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Mamta Gupta

Tragedy

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Mamta Gupta

Tragedy

एक कप चाय

एक कप चाय

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बस चाय बनकर तैयार थी , सभी को चाय देने के बाद जैसे ही रमा कप में चाय डालकर सुकून से पीने बैठी ही थी....तभी जोर से सासु माँ की आवाज आती है -" बहू मेरी पूजा की थाली तैयार कर दी क्या ? "

"हाँ ! माँ जी बस अभी आपकी पूजा की थाली लेकर आई "...

रमा ने चाय से भरा कप टेबल पर रखते हुए कहा-


पतिदेव ने बैडरूम से आवाज़ लगाई ....!!!

"अरे ! यार पूजा की थाली बाद में सजा देना मुझे ऑफिस जाने में देरी हो जाएगी पहले तुम मेरे कपड़े , घड़ी , टाई , बेल्ट सब निकाल कर टेबल पर रख दो , पता तो है तुम्हे मैं लेट हो रहा हूँ ..."

रमा पूजा की थाली को अधूरा छोड़कर पहले पतिदेव का सामान निकाल कर टेबल पर रखने लगी ।


दूसरी तरफ दोनो बच्चे चिल्लाने के कहने लगे .... 

"माँ अगर पापा तो 2 मिनट अगर देरी से ऑफिस जाएंगे तो उन्हें कोई डाँटने वाला नही है । अगर हमें स्कूल में देरी हो गई तो डांट पड़ेगी इसलिए आप पहले हमारा टिफिन लगा दीजिए ।"


रमा बेचारी सभी के काम के चक्कर मे चाय को तो भूल ही गयी । वो एक कप चाय आज भी उसका इंतजार करती है कि रमा कब उसको सुकून से अपने लबों पर लगाकर के एक लंबी सी चुस्की लेगी औऱ कहेगी वाह क्या चाय है ।


अपनी एक कप चाय तक को छोड़ एक जान को कितने काम

सुबह जागने से ले कर सोने तक , नहीं है दो पल भी आराम

यह रमा हर घर मे मिलती है और हर सांचे में ढलती है

जिसे एक कप चाय तक सुकून से पीने नहीं मिलती है!



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