान सबके बारे में तय करता है तो शायद उसने मुझे इधर ख़ुशी बांटने के लिए भेजा है, तो मैं इधर लोगों को ख़ुशियाँ बांटने का काम करती हूँ। मेरे कस्टमर लोग आते हैं इधर दुखी होकर और मेरे साथ टाइम बिताकर खुश होकर जाते हैं , दुनिया बोलती है धंधा करती है, हाँ तो करती हूँ धंधा लेकिन ख़ुशी बांटने का धंधा जो हर किसी के बस की बात नहीं है । दुखी तो हम किसी को भी कर सकते हैं, लेकिन खुश करना आसान नहीं होता और मेरे को तो उस ऊपर वाले ने इस काम के लिए चुना है तो मैं जो कर रही हूँ, उसमें खुश हूँ और दूसरों को भी खुश उस दिन उस लड़की का आत्मविश्वास और जिंदगी और हालात के प्रति नज़रिया वाकई सोचने पर मजबूर कर गया कि ऐसी जगह रहकर और इतना सब सहकर भी कोई इतनी मजबूती से कैसे खड़ा रह सकता है। यकीन मानिये कि उसकी जगह अगर कोई और होता तो कब का अपनी जिंदगी ख़त्म कर लेता, मैं उसके जज्बे, हिम्मत और सोच को सलाम करती हूँ और साथ ही ये जानना चाहती हूँ कि आजकल हम जो महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) के बारे में बड़ी बड़ी बातें करते हैं उनमें इस तरह की महिलाओं की गिनती कहाँ है और गिनती है भी या नहीं क्योंकि हम में से ज्यादातर तो इन औरतों को समाज है हिस्सा ही नहीं मानते हैं।


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