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shivam Kushwaha

Romance

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shivam Kushwaha

Romance

एक खत, कहानी खत की

एक खत, कहानी खत की

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"कहानी आज की है बस अंदाज जरा पुराना है।"

"जिंदगी "आज रेलवे प्लेटफॉर्म पर रेलगाड़ी के इंतज़ार में समझ आया ये रेलगाड़ी मंज़िल पर पहुँचने तक न जाने कितने पड़ाव पर रुकती है और हर पड़ाव पर नए नए मुसाफिर मिलते है। ऐसे ही मेरे जिंदगी के एक पड़ाव पर वो मिली थी मुझको।

कुछ खास हमसफ़र सी थी वो जो अक्सर जिंदगी की और रेलगाड़ी की आखिरी मंज़िल तक साथ होगी।

एक खत उसी एक हमसफर के नाम...

डिअर लिटिल हार्ट

तुम्हरी ये दूरियाँ रास न आती है मुझको इसलिए आज फिर उन रास्तों पर निकला हूँ जिन रास्तों पर हम पहली बार मिले थे और हाँ आज हम फिर से सफेद शर्ट में थे। उस दिन तुम्हरा जन्मदिन था और तुमने बतया भी ना था पता है बिना तोहफे के पहुँचना कितना अजीब लगता है बाद में कितना बुरा लगा था हमको। जाने दो आगे सुनो

आज ना जाने क्यों उस रास्ते के हर कदम पर ऐसा लगा तुम मेरे कदम से कदम मिला कर चल रही हो। उस रास्ते से वापस आज भी अकेले आने कि हिम्मत बड़ी मुश्किल से हुई डर था शायद तुम न साथ हो ।

तुम्हारा वो पार्क में मस्ती करना यूँही तुम्हारा बेवजह परेशान करना लेकिन आज कुछ सूना सा था वो पार्क शायद तुम जो ना थी। हाँ दूर पड़ी उस बेंच पर जहाँ तुम जेनरल नॉलेज के प्रश्न पूछती थी उस पर बैठ कर एहसास हुआ तुम मेरा हाथ पकड़े हो, अरे तुमने हाथ पकड़ा है मेरा ये कब ? तुम तो अक्सर मेरे हाथ पकड़ने पर कैसे आँखें दिखती थी मैं तो डर सा जाता था।

वो यूँही बेवजह तुम्हरा कोचिंग और मेरा कॉलेज बंक मार के घंटो सड़कों पर घूमना। किसी लड़के के कुछ बोलने पर तुम्हरा यूँ पलट के जवाब देना सच बोलू तो मैं तो डर ही जाता था। ये लड़की पक्का पिटवायेगी। और शाम को वापस होस्टल लौटते समय तुम्हरा फोन पर दिन भर की बातों पर डिस्कशन करना और सोचना कल बंक मारना है या नहीं ।

आज शाम को जब वापस लौटा तो फोन पर कोई नहीं था ना कोई बंक का प्लान था होता भी कैसे ना अब कॉलेज था ना तुम जो पास थी।

शायद थोड़ी समझदारी आ गयी थी या फिर ये जो दोस्ती थी मोहब्बत बन गयी थी जिसमे खुद अकेले नहीं एक दूसरे को साथ ले कर आगे चलना था।

बस ये दूरियाँ की मोहब्बत ज़रा तड़पने सी लगी थी। तेरी हर मुसीबत में शायद अभी मैं साथ ना हूँ लेकिन महसूस करना तेरे हाथ मेरे हाथ में होगा।

इन दूरियों के सफर में भी तेरा साथ हमेशा रहता है। तेरी वो उम्मीद हमेशा रहती है की फिर वो शाम होगी फिर वो सुबह के रास्ते होंगे बस ये जो मोहब्बत ना होगी बस एक रिश्ते से जुड़ी दोस्ती होगी। ये मंज़िल ना जाने कब मिलेगी बस तुम मेरी हमसफर ज़रूर बनोगी मेरी आखिरी मंज़िल तक मेरे साथ होगी।

वैसे एक बात बोलू...

यूँ न उदास हो साथ ना चलने पर...

मैं बस इतना समझता हूँ कि मैं तुमको समझता हूँ।

योर बॉटम हार्ट लव

ये खत है बस ज़रा पहुँज जाना उन मोहब्बतों के पास जो मजबूरियों से दूर है बस मंजिलों से साथ ।

मेरे इस खत के जवाब का इंतजार रहेगा तेरे होठों की हँसी के साथ।



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