Rachana Vyas

Inspirational

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Rachana Vyas

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दिन संघर्ष के

दिन संघर्ष के

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हजारों विचारों के साथ मन के अंतरंग आंगन में ना जाने कितने दिए जलते और बुझते रह जाते हैं। कितने ख्वाब आंखों के सामने आते हैं,ओझल हो जाते हैं कुछ बनते हैं कुछ मिटते हैं और कुछ एक हकीकत में बदल जाते हैं।ऐसे ही अनगिनत सवालों ख्यालों और विचारों के साथ एक दिन प्रगति अपने आंगन में बैठी हुई थी। अभी ठीक से उसका बचपन बीता भी नहीं था कि सर से माता-पिता का साया उठ गया। घरवालों ने खेलने कूदने की कम आयु में ही उसका विवाह कर दिया।नन्ही सी जान जिस पर जिम्मेदारियों का बोझ अपार। वह ना तो पढ़ाई कर पाई ना गृहस्थी का काम काज सीख पाई और ना ही समाज में तालमेल स्थापित करने लायक उसकी बुद्धि विकसित हो पाई।वक्त गुजरता गया और जिम्मेदारियां दिन-ब-दिन बढ़ती चली गई।वह अकेले ही किस्मत के थपेड़ों से जूझती रही। लेकिन वह भी बड़ी साहसी थी उसने कभी हार नहीं मानी‌ और जीवन में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।उसने ठानलिया था कि जो मुझे नहीं मिला है,लेकिन वह जो मेरा है। वह मुझे एक दिन जरूर मिलेगा।उसेअपनी मेहनत और अपने ईश्वर दोनों पर अत्यधिक विश्वास था और 1 दिन उसकी मेहनत रंग ले आई और उसके संघर्ष के दिन बीते।अब खुशियां उसके दरवाजे पर दस्तक दे रही थी और वह अपने परिवार के साथ बहुत खुश थी।


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