एक कहानी ऐसी भी ( भाग -१)
एक कहानी ऐसी भी ( भाग -१)
मैं हूं समय। आते जाते बहुत सारे घटनाओं के साक्षी हूं में। ऐसे ही एक कहानी थी एक लड़की की, नाम था उसका गीता। बचपन से बिचारी मां बाप के प्यार से अंजान थी। आप ये मत सोचिए के उसके मां बाप नहीं थे । उसके मां बाप हो के भी वो बिन मां बाप की बच्ची थी। ना कोई दोस्त ना किसका प्यार कुछ नही था उसके पास । ऐसे ही बड़ी हुई थी वो।
कॉलेज में पढ़ते समय उसके बाबा मां ने उसको एक फोन गिफ्ट करा। गीता उस गिफ्ट से बहुत खुश थी। धीरे धीरे वो उसे चलाना सीख गई। उसके फ्रेंड लिस्ट में बहुत सारे फ्रेंड थे।उसमे से एक से वो रोज बात करती थी। उससे बात कर के उसको अच्छा फील होता था। पहले पहले वो बात करने को मना करती थी। पर कुछ ऐसा हुआ के उसको उस लड़के से बात करना अच्छा लगने लगा। वो उस लड़के से बात कर के अपना सारा दुःख भूल जाती थी । सारी परेशानी जैसे कुछ पल में ही दूर हो जाता था। गीता के बाबा उसको बहुत मारते थे। उनके लिए बेटी एक बोझ जैसी थी। पर गीता के जीवन में अब वो लड़का था। पर एक बात ऐसी भी थी जिसे वो बहुत डरती थी। गीता जिससे बात करती थी वो एक मुस्लिम परिवार से था। उसे डर था कहीं उसे उस लड़के से प्यार ना हो जाए अगर ऐसा हुआ तो उसके घर में उसे छोड़ेंगे नहीं और वैसे भी दोनो अलग अलग शहर से थे। इसीलिए दोनो एक दूसरे से मिल भी नही पाते थे। एक तरफ से वो खुश भी थी और एक तरफ से डरी हुई भी थी वो।
अब आगे क्या होगा?? क्या गीता अपने आप को संभाल पााएगीी??

