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एक छोटे शहर में प्रेम

एक छोटे शहर में प्रेम

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सरस्वती घाट से लौटते वक़्त यमुना पर बन रहे नए फ्लाईओवर को देख कर लड़की ने कहा -

"जब ये बन जाएगा तो कितना आसान हो जाएगा न इस पार से उस पार जाना "

"हाँ ,उस पार से इस पार आना भी तो उतना ही आसान हो जाएगा "

"तुम हमेशा मेरी बात में नुक्स निकालते रहते हो"

"पुल हमेशा जोड़ता है ताकि दोनों तरफ से लोग आसानी से जा सके दोनों तरफ"

लड़की रुककर फ्लाईओवर को बनते हुए देखने लगी और लड़का सोचने लगा दोनों के बीच बनते हुए प्रेम के पुल के बारे में । प्रेम भी तो दो लोगों के बीच बना एक फ्लाईओवर ही है, जिससे गुजरते हुए समाज की भीड में फंसने का डर नहीं रहता। दोनों एक दूसरे की तरफ इस भीड़ से बेखबर अपनी भावनात्मक पहुँच बना लेते हैं बड़ी आसानी से ।

"कितनी मेहनत से बनता है न फ्लाईओवर"

लड़का अब भी सोच रहा था तभी तो उसके मुँह से निकल गया

"पर हमारे बीच जो फ्लाईओवर बन रहा है या बन चुका है उसमें तो कोई मेहनत ही नहीं करनी पड़ी"

"मतलब ?"

"कुछ नहीं "


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