Charumati Ramdas

Drama

1.0  

Charumati Ramdas

Drama

डॉक्टर डूलिटल - 2.9

डॉक्टर डूलिटल - 2.9

3 mins
618


जहाज़ तेज़ी से लहरों पर भागा जा रहा था। तीसरे दिन यात्रियों ने एक निर्जन टापू देखा। टापू पर न पेड़ दिखाई दे रहे थे, न जानवर, न ही इन्सान – सिर्फ रेत और बड़े-बड़े पत्थर ही थे। मगर वहाँ, पत्थरों के पीछे, खूँखार समुद्री डाकू छुपे बैठे थे। जब कोई जहाज़ उनके टापू के पास से गुज़रता तो वे उस जहाज़ पर हमला कर देते, लोगों को लूटते और उनको मार डालते, और जहाज़ को समुद्र में डुबो देते। समुद्री-डाकू डॉक्टर पे इसलिए बेहद गुस्सा थे, क्योंकि उसने लाल बालों वाले मछुआरे और पेन्ता को उनसे चुरा लिया था, और वह काफ़ी समय से उस पर घात लगाए बैठे थे।

समुद्री-डाकुओं के पास बड़ा जहाज़ था, जिसे उन्होंने चौड़ी चट्टान के पीछे छुपा दिया था।

डॉक्टर ने न तो डाकुओं को देखा, न ही उनके जहाज़ को। वह अपने जानवरों के साथ डेक पर घूम रहा था। मौसम बड़ा सुहावना था, सूरज चमक रहा था। डॉक्टर स्वयम् को बेहद भाग्यशाली महसूस कर रहा था। अचानक सुअर ख्रू-ख्रू ने कहा:

 “देखो तो, वहाँ वो कैसा जहाज़ है?”

डॉक्टर ने देखा कि टापू के पीछे से काले पाल वाला एक काला जहाज़ उनकी ओर आ रहा है – स्याही जैसा, काजल जैसा काला।

”मुझे ये पाल अच्छे नहीं लगते ! ” सुअर ने कहा। “वे सफ़ेद क्यों नहीं हैं, बल्कि काले क्यों हैं? सिर्फ समुद्री-डाकुओं के जहाज़ों पे काले पाल होते हैं।”

ख्रू-ख्रू ने भाँप लिया : काले पालों के नीचे खूँखार समुद्री-डाकू आ रहे हैं। वे डॉक्टर डूलिटल  को पकड़कर उससे भयानक बदला लेना चाहते थे, क्योंकि उसने उनसे मछुआरे को और पेन्ता को चुरा लिया था।

 “जल्दी ! जल्दी ! ” डॉक्टर चीखा। “सारे पाल खोल दो ! ”

मगर समुद्री-डाकू पास-पास आ रहे थे।

 “वे हमें पकड़ लेंगे ! ” कीका चिल्लाई। “वे नज़दीक आ गए हैं। मैं उनके भयानक चेहरे देख रही हूँ ! कैसी दुष्ट आँखें हैं उनकी ! हमें क्या करना चाहिए? किस तरफ़ भागें? अभ्भी वे हम पर हमला कर देंगे और हमें समुन्दर में फेंक देंगे ! ”

 “देख,” अव्वा ने कहा, “ये पीछे वाले हिस्से में कौन खड़ा है? क्या पहचानती नहीं है? ये तो वो ही है, दुष्ट बर्मालेय ! उसके एक हाथ में तलवार है, और दूसरे में है – पिस्तौल। वो हमें मार डालना चाहता है, गोलियाँ चला कर नष्ट कर देना चाहता है ! ”

मगर डॉक्टर मुस्कुराया और बोला:

”घबराओ मत, मेरे प्यारों, वो इसमें कामयाब नहीं होगा ! मैंने एक अच्छा प्लान सोचा है।

उस अबाबील को देख रहे हो, जो लहरों के ऊपर उड़ रही है? वो हमें डाकुओं से बचाने में मदद करेगी।” और वह ऊँची आवाज़ में चिल्लाया: “ना-ज़ा-से ! ना-ज़ा-से ! काराचुय ! काराबून ! ”

जानवरों की भाषा में इसका मतलब होता है:

 “अबाबील, अबाबील ! हमारे पीछे समुद्री-डाकू लगे हैं। वे हमें मारकर समुन्दर में फेंक देना चाहते हैं ! ”

अबाबील उसके जहाज़ पर उतरी।

 “सुन, अबाबील, तुझे हमारी मदद करनी होगी ! ” डॉक्टर ने कहा। “कराफू, मराफू, दूक ! ”

जानवरों की भाषा में इसका अर्थ होता है:

 “फ़ौरन उड़कर जा और सारसों को बुला ला ! ”

अबाबील उड़ गई और एक मिनट बाद सारसों के साथ लौटी।

 “नमस्ते, डॉक्टर डूलिटल  ! ” सारस चिल्लाए। “दुखी न हो, हम अभी तुझे मुसीबत से निकालते हैं ! ”

डॉक्टर ने जहाज़ की सामने वाली नोक पर रस्सी बांध दी, सारसों ने उस रस्सी को पकड़ लिया और जहाज़ को आगे खींचने लगे।

 सारस बहुत सारे थे, वे बड़ी तेज़ी से आगे बढ़ रहे थे और अपने पीछे जहाज़ को खींच रहे थे। जहाज़ तीर की तरह उड़ रहा था। डॉक्टर ने अपनी कैप भी पकड़ रखी थी, जिससे वह उड़कर पानी में न गिर जाए।

 जानवरों ने देखा – काले पाल वाला डाकुओं का जहाज़ काफ़ी पीछे रह गया था।

 “धन्यवाद, सारसों ! ” डॉक्टर ने कहा। “आपने हमें समुद्री-डाकुओं से बचाया। अगर आप न होते तो हम सब  

समुद्र के तल में पड़े होते।”


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama