Charu Sharma

Others

3.3  

Charu Sharma

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एक बिहारी लेखक की प्रेरणा

एक बिहारी लेखक की प्रेरणा

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ऐसी ख्वाहिशें लिए वो रोज घंटों अपने लैपटॉप के सामने बैठा रहता था,रोज वर्ड डॉक्युमेंट का नया पेज बनाता, उस पर ॐ लिखता और फिर लिखना शुरू करता, लेकिन बहुत देर तक सोचने के बाद भी दो चार शब्द ही लिख पाता, उन्हें भी डिलीट करता, फिर लिखता, बस यही चलता रहता। कभी उठकर खिड़की के पास चला जाता और बाहर गली में आते जाते लोगों को देखता रहता।उन अपरचित चेहरों में अपनी प्रेरणा तलाशता रहता। अलग अलग तरह के चेहरे बना कर सोचता रहता या सोचने की एक्टिंग करता रहता ,रात को छत पर तारे गिनता, फिर भी बात न बनी।कोई inspiration आस पास तो क्या दूर दूर तक न दिखी। घरवाले परेशान, दोस्त, पड़ोसी सब हैरान ,सब उसकी तरफ यूँ देखते जैसे किसी दुसरे ग्रह से आया हो, एक रोज तो हद हो गयी, जब वो पूरे चालीस मिनट तक एक गाय को देखता रहा एकटक और उसके करीब बैठकर अपने लैपटॉप पर कुछ लिखता रहा। सबको लगा आज तो कुछ कमाल हुआ होगा, आज तो गाय के बारे में कुछ ऐसा लिखा होगा जो आजतक किसी ने न सुना होगा ना देखा होगा, लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात। अगली सुबह फिर वही खिड़की पर बैठा लोगों को घूर रहा था।

ऐसे ऐसे आइडिया आते की लगता बस, यही तो है, जिसकी तलाश है पर जब लिखने बैठता तो सर घूम जाता। हाथ जैसे जकड जाते और दो चार शब्दों से ज्यादा कुछ लिख ना पाता ,खाता, सोता, जागता, सोचता और बैठा रहता , माँ को लगा कि बेटे पर किसी प्रेतात्मा का साया है, जब देखो तब बस गुमसुम रहता है ,हंसना भूल गया है, बड़ा भाई डॉ को दिखाने ले गया , डॉ ने लिटा, बिठा कर खूब चेक किया और फिर ४-५ दवाओं के नाम लिखकर ये कह कर दे दिया कि देखने वाली कोई बीमारी नहीं है, दिमाग की बीमारी हुई है, डिप्रेशन, आजकल बड़े लोगों में बहुत पायी जाती है , माँ, बाप, सर पकड़ लिए कि बड़ा काम करना चाहता था, वो तो ना हुआ, हाँ, बड़ा लोगों का बीमारी जरूर पकड़ लिया| अब कैसे होगा , ऐसे ही कुछ दिन निकल गए।

