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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Inspirational Others

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Inspirational Others

डायरी जून 22

डायरी जून 22

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टेंशन नहीं लेने का 


सखि, 

पता है हमारे मौहल्ले में रहने वाले दुखीराम जी को अस्पताल ले जाना पड़ा कल रात को। और उन्हें आई सी यू में भर्ती करवाना पड़ा। डॉक्टर बता रहा था कि हृदय रोग है, रक्तचाप भी कम है। हमने पूछा "ऐसा कैसे हो गया डॉक्टर साहब?" 


वे बोले "टेंशन पालने से ऐसा होता है।" 


मैं सोच में पड़ गया कि मैंने लोगों को गाय, भैंस, बकरी, भेड़, ऊंट, पालते देखा है। आजकल की पीढ़ी को कुत्ते पालते देखा है। कुछ लोगों को बिल्ली पालते भी सुना है। कोई कोई आदमी हाथी भी पाल लेता है। शेर पालने की हिम्मत कोई कर नहीं सकता है और गीदड़ पालने योग्य जानवर है नहीं। हां, घोड़ा भी पाला जाता था। अब तो शादियों में काम आने वाली घोड़ी ही पाली जाती हैं। पर कभी टेंशन पालते किसी को देखा नहीं है। मैंने ऐसे ही पूछ लिया "डॉक्टर साहब, मैंने देखा नहीं किसी को टेंशन पालते हुए। क्या आपने देखा है?" 


उन्होंने मेरी ओर ऐसे देखा जैसे कि मैं किसी दूसरे ग्रह से आया हुआ प्राणी हूं। मेरी तरफ घूरकर देखते हुए वो बोला "आजकल इतनी महंगाई में जानवर कौन पाले ? ये तो सरकार ही है जो सांड, कुत्तों के अलावा सफेद हाथी भी पाल लेती है। आम आदमी तो टेंशन ही पालता है। क्योंकि मुफ्त में तो बस टेंशन ही पाला जा सकता है। वैसे टेंशन को पालने की जरूरत भी नहीं है, हर कोई आदमी थोक के भाव दे जाता है बिना मांगे हुए भी। हर कोई आदमी आपकी तरह फक्कड़ नहीं होता है। जिसके पास कुछ होता है खोने को, वही तो टेंशन पालता है। फक्कड़ आदमी क्या टेंशन पालेगा ? वो तो औरों को टेंशन देता है लेता नहीं है।" 


तब मुझे याद आया कि दुखीराम जी बहुत टेंशन पालते थे। अभी दो तीन महीने से तो उन्हें "रूस - यूक्रेन युद्ध" का बड़ा भारी टेंशन था। मैंने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश भी की कि अपुन को क्या ? रूस जीते या हार जाये, हमें क्या ? लेकिन उनका कहना था कि ऐसे कैसे फर्क नहीं पड़ता है ? अगर रूस हार जायेगा तो दुनिया पर अमरीका का राज हो जायेगा। और यदि दुनिया पर अमरीका का राज हो जायेगा तो वह दादागिरी करेगा। जब दादागिरी करेगा तो फिर गरीब देशों का क्या होगा ?" और इसी टेंशन के कारण वे अस्पताल में भर्ती हो गए। 


पिछली बार भी ऐसा ही हुआ था। वे पार्क में घूमते हैं रोज सुबह। मगर बहुत कम लोग ही आते हैं सुबह घूमने के लिए पार्क में। बस, दुखीराम जी को इसी बात का टेंशन हो गया था कि यदि लोग घूमेंगे नहीं तो बीमार पड़ जायेंगे। लोग तो पता नहीं बीमार पड़े या नहीं मगर दुखीराम जी टेंशन के कारण खुद बीमार हो गए थे। 


जमाने भर का टेंशन पाल रखा है उन्होंने अपने दिमाग में। मुहल्ले में लोग कुत्तों को रोटी नहीं खिलाते हैं तो इस बात का टेंशन कि बेचारे कुत्ते भूखे मर रहे हैं। यदि लोग कुत्तों को रोटी खिलाते हैं और रोटी पर कुत्ते झपट पड़ते हैं। इसी बीच अगर कोई बच्चा या औरत वहां पर फंस जाये तो कुत्ते उस पर टूट पड़ते हैं। तब इस बात का टेंशन कि लोग रोटी खिलाते ही क्यों है इन कुत्तों को ? एक बात का टेंशन हो तो बतायें, उन्हें तो हर बात पर टेंशन हो जाता है। किसी की शादी ही रही है तो टेंशन कि बेचारी कैसे रहेगी इस दुष्ट के साथ। और अगर शादी नहीं होती है तो इस बात का टेंशन कि अगर शादी नहीं हुई तो अगली पीढ़ी कैसे आएगी ? 


इसी टेंशन का परिणाम है कि वे आज आई सी यू में हैं। हमें लगता है कि हम जैसे फक्कड़ आदमी ही ठीक हैं जो टेंशन लेते ही नहीं हैं। टेंशन कोई लेने की चीज है क्या ? देने की चीज है ये तो। जितना चाहो उतना दो। बहुत बरकत है इसमें। एक का हजार होता है। 


तो मित्रों, टेंशन लेने की नहीं, देने की चीज है। जी भरकर दो, चाहे कोई ले या नहीं। 



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