हरि शंकर गोयल

Comedy Romance Inspirational

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हरि शंकर गोयल

Comedy Romance Inspirational

डायरी जुलाई 2022

डायरी जुलाई 2022

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सिल्वर जुबली फंक्शन 


डायरी सखि, 

क्या तुम्हें पता है कि ये सिल्वर जुबली फंक्शन क्यों मनाते हैं ? नहीं ना ? पता होगा भी कैसे ? शादी की हो तो पता चलता ? बिना शादी के सिल्वर जुबली जैसे कार्यक्रमों के बारे में तुम क्या जानोगी ? ये तो पति पत्नी ही हैं जो एक दूसरे को झेलते रहते हैं। दुनिया के सामने खुश रहने का दिखावा करते रहते हैं। हमेशा लड़ते झगड़ते रहते हैं। फिर भी शादी के 25 वर्ष पूरे होने पर "उत्सव" मनाते रहते हैं। ये समझ में नहीं आया कि ये उत्सव इस बात का मनाया जाता है कि इतने झगड़ों के बाद भी दोनों जने अभी तक साथ साथ हैं या इस बात का कि "हम नहीं सुधरेंगे" का सिद्धांत अभी तक काम कर रहा है। हो सकता है कि कोई तीसरा कारण भी हो, जिसका मुझे आभास नहीं हो। 


दरअसल आज हमारे दुलारे, हमारी श्रीमती जी के प्यारे भाई यानि हमारे साले साहब की वैवाहिक जिंदगी के 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस अभूतपूर्व सफलता पर उन्हें बधाई देने जाना तो बनता ही है। फिर हममें इतनी हिम्मत कहां जो ससुराल का कोई भी कार्यक्रम "छोड़" सकें ? हमारा जीना मुहाल नहीं हो जायेगा ? 


तो हम कल ही यानि 2 जुलाई को अपनी मंजिल के लिए कोटा निकल पड़े। रास्ते में मौसम बरसात का था। सच में मजा आ गया। काश ऐसी बरसात होती रहे और हम उसमें भीगते रहें ? आसमान में इंद्रधनुष भी दिखाई दे गया। एक साथ दो दो इंद्रधनुष। बहुत दिनों बाद देखा था इंद्रधनुष । बचपन में तो बरसात के दिनों में रोज ही देखते थे। मगर अब ? अब तो ऐसा लगता है कि शायद इंद्रधनुष भी मनुष्य की जेहादी सोच और "सिर तन से जुदा" जैसे "पवित्र" कर्म से डरकर कहीं किसी कोने में जाकर छिप गया है। 


धर्मनिरपेक्ष देश में जेहादी सोच वाले लोगों से और अजब गजब के मी लॉर्ड्स की टिप्पणियों से बचने का एक यही उपाय है। पर आम आदमी किस किस से बचे ? गला रेतने वाले बर्बर लोगों से या "अपमानजनक" टिप्पणी करने वाले मी लॉर्ड्स से ? तुम ही कुछ बतओ सखि ? 


तो हम कल रात आठ बजे कोटा पहुंच गये। खाना वाना खाकर हम ताश खेलने बैठ गये। "छकड़ी" खेलने लगे। फिर संगीत रस में सराबोर हो गये। खूब गाने गाए और सुने। 


आज सुबह आर्य पद्धति से यज्ञ संपन्न हुआ। फिर वर वधू का माल्यार्पण हुआ और फिर छोटा मोटा संगीत कार्यक्रम । फोटोग्राफी तो हर कार्यक्रम की जान होती ही है। 


फिर जब सब लोग फुरसत में बैठे तो "तत्व मीमांसा" शुरू हुई। मूल प्रश्न आसन पर रख दिया गया "सिल्वर जुबली" क्यों मनाते हैं ? 


बड़ा गूढ प्रश्न है यह। सब अनुभवी और नव दंपति इस प्रश्न पर मीमांसा करने में जुट गये। सबके अलग अलग विचार, सबकी अलग अलग राय। पुरुष जाति का कहना था कि इतने साल तक इस रिश्ते को "ढोते ढोते" मर्द मजबूत हो जाता है इसलिए वह इस सफलता का जश्न इस कार्यक्रम को आयोजित कर मनाता है। 


वहीं महिलाओं की राय जुदा थी। उनका कहना था कि महिलाएं बड़े जतन से एक "इंसान" का कायाकल्प करने में पिछले 25 साल से लगी रहती हैं लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। लेकिन उनकी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी कि वे मेहनत करना बंद नहीं करती हैं और बैटरी रीचार्ज करने के लिए ये "सिल्वर जुबली" फंक्शन करती हैं। 


वैसे एक बात है सखि, आज तक क्या कभी पति पत्नी किसी मुद्दे पर एकमत हुए हैं ? नहीं ना ? तो इस मुद्दे पर भी कैसे होते भला ? 



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