Swati Shukla

Inspirational

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Swati Shukla

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दिमाग वाली लड़की सही या गलत ?

दिमाग वाली लड़की सही या गलत ?

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"अनुष्का खाना बना है या नहीं? कितनी बार कहा है कि खाना समय पर करो, पर तुम्हें फोन पर बात करना जरूरी लगता है। अब जब रोहित कुछ कहेगा तो रोने लगोगी" सुषमा जी ने अपनी बहू अनुष्का से कहा।

"मम्मी खाना तो रोज समय पर ही बना लेती हूँ। अब भाभी का एक ही दिन तो फोन आता है उसमें भी बात नहीं करूँगी? तो उन्हे बुरा नहीं लगेगा और रही रोहित की बात तो उन्हें तो कभी भी किसी भी बात पर गुस्सा आ जाता है" अनुष्का ने कहा।

"बस तुम्हारी यह जो पलट कर बोलने की आदत है ना यही जिम्मेदार है तुम्हारी इस दशा की। कुछ भी कहो या समझाओ तो पलट कर जवाब दे देना है। अरे भाभी से बात करनी है तो दस-पांच मिनट कर लो, हाल चाल पूछ लो, जरूरी है आधा घंटा बात करो। जब तुम्हें पता है कि रोहित कितना गुस्सैल है, अगर उसे समय पर अपना काम ना मिले तो उसका गुस्सा काबू नहीं रहता। फिर भी तुम बाज नहीं आती हो और जब वो तुमसे गुस्सा करता है तो हमें भी अच्छा नहीं लगता है" सुषमा जी ने कहा।

"मैंने ऐसा क्या कहा मम्मी! भाभी अमेरिका में जाॅब करती हैं उनका और हमारा समय अलग होता है और कौन सा मैं रोज बात करती हूँ? ना ही बैठी रहती हूँ, दिन भर काम ही करती हूँ। अब हर समय तो मैं परफेक्ट नहीं हो सकती ना? रोहित से कोई गलती हो जाये तो आप कुछ नहीं कहती, लेकिन मेरी गलती पर मुझे हर समय सुनाती रहती हैं" अनुष्का ने रूआसीं होकर कहा।

"यह लो कुछ भी समझाने की कोशिश करो तो हम ही खराब, तुम्हें कोई कुछ न कहे बस यही चाहती हो, तो करो अपने मन का और आज के बाद रोहित तुम्हें चाहे जो कहे मैं बीच में नहीं बोलूंगी। जितना दिमाग जबान चलाने में चलता है उतना काम करने में भी चला लिया करो तो मुसीबत ही क्यों आये। एक तो बिना माँ बाप की बेटी को अपने घर की बहू बनाया और अब उसकी बातें भी सुनो" सुषमा जी ने कहा और वहाँ से चली गयी।

अनुष्का चुपचाप सिसकने लगी और खाना बनाने लगी, वैसे तो यह रोज का ही सीन था, सुषमा जी हमेशा ही उसके बोलने और बातचीत करने के तरीके को लेकर सुनाती रहती थी जबकि कभी उसकी इसी बातचीत और व्यवहार कुशलता ही उनके मन को भा गयी थी और अनुष्का को उन्होंने रोहित के लिए पसंद किया था। अनुष्का अपने कालेज के समय से ही बहुत होशियार छात्रा थी। पढ़ाई हो या कोई भी प्रतियोगिता अनुष्का का प्रथम आना तय था। सबको बहुत उम्मीद थी कि वो एक दिन बहुत बड़ी अफसर बनेगी लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था अनुष्का के माता-पिता का एक रोड एक्सीडेंट में असमय निधन हो गया था और भगवान की होनी भी देखिये कि तेरहवीं के दिन ही उसके भाई की नौकरी का अमेरिका से लेटर आ गया और उसे एक महीने के अन्दर ही ज्वाइन करना था वो अनुष्का को न साथ ले जा सकता था न ही अकेला छोड़ सकता था और ऐसे में अनुष्का के कालेज की रिटायर्ड प्रोफेसर सुषमा जी वहाँ भगवान बनकर आयीं और अनुष्का की शादी अपने बेटे रोहित से करने का प्रस्ताव रखा क्योंकि रोहित अनुष्का से एकतरफ़ा प्यार करता था और उसे उसकी बातचीत, हाजिर जवाबी, सुन्दरता बहुत पसंद थी।

