दर्द
दर्द
झारखंड राज्य के साहेबगंज जिला में बरहेट ब्लॉक अंतर्गत पंचायत बोरबन्ध के एक छोटे से गांव की कहानी- गांव के ही चंदन मोहली की कहानी।
उसके तीन बेटे और दो बेटियां थे, परिवार में सब बहुत खुश थे, सभी मिलजुलकर रहते थे पिता ने उन सभी बेटों को सब कुुुछ दिया काम करने का तरीका जिंदगी की सारी खुुुशियां दी,बेटे बेटियां भी अपने पिता के पदचिन्ह पर चलते, सभी माँ बाप को बहुत प्यार देते थे, समय बीतता गया दिन बदलते गए हालात बदलता गया, सोोच बदलने लगी दिन बदलने लगा, अब दोनो बेटियों की शादी हो गयी और दोनों ससुराल चले गए। तीनो बेटों की भी शादी हो गयी। उनमे से पहले बेटे का नाम मिखाइल मोहली, दूसरे बेटे का नाम मरकुस मोहली, तीसरे बेटे का नाम है जोसफ मोहली।
जब उनकेे शरीर में शक्ति थी तब तक उसने हर काम किया उसकी पत्नी भी उसे हर काम मे हाथ बटाते थे उनके पास खाने पीने की कोई कमी नही थी अपने सभी बेटे बेटियों की शादी कर देंने के बाद मानो सब जिम्मेदारी खत्म हो गयी दोनो खुश थे। कुछ साल बाद उनके घर में दूसरे बेेटे के पुत्र चरलेश मोहली भी उनके साथ रहता था। दोनो ने उसको पढ़ लिखाया और बड़ा कर काबिल बनाया,।
उस वक़्त सब ठीक चल रहा था। ये बात 2017 की है जब वो दोनो पति पत्नी बुुड्ढे हो चले थे, उस वक़्त उनक बड़ा बेटा रात को उनकेे घर आता है और उनके द्वारा कामाए जिंदगी भर की कामाई को भर समेट के ये कह के ले गया कि अब उनका देेेखभाल करेगा उनका सेवा करेगा। पिता भी बेटे के बातों को सच मान केेर सब दौलत उसे दे दिया।
जिसकी भनक तक छोटे भाइयो को नही हुुई। कुुुछ दिनों बाद वो अपने बेटों पर पूर्ण रूप से आश्रित हो गया तो गांव वालों ने दोनों को उनके बेटों में से बड़े के घर रहने का फैसला दिया। बड़े बेटे नेे साफ इंकार कर दिया उनको अपने साथ रखने लिए।
गांव के लोग हार गए उनके सामने फिर दोबारा गांव में उनके बेटियां आयीं पुनःपंचायती हुवा, इस बार दोनो बृद्ध जोड़ों को बंटवारा करने का फैसला उनके बड़े बेटे ने किया और बोला कि मां को बेटियां और बाप को बेेटे रखऐंगे। इसके बाद बड़े बेेटे ने पिता के जायदाद के बारे में पूछा। पिता ने सब के सामने बताया कि पहलेे ही बड़े बेटे ने देखभाल करने के लिए बोलकर सभी जायदाद हड़प लिया है। जैसे ही पिता ये बात बोला बड़े बेटेे की पत्नी ने उसे भला-बुुरा कहने लगी।कहने लगी कि सारा जयदाद तो खत्म कर दिए अब क्या देेखके देखभाल करें।गांव वालों ने मामला को सुलटाया और मां को बेटी घर और बाप को बड़े बेटे के पास रहने को भेज दिया। कुछ दिन सही रहा,फिर ताना शुरू हुवा।
अब तक तो दोनो और भी कमजोर होते चले थे, रोज दिन की काहा-सुनी, रोज दिन की ताना सुनना बहुत ही दर्द देता होगा सायाद उनको, इस कारण से पिता ने अपने मंझले बेेेटे के पास रहने आया, वहां भी कुुुछ इसी तरह रहा। फिर करते करते दिन बीतने लगे अंत मे सभी भाइयों केे बीच में जयदाद को लेकर दरारें आ गयी। पिता फिर बड़े के पास लौट गया, वहाँ भी वही ताना सुुनी चलता रहा खाने के लाले पड़ गए, उन्हे खाने को नही दिया जाने लगा वो और कमजोर होता गया।
अब ठंड का मौसम शुुुरु हुवा है वो घर के बाहर में ठंड से कांपता और फिर भी उसे सोने रहने के लिए बाहर ही रखा जाता था।,छोटे बेेेटे ने दया दिखा कर पिता को अपने यहां ले आया, यहां ठीक चलने लगा, बड़े और छोटे में रोज तू तू मैमैं होने लगा। छोटे बेटे के पत्नी ने भी पहले बेटों के तरह शुरू कर दिया ताना देना, रोज सुनाने लगी जयदाद बड़े को दिया खाने यहाँ चले आये,शर्म नही आता है, डूब मरो।
पिता सभी बेटों की इस हरकत से बाहर जहां पड़ा रहता था रोज रोता था कि क्या गलती हो गयी मुझसे जो ये सजा मिल रहा है, मैंने तो सबकी परवरिश में कोई कमी नही छोड़ी थी फिर भी मेरे जयदाद के लिए सभी लड़ रहे है मेरे इतने सम्पति होने के बावजूद भी खाने के लाले पड़े है, रोज ताना मिलता है। खाने को नसीब नही हो रहा।
ये बात ठंड के समय कि है जब उससे उठना बैठना भी मुश्किल हो गया और जहाँ रहता था वहीं पे सारा दिनचर्या का कार्य कर जाता था, तो दिसंबर का महीना था डूब मरो बात सच साबित हुई,छोटे बेटे की बहू ने उसके कपडे धोने और नहलाने के नाम से तालाब में लेे गयी और वहां जब कोई नही थे तो उसे पानी के अन्दर ले जा कर पानी मे उस बुजुर्ग बृद्ध को पटकने लगी,यही क्रम बार बार चलने केे कारण वो कमजोर बृद्ध आदमी थक गया और वो ठंड से मानो लगभग अधमरा हो गया ये देख कर बाद में छोटे बेटे की बहू ने उसे लेकर घर आ गयी उसी रात को उसकी मौत हो गयी।