एक रोज उसका दोस्त मुंबई से आया और उसके घर मिलने आया। दोनों उसके कमरे में बैठे बहुत देर तक बतियाते रहे , जब दोस्त जाने लगा तो माँ ने रोका और पूछा, क्या तुमसे बात किया वो बेटा, हम सबसे तो बतियाता ही नहीं, बस हमेशा गुमसुम बैठा रहता है, डॉक्टर ने डिप्रेशन बीमारी बताया है इलाज चालु है, पर कुछ फायदा नहीं लगता, दोस्त ने उसके घरवालों को समझाया, उसे कुछ नहीं हुआ है, वो लेखक बनना चाहता है, इसलिए ऐसे व्यवहार कर रहा है। वो कोई बीमार नहीं है, वो तो लेखक का attitude और उसके जैसा व्यवहार करने की कोशिश कर रहा है। आप लोग डरिये मत, वो एकदम ठीक है | कुछ दिनों में ठीक हो जाएगा। माँ बाप चौंके, लेखक बनने की तैयारी में है, पर कैसे बनेगा। लेखक शब्द तो पिछली पचास पुश्तों में किसी ने उनके खानदान में नहीं ये लेखक बनने में लोग पगलिया जाते हैं का, आपको कुछ पता है इसके बारे में जी, माँ ने बड़े अचरज और संदेह से अपने पति की ओर देखते हुए सवाल किया , क्या पता हमें तो कुछ समझ नहीं आता ,सीधी साधी नौकरी करता और हमारी मदद करता, लेकिन न जाने ये क्या लेखक बनने का भूत सवार हुआ है , जान पहचान वाले पागल समझते हैं, पीठ पीछे हँसते हैं और मजाक बनाते हैं। जहाँ देखो वहां बैठा रहता है और लोगों को घूरता रहता है ,किसी दिन कुछ बबाल कटवाएगा ,तुम समझाओ कि ये सब छोड़कर काम धंधा सम्हाले , कब तक बैठकर खिलाएंगे ,अरे हमारी भी तो उम्र हो रही है ,लड़की ब्याहने को बैठी है और ये चले हैं लेखक बनने और लेखक बनकर क्या कमायेंगे, कुछ नहीं पता | हमारी ही किस्मत फूटी है कि इसे हमारे घर पैदा कर दिया, अभी माँ बाप की बातचीत चल ही रही थी कि वो आकर उनके पास कुर्सी पर बैठ गया, दोनों चुप हो गए, माँ उठकर जाने लगी तो उसने रमैं आप दोनों से कुछ कहना चाहता हूँ, धीमी सी आवाज़ में उसने अपने माता पिता के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा, माँ वापस बैठ गयी और उसका मुंह ताकने लगीं , उसने फिर कहना शुरू किया, मुझे लेखक बनना है, राइटर, मेरे साथ के लोग कहते हैं मुझमें वो बात है ,मैं बहुत दिनों से कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूँ लेकिन यहाँ माहौल नहीं बन पा रहा है। हमें लगता है, हमें कुछ दिनों के लिए कहीं ऐसी जगह चले जाना चाहिए, जहाँ हम एकांत में लिखने का काम कर सकें। यहाँ हमें लिखने में दिक्कत आ रही है। हमें प्रेरणा नहीं मिल पा रही है। तो हमें कुछ पैसे चाहिए ताकि हम कहीं जाकर ये काम कर सकें। पिता ने पूछा, कितना पैसा चाहिए। पांच, सात हज़ार जो भी आप दे सकें। ५-७ हज़ार, कहाँ से लाएंगे इतना पैसा और कब तक लौटाओगे, वो सोचे हो, तो हम कहीं से मांग कर लाएं , और जाना कहाँ है , वो तो हम नहीं सोचें हैं, पर हाँ गया जाने का विचार है, सुना है बहुत ही शांत जगह है और वहां पर रहना खाना भी सस्ता ही होगा ,अम्मा, हम बस एक बार राइटर बन जाएँ, फिर देखना, कितना नाम होगा हमारा, कितना पैसा कमाएंगे हम, सब देखते रह जाएंगे |,जो हमें अभी पागल समझते हैं ना, वहीँ आएंगे हमारे साथ फोटो खिंचवाने, देखना तुम एक दिन , माँ पिघल गयी, बेटे के सर पर प्यार से हाथ फेरा और फिर पिता की तरफ देखा, मानो कहना चाहती हो, जाओ पैसों का इंतजाम करलेकिन पिता इतनी आसानी से पिघलने वालों में से नहीं थे, फिर एक सवाल दाग दिए ,शांति ढूंढने बाहर जाओगे, का घर में शांति नहीं है। सारा दन तुम ही तो रहते हो यहाँ, हम तो काम पर चले जाते हैं, बहनिया कॉलेज चली जाए है और माँ तुम्हारी रसोई में रहती है, तो इत्ते बड़े घर में तुम्हीं न रह गए शांति के साथ। चले हैं ५-७ हज़ार में आग लगाकर शांति ढूंढने, और तुम इसके सर पर हाथ फिरा रही हो समझती काहे नहीं हो अपने लाल को, पिता बेटे को समझाते समझाते पत्नी पर नाराजगी उतारने लगा। अरे तो कह तो रहा है कि खूब कमायेगा, तो क्यों ना ५-७ हज़ार से उसकी मदद कर दी जाए। अगर कोई बुनिनेस कराते तब भी तो कुछ खर्च करना पड़ता, बस वही समझ लो। जाओ उसको पैसों का इंतज़ाम कर के दे दो, माँ ने समझाने का आखिरी दावं खेला और प्यार से पति को मना लिया| अरे कमायेगा जब कमायेगा, अभी तो धेले नहीं मिल रहे , सब तुमने ही बिगाड़ा है बिना मतलब का लाड़ प्यार करके, एक दिन तुम्ही पछताओगी कहे देते है,ठीक है, ठीक है, अब ज्यादा लेक्चर ना दो, तुम्हारे साथ भी कोई खुश नहीं हैं, पछता ही रहे हैं, पर कभी शिकायत की तुमसे | हम बहुत घुट घुट क्र जिए हैं तुम्हारे साथ अब अपने बच्चों के साथ न होने ये। देंगे जाओ पैसों का जुगाड़ करो, अपने बेटे को लेखक बनाउंगी, खूब तरक्की करेगा मेरा लाल। जा बेटा, तू आराम कर, मैं दूध लाती हूँ तेरे लिए। और अपना सामान वगैरह मुझे बता दीयों, मैं तैयार कर दूँगी। तू बस अपना दिमाग और मन शांत रख। जा, तू जा | माँ ने बेटे को भेज दिया फिर अपने पति को डांटते हुए बोली, तुम्हें शर्म ना आती, अपने बच्चे का हौसला तोड़ते हुए | खुद तो जिंदगी में कुछ कर ना पाए, बस ये तंबाकू रगड़ते रह गए (पति उस समय तंबाकू रगड़ रहा था), अब बेटा कुछ करने की ख्वाहिश रखता है तो उसे भी मत करने दो , पत्नी के तेवर देख पति को चुप रहना ही सही लगा | वो सर झुका कर चुपचाप अपना तंबाकू रगडबेटा गया के लिए बस में चढ़ा। कुछ देर बाद एक लड़की आकर उसकी साथ वाली सीट पर बैठ गयी। दोनों में बातचीत शुरू हुई और दोस्ती हो गयी ,लड़की भी गया जा रही थी , कुछ पलों के बाद लड़का बस की खिड़की से सर बहार निकालकर देख रहा था , हवा के हलके हलके झोंके उसके चेहरे को छू रहे थे | एक पल को उसके मन में ना जाने कितने ही ख्याल कौंध गए , उसे लगा कि वो बहुत कुछ लिखना चाहता है ,उसको लिखने की प्रेरणा मिल गयी थी या यूँ कहें कि प्रेरणा खुद उसके साथ चल रही थी, उसके साथ सफर कर रही थी। उसने तुरंत मुस्कुराकर बगल में बैठी लड़की की तरफ देखा और कागज कलम निकाल कर एक शायरी लड़की की खूबसूरती के नाम लिख डाली और फिर लड़की को सुना भी दी। लड़की खीसें निपोर कर ही ही करने लगी और अपनी शर्माने की कला का प्रदर्शन करने लगी, सफर बड़ा शानदार रहा, लड़का फूला नहीं समां रहा था क्योंकि एक