अनुष्का से किसी ने कोई जबरजस्ती नहीं की लेकिन भाई के भविष्य के लिए उसने खुद के सपनों की बलि चढ़ा ली। अनुष्का की शादी रोहित से साधारण तरीके से हो गयी और उसका भाई अमेरिका चला गया। शुरू के तीन महीने तक सब सही रहा, सुषमा जी अनुष्का से हमेशा प्यार से बात करती थी जिससे उसे उसके माता-पिता की याद न आये लेकिन धीरे-धीरे उनका दिखावटी प्यार खत्म होने लगा और रोहित का असली चेहरा भी सामने आने लगा। जो रोहित अनुष्का के काम और बातचीत का कायल था उसी रोहित को अनुष्का की काबिलियत अखरने लगी क्योंकि जब भी कोई उसे यह कह दे कि वो किस्मत वाला है जो उसे अनुष्का जैसी बीवी मिली तो उसका मेल ईगो हर्ट होने लगता और मजाक में भी कही बातों पर वह सीरियस हो जाता। शादी में रोहित ने खुद अनुष्का से कहा था कि शादी के बाद वो अपने सपने पूरे कर सकती है वही रोहित शादी के तीन महीने बाद ही सब भूल गया और अब उसे अनुष्का के रूप में अपना एक पर्सनल नौकर मिल गया था। सुषमा जी अनुष्का की काबिलियत अच्छे से जानती थी और चाहती भी थीं कि वो कुछ करे लेकिन रोहित की वजह से कुछ नहीं कहती थीं।

उनका मानना था कि अनुष्का का ज्यादा बोलना ही उसके लिए घातक है अगर वो चुप रहे तो शायद रोहित शान्त रहे लेकिन अनुष्का सब कर के देख चुकी थी, रोहित के दिमाग का कुछ अता पता नहीं था कि उसे कब क्या बुरा लग जाये और वो चिल्लाने लगे। 

अनुष्का ने धीरे-धीरे इसे ही अपनी नियति मान लिया और जैसे रोहित चाहता था वैसे ही करने लगी थी कि तभी एक दिन अनुष्का के भाई का फोन आया कि उसने अमेरिका में अपने ही देश की एक लड़की पसन्द की है और वो दोनों शादी करना चाहते हैं। अनुष्का खुश तो हो गयी पर साथ में दुखी भी क्योंकि वह सोच रही थी कि अगर भाई की शादी यहीं होगी तो उसका मायका फिर से आबाद हो जायेगा लेकिन अब तो वो उम्मीद भी नहीं थी क्योंकि भाभी भी अमेरिका में ही नौकरी करती थी। बाहर वालों के लिए अनुष्का की जिंदगी की रानी से कम नहीं थी और न अनुष्का किसी को अन्दर की समस्या बताती थी लेकिन जाने कैसे उसकी भाभी को सब समझ आ गया और जब उन्होंने अनुष्का से पूछा तो वो खुद को संभाल नहीं पाई और सब बता दिया तो उन्होंने इतना ही कहा कि अगर किसी को तुम्हारे प्यार की कदर नहीं है तो तुम्हें भी उसके लिए ख़ुद को बदलने की जरूरत नहीं है क्योंकि तुम अपनी जान भी लगा दोगी।

फिर भी वो नहीं समझेगा इसलिए हो सके तो अपनी लड़ाई खुद लड़ो क्योंकि अनुष्का ने बाहर रोहित और सुषमा जी की जो इमेज बना रखी थी उससे कोई यह आसानी से नहीं मानता की उसे कोई कष्ट है। भाभी के कहे शब्द अनुष्का के दिमाग में छप गये और अब वह रोहित और सुषमा जी की नाजायज बातों का जवाब देने लगी क्योंकि गुस्सा दोनों पहले ही करते थे लेकिन इससे अब वो घुट घुट कर नहीं जीती थी और जो अनुुष्का पहले हमेशा चुुुपचाप रहती थी अब वो पहले की तरह बोलने लगी थी।

