जीत मन की सुन्दरता की
जीत मन की सुन्दरता की
"हैलो दीदी कैसी हो ? " अनिकेत ने फोन पर अपनी दीदी आभा से पूछा ।
" मैं ठीक हूं तुम कैसे हो ? आज बड़े दिन बाद फोन किया " आभा ने पूछा ।
" मैं भी ठीक हूं, दरअसल मुझे आपसे एक जरूरी बात करनी थी , आप नाराज तो नहीं होंगी ना " अनिकेत ने झिझकते हुए कहा ।
" हाँ बोलो , क्या बात है ? " आभा ने पूछा ।
" वो दीदी मैंने अपने एक लड़की पसन्द कर ली है और उससे शादी करना चाहता हूँ " अनिकेत ने कहा तो आभा एकदम चुप हो गयी ।
" क्या हुआ दीदी, चुप क्यों हो गयी ? " अनिकेत ने पूछा ।
" क्या बोलूं मैं , जब तुमने सब कुछ फाइनल कर लिया है तो अब कहने सुनने को क्या रह गया है " आभा के शब्दों में नाराजगी थी ।
" दीदी ! प्लीज बात समझने की कोशिश करो , वो बहुत अच्छी है और मुझे नहीं लगता कि मुझे उससे अच्छी लडकी कोई मिल सकती है " अनिकेत ने कहा ।
" उस लडकी के घर में सबको पता है ? " आभा दीदी ने कहा ।
" नहीं ! सिर्फ उसकी छोटी बहन को पता है , उसका कहना है कि पहले मै अपने घर में बता दूं तभी वो बताएगी " अनिकेत ने कहा ।
" तो तुम हमसे क्या चाहते हो ?" आभा ने पूछा ।
" दीदी मैं चाहता हूँ कि आप एक बार उससे मिल लो और घर पर सबको यह बात अपने तरीके से बता दो " अनिकेत ने कहा ।
" मैं क्या मिल लूँ? और फिर तुमने लड़की पसन्द कर ली है तो हम कोई मना तो कर नहीं पायेंगे और रही घरवालों की बात तो वो मुझसे नहीं होगा। तुम्हारी शादी के लिये सबके अपने अपने अरमान थे। घर की दो बहुयें तो किसी रंग रूप की हैं नहीं, सोचा था तुम्हारे लिये सबसे सुन्दर लड़की ढूंढ कर लायेगे, लेकिन तुमने तो सारे अरमानो पर पानी फेर दिया " आभा ने कहा ।
" क्या तन की सुन्दरता ही सब कुछ है , मन की कुछ नहीं । मेरी पसन्द कुछ नहीं । अगर मुझे लगता है कि मेरे लिये वो सही है तो सही है " अनिकेत ने कहा ।
" देख लो अभी वो आयी तक नहीं और तुम्हारी बातचीत का लहजा ही बदल गया , तुम समझ लो क्या करना है और हमें भी बता देना " आभा ने नाराज होकर कहा ।
" दीदी आप गलत समझ रही हो , मैं सिर्फ चाहता हूँ कि आप उससे मिल लो और मेरा विश्वास है कि आप उसे मना नहीं कर पाओगी " अनिकेत ने कहा ।
" और अगर वो मुझे नहीं पसन्द आयी तो फिर तू दोबारा उसका नाम नहीं लेगा " आभा ने कहा और फोन रख दिया ।
फोन रखते ही अनिकेत की धडकनें बढ़ गयी । उसे जिस बात का डर था वही हुआ । सालों बीत गये लेकिन दीदी की सोच नहीं बदली जो कि सिर्फ शरीर की सुन्दरता को महत्व देती थी । अनिकेत की दीदी आभा बहुत अधिक सुन्दर थीं और उन्हे इसका बहुत घमंड भी था । अनिकेत की दोनों भाभियों को उसके पिता ने पसन्द किया था जोकि आभा को कभी अच्छी नहीं लगीं । आभा हमेशा यही रोना रोती कि उसके भाईयों की जोड़ी सही नहीं है और इसी वजह से भाभियों को भी आभा पसन्द नहीं थी तो उसकी सारी उम्मीद अनिकेत से थी । उसने सबसे कह रखा था कि छोटी बहू को वही पसन्द करेगी और वो इतनी सुन्दर होगी कि सब देखते रह जायेंगे लेकिन अनिकेत ने अपने लिये एक लडकी पसन्द कर ली थी जिसे अनिकेत ने तन देखकर नहीं बल्कि मन देखकर चाहा था । उसका नाम विधि था । अनिकेत को खुद भी नहीं पता चला कि कब विधि उसकी जिंदगी बन गयी और जब उसने विधि को अपने दिल की बात बताई तो उसने साफ मना कर दिया क्योंकि विधि को लगा था कि अनिकेत सिर्फ टाइमपास कर रहा है । अनिकेत ने बहुत मुश्किल से विधि को भरोसा दिलाया और जब विधि को भरोसा हो गया तो दोनो अपने रिश्ते को परिवार की मन्जूरी दिलवाना चाहते थे ।
विधि देखने में कम सुन्दर थी और शायद इसीलिए उसे कहीं न कहीं यह डर भी था कि कहीं अनिकेत के घर वाले उसे ना पसंद न कर दें इसलिए वो चाहती थी कि पहले अनिकेत अपने घर पर बात कर ले फिर वो करेगी । आज अनिकेत ने बात तो कर ली थी लेकिन आभा की बातों से उसका दिल बैठ गया था क्योंकि आभा अनिकेत को अपने बेटे से भी ज्यादा चाहती थी और अनिकेत भी उनकी हर बात मानता था लेकिन यहाँ बात विधि की थी जो अनिकेत के लिए बहुत खास थी और वो नहीं चाहता था कि उसे विधि या आभा में से किसी एक को चुनना पड़े । अनिकेत इसी कशमकश में था कि तभी उसका फोन बजा ।
" हैलो कैसे हो ? बात हुई दीदी से, क्या कहा उन्होंने " विधि ने अपनी धड़कनो को समेटते हुए कहा ।
" हाँ हो गयी है , वो थोडी नाराज थीं, लेकिन फिर मान गयीं हैं तुमसे मिलने को " अनिकेत ने कहा तो विधि को चैन आया लेकिन अनिकेत ने यह बात बहुत रूखे मन से कही जिसे विधि ने भाप लिया ।
" क्या हुआ सब ठीक तो है ?परेशान हो ना, कुछ कहना चाहते हो ? विधि ने पूछा ।
" तुम्हें हर बात कैसे पता चल जाती " अनिकेत ने पूछा ।
" बस चल जाती है , तुम बात बताओ , क्यों परेशान हो " विधि ने पूछा ।
" मेरी बात का गलत मतलब मत निकालना विधि , तुम मुझे मेरी जान से ज्यादा पसन्द हो और मैं तुम्हारे बिना अपनी जिंदगी की कल्पना भी नही कर सकता " अनिकेत ने कहा ।
" यह तुम्हारी परेशानी है, सही वाली बात बताओ " विधि ने हसंकर पूछा ।
" विधि मेरी बहन आभा को मैं बहुत ज्यादा मानता हूँ और वो भी मुझसे बहुत प्यार करती हैं । मेरी बहन को मेरी शादी के लिए बहुत अरमान थे लेकिन जब मैंने उन्हे यह बताया तो वो ज्यादा खुश नहीं हूई " अनिकेत ने कहा ।
" उनके सारे अरमान पूरे होंगे, क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है " विधि ने कहा ।
" तुम पर तो खुद से ज्यादा भरोसा है और दीदी के अरमान पूरे करने में मैं तुम्हारी पूरी मदद भी करूँगा लेकिन एक काम तुम्हें खुद ही करना होगा । विधि दीदी का एक ही अरमान है कि मेरी बीवी बहुत सुन्दर हो तो तुम प्लीज दीदी के आगे खुद को ऐसा ही दिखाना " अनिकेत ने कहा तो विधि की आँखो में आंसू आ गये ।
" मतलब तुम भी मानते हो कि मैं सुन्दर नहीं हू, फिर यह सब करने की क्या जरूरत थी । मैं तो अच्छा भला अपना जीवन जी रही थी । तुमने क्यों मुझे अहसास दिलाया की प्यार तन से नहीं मन से होता है जबकि तुम भी कहीं न कहीं तन की सुन्दरता को ही सब कुछ मानते हो " विधि ने अपने आंसुओ को पीकर कहा ।
" देखो विधि तुम मुझे गलत समझ रही हो , मैं शादी करूंगा तो सिर्फ तु
मसे ।बस मैं तुमसे यही चाहता हूँ कि तुम मेरी बहन को भी पसन्द आ जाओ जिससे सब सही हो जाये " अनिकेत ने कहा ।
" और अगर उन्हे मैं नहीं पसन्द आयी तो भी मुझसे शादी करोगे? सोचकर जवाब देना" कहते हुए विधि ने फोन रख दिया । अनिकेत पहले ही परेशान था और अब और ज्यादा हो गया था क्योंकि न वो आभा को नाराज कर सकता था और न ही विधि को छोड सकता था ।
आभा ने अनिकेत की बात सारे घर को बता दी और पहले सभी नाराज हुए फिर आभा के ऊपर फैसला छोड़ दिया कि वो जो चाहे करे क्योंकि अनिकेत की दुल्हन उसे ही लानी थी । विधि कुछ समय अनिकेत से नाराज रही फिर उसने उसके मन की स्थिति समझी और आभा से मिलने को तैयार हो गयी । विधि ने अपनी हर कोशिश की वो सुन्दर लगे लेकिन जब आभा उससे मिलने मन्दिर आयी तो आभा की सुन्दरता देखकर विधि के चेहरे का रंग ही उड़ गया । विधि ने आभा से बहुत अच्छे से बातचीत की लेकिन आभा की आँखे सिर्फ विधि का रूप ही देख रहीं थी जो उन्हें समझ नहीं आ रहा था । उनके चेहरे से उनका जवाब साफ नजर आ रहा था । फिर भी विधि को कहीं न कहीं एक उम्मीद थी ।
आभा मिलकर गयी और जाते ही अनिकेत को फैसला सुना दिया कि उन्हें वो लडकी नहीं पसन्द है और वो उसे भूल जाये या अपनी बहन से रिश्ता तोड़ दे । अनिकेत के पैरों तले जमीन खिसक गयी । उसने बहुत कोशिश की बहन को मनाने की लेकिन वो कुछ सुनने के लिए तैयार ही नहीं थी । इधर विधि भी परेशान थी और उसने अनिकेत से पूछा तो उसने कुछ नहीं कहा तो वो समझ गयी कि क्या हुआ होगा । वो रात अनिकेत और विधि के लिए आंसुओ से भरी रात थी । सुबह होते हुए दोनों ने एक फैसला कर रखा था । अनिकेत ने सोच लिया था कि वो विधि से शादी करेगा चाहे दीदी खुश हो या नाखुश और आभा ने सोच लिया था कि अगर अनिकेत की दीदी ने उसे नही पसंद किया होगा तो वो खुद ही अनिकेत के जीवन से चली जायेगी । अनिकेत ने जैसे ही अपना फैसला सुनाया घर में बवाल हो गया , आभा ने विधि को खूब कोसा तो अनिकेत नाराज हो गया । आखिरकार अनिकेत की जिद के आगे सब झुक गये लेकिन आभा ने साफ मना कर दिया कि अगर वो नहीं माना तो वो इस शादी में शामिल नहीं होगी । अनिकेत आभा दीदी से बहस कर ही रहा था कि उसे विधि का मैसेज आया तुरन्त मिलने का जिसे आभा ने भांप लिया और अनिकेत के निकलते ही उसके पीछे पीछे चली गयीं । अनिकेत एक मन्दिर मे पहुंचा तो विधि वहाँ पहले से बैठी थी । अनिकेत को देखते ही वो हमेशा की तरह मुस्कुरा दी लेकिन उसकी आँखो में दर्द झलक रहा था ।
" सारी अर्जेन्ट बुलाने के लिए, बिजी तो नहीं थे " विधि ने पूछा ।
" नहीं, बस कुछ काम में फंसा था इसलिये कल तुमसे बात नहीं कर पाया " अनिकेत ने नीचे देखते हुए कहा ।
" जब झूठ नहीं बोल पाते तो कोशिश क्यों करते हो । कल रात सोये भी नही हो ना मेरी वजह से । दीदी को मैं नहीं पसन्द आयी ना? " विधि आँखो में आये आंसुओ को रोकते हुए कहा ।
" नहीं ऐसा कुछ नहीं है , हाँ दीदी को थोड़ी दिक्कत है लेकिन वो मान जायेंगी, तुम परेशान न हो । मैं शादी करूंगा तो सिर्फ तुमसे करूँगा नही तो नहीं करूगा । यह मेरी जिंदगी है और इसमें मेरा फैसला ही माना जाएगा । किसी की खुशी के लिए मैं अपनी खुशी को नही छोड़ सकता " अनिकेत ने कहा ।