खूबसूरत लड़की (अपने एरिया की) उसके कंधे पर पूरे ४ घंटे और ४२ मिनट तक अपगया में उसका समय बहुत अच्छा गुजरा ,अममून हर जगह लड़की उसके साथ रही ,दोनों ने खूब एन्जॉय किया। एक साथ रहना, खाना, पीना और यहाँ तक कि सोना जागना भी साथ साथ। जब दोनों होटल से तैयार होकर साथ निकलते तो वो उसका पर्स, धुप का चश्मा, रुमाल वगैरह पकडे होता और उसके पीछे पीछे चलता। लड़के का पर्स उसके पास नहीं होता था, अब वो लड़की के हाथ में नज़र आता। सब कुछ चल रहा था, सब कुछ हो रहा था बस कुछ ना हो रहा था तो वो था लेखन। लेखक कहीं भटका सा दिखता था। वो कुछ लिखता ना था लेकिन दिमाग में विचारों का बवंडर मचा रहता था | वो उसे दुखी नहीं करना चाहता था | इसलिए सारा समय उसके साथ बिताता। एक दो बार घर से माँ का फ़ोन आया तब भी बिजी होने का बहाना करके काट दिया। इसीएक सुबह वो सो कर उठा और बेड पर हाथ फिरा कर देखा तो बिस्तर खाली था। उठकर इधर उधर बहुत ढूँढा पूरा होटल चेक किया लेकिन उसकी प्रेरणा उसके सामान और पैसों के साथ गायब थी। बस कुछ खाली कागज और डब्बे कमरे में बिखरे पड़े थे। उसने फ़ोन किया लेकिन फ़ोन नहीं लगा |.वो सर पकड़ कर बैठ गया | यानि ये सब एक धोखा था। वो मुझे लूटने आयी थी ,वो मेरी प्रेरणा नहीं थी। उसके दिमाग में इतने ख्याल और सवाल आज से पहले एक साथ कभी नहीं चले थे। माँ बाबू जी को क्या मुंह दिखायेगा , लोगों को पता चलेगा तो तो उसका कितना मजाक बनाएंगे , क्यों किया उसने ऐसा| आखिर मैंने कहाँ कमी छोड़ दी थी , सब कुछ तो उसी पर लुटा रहा था , धोखेबाज, बेवफा और भी कई नामों से मन ही मन उसे खूब कोसा, ना जाने क्यों कोसते कोसते आँखों में नमी आ गयी .शायद वो उसके लिए संजीदा हो गया था | उसके चले जाने से कुछ अंदर टूट सा गया था,अभी वो इस दुःख से उबरा भी नहीं था कि होटल वाला आ गया | बाहर पोलिस आयी थी , उसने पुलिस को कुछ भी कहने से मना कर दिया , वो उसे बदनाम नहीं करना चाहता थहोटल वाले ने किराया माँगा , उसने भरी मन से माँ को फ़ोन किया और पैसा मंगवाया , माँ ने अपनी चूड़ी गिरवी रखकर बेटे को पैसा भिजवाया , वो सही सलामत घर लौट आया , घर आकर किसी से कुछ नहीं बोला, बस चुपचाप जाकर अपने कमरे में घुस गया और दरवाजा बंद कर लिया | माँ बाप बहुत पूछे कि क्या हुआ लेकिन वो नहीं निकला , ना खाना ना पीना और ना किसी से बात चीत | बस कमरे में बंद रहता था और कभी कभी माँ से चाय मांग लिया करता था | दोस्त यार मिलने आये, वो किसी से ना मिला ,४ दिन बाद वो बाहर निकला और एक मोटी सी कॉपी जैआज एक हफ्ते बाद उसके हाथ में उसकी पहली किताब छप कर आयी है , उसे उसने ले जाकर अपने पिता के हाथ में रख दिया और रॉयलटी का पहला चेक माँ के हाथों में दे दिया , माँ बाप की आँखों में आंसू छलक आये , फाइनली बेटा लेखक बन ही गया , ठोकर खाकर उसे प्रेरणा मिल ही गयी | दर्द ने दवा का काम किया , उसने अपनी किताब को भी यही नाम दिया

“एक बिहारी लेखक की प्रेरणा” ,

सुना।


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