सुषमा जी और रोहित को अनुष्का का यह बदलाव पसंद नहीं आ रहा था और इसीलिए वो अनुष्का को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। पहले सुषमा जी के घर कोई भी आता था तो अनुष्का मोम की गुड़िया जैसी बिना कुछ बोले खड़ी रहती थी लेकिन अब वो अपनी बात रखती थी और तारीफ पाती थी जो रोहित को नहीं पसंद था।

एक दिन रोहित की मौसी का बेटा करन घर आया तो रोहित और सुषमा जी बहुत खुश हो गये। करन अनुष्का से पहली बार मिल रहा था तो उसके लिए वो कुछ गिफ्ट भी लाया था। करन अनुष्का के काम और बातचीत से बहुत प्रभावित हुआ तो सबकी तरह बोल पड़ा कि क्यों भाभी को घर में बिठा के रखा है, मौसी आप कोशिश करिए तो भाभी भी आपकी तरह प्रोफेसर बन सकती हैं। रोहित को अन्दर से बहुत गुस्सा आया पर वह चुप रहा और आँखो से अनुष्का को इशारा किया कि अन्दर जाये लेकिन वो नहीं गयी और वहीं बैठ गयी तो रोहित ने व्यंग कसा

"रहने दे यार औरतों का दिमाग़ घर पर ही चले वही अच्छा है " रोहित ने कहा 

"क्यों भाई जब दिमाग है तो घर पर क्यों चले बाहर भी चले तो समाज और देश के लिए भी अच्छा है। मैं तो कहता हूँ कि भाभी आपको इस बारे में जरूर सोचना चाहिए। आपके अन्दर एक सकारात्मक ऊर्जा है जो दूसरों को प्रेरणा दे सकती है और एक बात ( करन मुस्कुराते हुए ) आपकी कोई बहन है क्या जो आपके जैसी हो ?" करन ने कहा।

"क्यों भैया" अनुष्का जानबूझकर अन्जान बनते हुए।

"कुछ नहीं बस ऐसे ही, मैंने तो सोच लिया है कि मेरी लाइफ पार्टनर आप ही ढूंढेगी, आपसे कम सुन्दर भी चलेगी लेकिन दिमाग बिल्कुल आपके जैसा होना चाहिए" करन ने कहा तो रोहित का मुँह बन गया।

"नहीं भैया मेरे जैसी लाइफ पार्टनर सही नहीं होगी आपके लिए" अनुष्का ने रोहित की ओर देखकर कहा।

"क्यों भाभी, मैं तो आपकी हाजिर जवाबी और व्यवहार कुशलता का कायल हो गया सच में भाई बहुत किस्मत वाले हैं" करन ने कहा।

"नहीं भैया दिमाग वाली लड़कियां सिर्फ़ दूर से अच्छी लगती हैं लेकिन उनके साथ जीवन बिताना कठिन होता है क्योंकि वो हर जगह अपना दिमाग लगाती हैं चीजों को जल्दी स्वीकार नहीं पाती हैं और अगर आप चाहोगे कि वो एक दिन में अपने आपको बदल लें तो वो भी मुमकिन नहीं होगा क्योंकि जो चीज उनके रग रग में बसी है अगर उसे आप मिटाना चाहोगे तो आप उस लड़की को मिटा दोगे" अनुष्का ने कहा।

"पर मैं उसे क्यों बदलना चाहूँगा जब मैं खुद चाहूँगा कि वो स्मार्ट हो, व्यवहार कुशल हो" करन ने कहा तो अनुष्का की आंख भर आयी।

"जरूरी नहीं है भैया कि किसी की जो बात आपको आज पसन्द हो वो हमेशा पसन्द आये। समय और परिस्थिति कब क्या कर दे कौन जानता है। आप मुझसे एक घंटे पहले मिले और आपको मेरा स्वाभाव कुछ पसंद आ गया तो आपने मन में अपने जीवन साथी की एक कल्पना कर ली लेकिन यह जरूरी तो नही कि आपको जीवन के हर मोड़ में मेरी बातें करने का तरीका पसन्द आये" अनुष्का ने कहा 

"आप ऐसे क्यों बोल रही हो भाभी, मुझे समझ नहीं आ रहा है" करन ने रोहित और सुषमा जी ओर देखते हुए पूछा।