" वो तुम्हारी दीदी हैं अनिकेत, कोई राह चलता इन्सान नहीं हैं । उनके अरमान हैं कि तुम्हारी बीवी सुन्दर हो तो कोई गलत नहीं हैं । वो तुम्हें प्यार करती हैं वरना खुद सोचों कि तुम्हारी सुन्दर से बीवी उन्हें क्या मिलेगा । हर बहन के अपने भाई की शादी को लेकर कुछ अरमान होते हैं और अगर भाई को बहन के अरमानो की कोई कद्र ही न हो तो उस बहन पर क्या गुजरेगी । मैं तुम्हारे जीवन में बाद में आयी हूँ लेकिन उनका तुम्हारा रिश्ता खून का है और अगर उन्हे दुखी करके हम ये रिश्ता आगे बढ़ायेंगे तो हम कभी खुश नहीं रहेंगे " विधि ने कहा तो पीछे से चुपचाप उनकी बातें सुन रही आभा की आँखो से आंसू आ गये कि वो क्या सोच रही थी और विधि क्या है ।
" तुम्हें पता है तुम क्या कह रही हो ? वो कभी हमारे रिश्ते को नहीं स्वीकार करेंगी " अनिकेत ने कहा ।
" हाँ तो न करने दो , हम यह रिश्ता यहीं से खत्म करते हैं । आज भगवान जी के सामने मुझे वचन दो कि अगर दीदी को हमारा रिश्ता नहीं मन्जूर होगा तो हम एक दूसरे को भूल जायेंगे । चलो दर्शन कर लो , लोग हमें अजीब नजरों से देख रहे हैं " विधि ने आंसू भरकर कहा ।
" एक बार फिर सोच लो विधि, मैने हमेंशा तुम्हारी हर बात मानी है पर यह नहीं मान पाऊगा । क्या तुम मेरे बिना खुश रह पाओगी ? अनिकेत ने पूजा की डलिया उठाते हुए कहा ।
" हाँ, मैं खुश रहूंगी, क्योंकि एक बहन के प्यार से बढ़कर कुछ नहीं होता है " कहते हुए विधि मन्दिर में चली गयी और अनिकेत भी पीछे से आ गया और दोनो ने एक साथ पंडित जी को डलिया दी । हमेशा पंडित जी उनको जोडी समझकर पूजा करते थे और वो दोनों खुश हो जाते थे लेकिन आज दोनों की आँखो में उदासी थी ।
" बेटा आप दोनों को हमेशा आते हो , आज का मुहूर्त बहुत अच्छा है , अपनी जोड़ी की सलामी के लिये एक छोटी सी पूजा करवा लो " पंडित जी ने कहा तो विधि की आँखो मे आंसू आ गये क्योंकि आज इस जोड़ी को हमेंशा के लिए टूटना था वो भर्राई हुई आवाज़ से कुछ कहना चाहती थी कि तभी पीछे से आवाज़ आयी ।
" जी पंडित जी , बिल्कुल पूजा करवाइये । आखिरकार मेरे भाई भाभी की हमेशा जोड़ी सलामत रहनी चाहिए " आभा ने कहा तो विधि और अनिकेत दोनों चौंक गए ।
" दीदी आप यहाँ " अनिकेत ने चौंककर पूछा ।
" मैं यहाँ क्यों आयी , कैसे आयी यह जरूरी नहीं है । अच्छा हुआ जो मै यहाँ आ गयी अगर नहीं आती इस हीरे को कभी पहचान ही नहीं पाती । मुझे माफ दे विधि, मैने अपनी आँखो में रंग रूप की जो पट्टी चढ़ा रखी थी वो तुझसे मिलकर भी नहीं हटा पाई लेकिन आज तुमने मेरी आँखे खोल दी हैं । मेरा भाई जब मेरे खिलाफ था तो मैंने तुझे कोसने में कोई कमी नहीं रखी लेकिन तुमने मेरे लिये इतनी बड़ी कुर्बानी देने फ़ैसला कर लिया । आज मैं खुद को बहुत छोटा महसूस कर रही हूं " आभा ने कहा ।
" नहीं दीदी बड़े कभी गलत नहीं होते हैं वो जो करते हैं उसमें हमारी फिक्र होती है तो हमें यह माफी नहीं बल्कि आपका आशीर्वाद चाहिए " विधि ने कहा तो आभा ने उसे गले लगा लिया ।
" सच में मेरी भाभी दुनिया की सबसे अच्छी भाभी है " आभा ने कहा ।
आभा ने जब घर वालों वापस अपना फैसला सुनाया तो सब खुश हो गये और आभा ने अपनी बड़ी भाभियों से भी माफी मांगी और फिर खुद ही विधि के घर पर फोन करके रिश्ता मांगा जिसे विधि के घरवालों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया । विधि और अनिकेत की शादी हो गयी और उनके जीवन में सबके आशीर्वाद से खुशियाँ छा गयीं आखिरकार मन की सुन्दरता ने तन की सुन्दरता पर विजय पा ली थी ।