"देखिए भैया पहले तो किसी भी लड़की जिसका दिमाग ज्यादा चलता होगा उससे प्यार करना आसान नहीं होता है क्योंकि वो कभी भी आपकी जी हुजूरी पर फिदा नहीं होती है। वो तब ही झुकती है जब वो किसी रिश्ते में प्रेम की डोर से बंधी हो या उसकी कोई मजबूरी हो। वो हर समय आपकी हाँ में हाँ नहीं मिला सकती क्योंकि वह रिश्तों को झूठ की बुनियाद पर बनाना नहीं जानती है और न ही उसे किसी को मक्खन लगाकर अपनी बात मनवाना आता है। वो अगर सच्ची है तो बेबाकी से अपनी बात रखेगी। वैसे तो वो कभी फिजूल की बहस में नहीं पड़ेगी लेकिन सही बात पर अपना तर्क रखने से भी पीछे नहीं हटेगी। उसे आपसे घड़ी-घड़ी गहने, कपड़े या तोहफे नहीं चाहिए होंगे क्योंकि उसका गहना उसका व्यक्तित्व होगा, उसका आत्मविश्वास होगा। वो आपकी गलतियों पर आपको टोकेगी तो अगर आप कभी किसी तकलीफ में होंगे तो आपको संभालेगी। अगर आप यह सोचेगें कि वो आपके आगे झुक जाये क्योंकि आप पुरूष हैं तो यह नहीं हो पायेगा हाँ लेकिन अगर आप उसे निस्वार्थ प्रेम करेंगे तो वो आपके आगे अपना समस्त न्योछावर कर देगी इसलिए अगर हिम्मत हो तभी ऐसी लड़की से प्रेम करियेगा क्योंकि वो सब बर्दाश्त कर लेगी सिवाय धोखे के, कभी उसके आत्मसम्मान पर चोट नही करियेगा, नही तो वो बिखर जायेगी, टूट जायेगी पर आपसे प्रेम नहीं कर पायेगी" अनुष्का ने कहा और रोहित की ओर देखा जो उसे ही देख रहा था।

"भाभी सच में आपने एकदम सही कहा कि दिमागवाली लड़की से प्रेम करना आसान नहीं है, लेकिन फिर भी मैं करना चाहूँगा और अगर ऐसी लड़की मुझे मिल गई तो मैं खुद को किस्मत वाला समझूँगा। आज के समय में जरूरत है ऐसी लडकियों की जो आदमी के कंधे से कंधा मिलाकर चल सकें। क्यों मौसी जी?" करन ने कहा।

"हाँ बेटा सही कह रहे हो, पर शायद अनुष्का भी सही है क्योंकि हर लड़का और लड़के वाले चाहते तो हैं कि उनकी बहू होशियार हो लेकिन बाद में उसकी यही होशियारी उन्हें अखरती है। भूल जाते हैं कि जिस लड़की को उन्होंने खुद देखभाल कर पसंद किया था बाद में वो कैसे बदल जायेगी और यह मुझसे बेहतर और कौन समझ सकता है क्योंकि मैंने भी तो यही किया है पर अब कोशिश करूंगी कि अपनी गलती सुधार लूँ और अनुष्का को आगे बढ़ने में मदद करूँ" सुषमा जी ने रोहित की ओर देखकर कहा जो अपनी माँ को घूर रहा था। लेकिन सुषमा की बात सुनकर अनुष्का खुश हो गयी थी कि आज मम्मी समझी हैं तो कल शायद रोहित भी उसे समझ जाये।

दोस्तों, यह आज उन घरों की सच्चाई है जो सर्वगुण सम्पन्न बहू लाने की इच्छा तो बहुत रखते हैं पर यह भूल जाते हैं कि क्या उनका बेटा इसके लायक है, क्या वो ऐसी लड़की से निभा पायेगा? फिर वो यह सोचते हैं कि वो सर्वगुण संपन्न लड़की अपने कुछ गुणों को त्याग दे और जैसा वो और उनका बेटा चाहते हैं वो वैसी ही बन जाये। तो मुझे नहीं लगता है कि यह सम्भव है। मेरी समझ में आप अपने बेटे के लिए सर्वगुण सम्पन्न बहू ढूंढने से पहले अपने बेटे को सर्वगुण संपन्न बनायें और उसे सिखायें कि कोई भी लड़की उसके लिए खुद को नहीं बदलेगी।


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